Sunday, April 6, 2014

Shri Panini Hrudayam-Seventh Adhyaaya


                                       श्री पाणिनि---हृदयम् सप्तम----अध्याय : प्रथम----पाद :

 
1.युवो : अन---अकौ = एतौ अनुनासिकयो : क्रमात् अन अक एतौ आदेशौ स्त :।

2.आयन्---एय---ईन---ईय---इय : फ---ढ---ख---छ---घां प्रत्यय---आदीनाम् =फ =आयन्। ढ =एय।

ख =ईन। छ =ईय। घ =इय।

3.झ : अन्त : =झि -अन्ति। भवन्ति।

4.अत् अभ्यस्तात् = अभ्यस्तात् अत्।

5.आत्मनेपदेषु अनत : =अनाकारात् परस्य आत्मनेपदेष झस्य अत् इति आदेश : स्यात्। एधिष्यन्त।

6.शीङ : रुट् =शीङ : परस्य झ---आदेशस्य रुट् आगम : स्यात्। शेरते।

7.वेत्ते : विभाषा =संविद्रते। संविदते।

8.बहुलं छन्दसि =रुट् आगम : स्यात्। लोप : आत्मनेपदेषु इति पक्षे त लोप :। धेनवओ दुदुह्रे। लोप---अभावं घृतं दुह्रते।

9.अत : भिस : ऐस् =अकारान्तात् अङ्गात् भिस : ऐस् स्यात्। अनेक---अल्त्वात् सर्वादेश :। रामै :।

10.बहुलं छन्दसि =अग्निर्देवभि :। अक्षभि : यजत्रा :। स्थिरै : अङ्गै :।

11.न इदम्----अदसो : अको : =अककारयो : इदम्----अदसो : अत : भिस : ऐस् न स्यात्। एत्वम्। एभि :।

12.टा---ङसि---ङसाम् इन---आत्---स्या : =अकारान्तात् टा =इन , ङसि =आत् , ङस =स्य आदेशा : क्रमात् स्यु :।

13.ङे : य : अत : अङ्गात् परस्य =ङे इति अस्य य आदेस : स्यात्। रामाय।

14.सर्वनाम्न : स्मै =अत् अन्तात् ङे : स्मै स्यात्। सर्वस्मै।

15.ङसि----ङ्यो : स्मात् स्मिनौ =सर्वस्मात्। सर्वस्मिन्।

16.पूर्वादिभ्य : नवभ्य : वा =पूर्वस्मात्। पूर्वात्।

17.जस : शी =अत्---अन्तात् सर्वनाम्न : जस : शी स्यात्। सर्वे।

18.औङ : आप : =आकारान्तात् परस्य औङ : शी स्यात्। औङ् इति औकार विभक्ते : संज्ञा। रमे।

19.नपुंसकात् च =क्लीबात् परस्य औङ : शी स्यात्। ज्ञाने।

20.जश्शसो : शि : =क्लीबात् अनयो : शि : स्यात्। ज्ञानानि।

21.अष्टाभ्य : औश् =कृत----आकारात् अष्टन : परयओ : जस्----शसो : औश् स्यात्। अष्टौ।

22.षड्भ्य : लुक् =एभ्य : परयो : जस्----शसो : लुक् स्यात्।

23.स्वम : नपुंसकात् =क्लीबात् अङ्गात् स्वम : लुक् स्यात्। वारि।

24.अत : अम् =अत : अङ्गात् क्लीबात् स्वम : अम् स्यात्। ज्ञानम्।

25.अद्डतरादिभ्य : पञ्चभ्य : =एभ्य : क्लीबेभ्य : स्वम : अत् ड आदेश : स्यात्।

26.न इतरात् छन्दसि =स्वम : अत्---ड न। वार्त्रघ्नामितरम्। छ्न्दसि किम् ? इतरत्काष्ठम्।

27.युष्मत्----अस्मद्भ्यां ङस : अश् =स्पष्टम्। तव , मम। युवयो : , आवयो :।

28.ङे प्रथमयो : अम् =युष्मत्----अस्मद्भ्याम् इति एतस्य प्रथम---द्वीतययो : च अम् आदेश : स्यात्।

29.शस : न =युष्मान्। अस्मान्।

30.भ्यस : भ्यम् =युष्मभ्यम्। अस्मभ्यम्।

31.पञ्चम्या अत् =आभ्याम् पञ्चभ्य : भ्यस : अत् स्यात्। युष्मत्। अस्मत्।

32.एकवचनस्य च =त्वत्। मत्। ङसे : च इति सुवचम्। युवाभ्याम्। आवाभ्याम्।

33.साम आकम् =युष्माकम्। अस्माकम्। त्वयि। मयि। युवयो : आवयो :।

34.आत औ णल : =आत् अन्तात् धातो : णल : औकार----आदेश : स्यात्। दधौ।

35.तुह्यो : तातङ् आशिषि अन्यतरस्याम् =भवतात।

36.विदे : शतु : वसु : =वेत्ते : परस्य शतु : वसु : आदेश : वा स्यात्। विदन्। विद्वान्।

37.समासे अनञ्---पूर्वे क्त्वा ल्यप् =अव्यय---पूर्वपदे अन्ञ्---समासे क्त्व : ल्यप् आदेश : स्यात्। प्रकृत्य। अनञ् किम् ? अकृत्वा।

38.क्त्वा अपि छन्दसि =यजमानं परि धापयित्वा।

39.सुपां सुलुक्----पूर्वसवर्णात् छेयाडाड्यायाजाल : =ऋजव : सन्तु पन्था :। परमेव्योमन्। ङे : लुक्।नाभा पृथिव्या---नाभौ इति प्राप्ते डा ता अनुष्ठ्यीध्यावयतात्। अनुष्ठानम् अनुष्ठा। व्यवस्था अङ्। आङो ङ्या इति साधुया इति प्राप्ते =याच्। वसन्ता यमेत =वसन्ते इति प्राप्ते आल्। पर्युदास----आश्रयणात् न इह। परमकृत्वा। धीती मती सुष्टुती =पूर्वसवर्णदीर्घ :। अस्मे इन्द्राबृहस्पती =(छे)त् + शे =छे। युष्मासु अस्मभ्यम् इति उरुष्या धृष्णुना उरुजा।

40.अम : मस् =मिप् आदेशस्य अम : मश् स्यात्। अकार : उच्चारण---अर्थ :। शित्वात् सर्वादेश :। अस्ति सिचि इति ईट्। वधी : वृत्रम्। अवधिषम् इति प्राप्ते।

41.लोपस्त आत्मनेपदेषु =छन्दसि। देवा आदुह। (अदुहत =दुहन्त or देवा =स्त्रीलिङ्गम् इति प्राप्ते|) दक्षिणत : शये =शेते।

42.ध्वम : मात् =अन्तरेवोष्यमानणं वारयध्वात्। वारयध्वम् इति प्राप्ते।

43.यजध्वैनम् इति च =एनम् इति अस्मिन् परे ध्वम :। अन्तलोप : निपात्यते। यजध्वैनं प्रिय---

मेधा :। वकारस्य यकार : निपात्यत इति वृत्तिकार---उक्ति : प्रामादिकी।

44.तस्य तात् =मध्यमपुरुषबहुवचनस्य स्थाने तात् स्यात्। गावम् अस्या नूनं कृणुतात्।(कृणुत।)

45.तप्---तनप्---तन---थना : च =तस्येत्येव। शृणोत ग्रावाणा :। श्रुणुतति प्राप्ते तप्। सुनोतन पचत ब्रह्मवाहसे। दधातन द्रविणं चित्रमस्मै। तनप्। मरुतस्तज्जुजुष्टन। जुष्टध्वम् इति प्राप्ते व्यत्ययेन परस्मैपदं श्लु : च। विश्वेदेवासो मरुतो यतिष्ठन। यत्संख्याका : स्था इति अर्थ :। य्त् शब्दात् छन्दस : डति : , अस्ते : तस्य थन् आदेश :।

46.इत्---अन्त : मसि =नमो  भरन्त एमसि। त्वमस्माकं तव स्मसि।

47.क्त्वो यक् =दिवं सुपर्णो गत्वाय।

48.इष्ट्वीनम् इति च =इष्ट्वीनं देवान्। इष्ट्वा इति प्राप्ते।

49.स्नात्वादय : च =आदि शब्द : प्रकार----अर्थ :। अकारस्य ईकार : निपात्यते। स्विन्न : स्नात्वी मलादिव। स्नात्वा इति प्राप्ते। पीत्वी सोमस्य वावृधे। पीत्वा इति प्राप्ते।

50.आत् जसे : असुक् =आत् जसे : असुक्। देवास :। ब्राह्मणास :।

51.अश्व---क्षीर---वृष----लवणानाम् आत्मप्रीत्यौक्यचि =एषां क्यचि असुक् आगम : स्यात्। अश्वस्यति बडवा।

52.आमि सर्वनाम्न :सुट् =अवर्ण अन्तात् परस्य सर्वनाम्न : विहितस्य आम : सुट् आगम :। सर्वेषाम्। सर्वासाम्।

53.त्रे : त्रय : =त्रि शब्दस्य त्रय----आदेश : स्यात् आमि। त्रयाणाम्। गौणत्वे तु न इति केचन।(refer 36th सूत्र of 4th पाद of 8th अध्याय :। =णत्वं न स्यात्। प्रनेष्टा। (refer 60th सूत्र of this पाद।)

54.ह्रस्व---नद्याप : नुट् =ह्रस्व अन्तात् नद्यन्तात् अत् अन्तात् च अङ्गात् परस्य आम : नुट् आगम : एत्वषत्वे =सर्वेषाम्। रामाणाम्।

55.षट्---चतुर्भ्य : च =षण्णाम्। चतुर्णाम्।

56.श्री---ग्रामण्यो : छन्दसि =श्रीणां धरुणो रयीणाम्। सूतग्रामणीनाम्।

57.गो :पादान्ते =विद्म इति त्वा गोपतिम्। वैकल्पिक विराजं गोपतिं शूरगोनाम्। पादान्ते किम् ? गवां शतां पृक्ष्यमाणेषु गवाम्।

58.इदितो नुम् धातो : स्कुन्दते। चुस्कुन्दे।

59.शे मुचादीनाम् =मुञ्चति। मुञ्चते।

60.मस्जि---नशो : झलि =मनष्ट। नङ्क्ष्यति। (refer 36th सूत्र of 4th पाद of 8th अध्याय :।) णत्वं न स्यात्। प्रनंष्टा।  

61.रधि---जभो : अचि =जंभते। जजम्भे।

62.नेटचलिरधे : =लिट् वर्जे इटि रधे नुम् न स्यात्। रधिता। रद्धा।

63.रभे : अशप्---लिटो : =रभे : नुम् स्यात् अचि न तु शप्---लिटो :। अरर्म्भत्।

64.लभे : च =अललम्भत्।

65.आङो यि =आङ : परस्य लभे : नुम् स्यात् यादौ प्रत्यये विवक्षिते नुमि कृते अत्---उपधात्व---अभावात् ण्यत् एव। आलम्भ्य : गौ :।

66.उपात् प्रशंसायाम् =उपलम्भ्य : साधु :। स्तुतौ किम् ? उपलब्धुं योग्य : उपलभ्य :।

67.उपसर्गात् खल्----घञो : =दुष्प्रलम्भ :। सुप्रलम्भ :। ईषत्प्रलम्भ :। उपसर्गात् किम् ? लाभ :।

68.न सुदुर्भ्यां केवलाभ्याम् =उपसर्गरहुते =सुलभ :। दुर्लभ :। केवलाभ्यां किन्म् ? सुप्रलम्भ :। अतिदुर्लम्भ :।

69.विभाषा चिण्णमुलो : =लभे : नुम् आगम : वा स्यात्। अलम्भि। अलाभि।

70.उगित्---अचां सर्वनाम---स्थाने अधातो : =अधातो : उगित : नलोपिन : अञ्चते : च नुम् आगम : स्यात् सर्वनामस्थाने परे। उपधा---दीर्घ :। मघवान्। " हविर्जक्षिति नि ;शङ्क : मखेषु मघवान् असौ।

71.युजे : असमासे =युङ् युञ्चौ युञ्च :। असमासे किम् ? सुयुक्  सुयुजौ सुयुज :।

72.नपुंसकस्य झल्---अच : =झल् अन्तस्य अच् अन्तस्य च क्लीबस्य नुम् आगम : स्यात् सर्वनाम---स्थाने। ज्ञानानि।

73.इक : अचि विभक्तौ =इक् अन्तस्य क्लीबस्य नुम् आगम : स्यात् अचि विभक्तौ। वारिणि। वारीणि।

74.तृतीयादिषु भाषित---पुंस्कं पुंवत् गालवस्य =प्रवृत्ति---निमित्त---ऐक्ये भाशित---पुंस्कं इक्---अन्तं क्लीबं पुंवत् वा स्यात् ट---आदौ अचि। अनादये अनादिने।

75.अस्थि---दधि---सक्थि---अक्ष्णाम् अनङ् उदात्त : =एषाम् अनङ् स्यात् ट---आदौ अचि स च

उदात्त :। दध्ना दध्ने।

76.छन्दसि अपि दृश्यते =अस्थि---आदीनाम् अनङ् । इन्द्रो दधीचो अस्थिभि :।

77.ई च द्विवचने =अक्षीभ्यां ते मांसिकाभ्याम्।

78.न अभ्यस्तात् शतु : =अभ्यस्तात् परस्य शतु : नुम् न स्यात्। ददत् , ददद् ददतौ ददत :।

79.वा नपुंसकस्य =अभ्यस्तात् परस्य परो य : शतृ तत् अन्तस्य क्लीबस्य नुम् वा स्यात् सर्वनाम---स्थाने परे। ददन्ति ददति । तुदन्ति तुदति।

80.आच्छिनद्यो : नम् =अवर्ण---अन्तात् अङ्गात् पर : य : शतु : अवयव : तत् अन्तस्य अङ्गस्य नुम् वा स्यात्। छी---नद्यो : परत :। तुदन्ती तुदती तुदन्ति। भात्  भान्ती। अकारस्य पञ्चमी विभक्ति =आत्।

81.शप्---श्यनो : नित्यम् =पचती। पचन्ती। दीव्यत्। दीव्यन्ती। दिव्यन्ति।

82.सौ अनडुह : =अस्य नुम् स्यात् सौ परे। अत् इति अधिकरात् वर्णात् पर : अयं नुम्। अनड्वान्।

83.दृक्---स्ववस्---वत वसां छन्दसि =एषां नुम् स्यात् सौ। कीदृङ्ङिन्द्र :। स्ववान्। स्वतवान्।

84.दिव औत् =दिविति प्रातिपदिकस्य औत् स्यात् सौ परे =सुद्यौ :।

85.पथि---पथि---ऋब्बुक्षाम् आत् =एषाम् आकर : अन्त----आदेश : स्यात् सौ परे। पन्था। मन्था। ऋभुक्षा।

86.इत : अत सर्वनामस्थाने =पथ्यादे : इकारस्य अकार : सर्वनामस्थाने परे।

87.थ् : अन्थ : =पथि---मथो : थस्य न्थ आदेश : स्यात् सर्वनामस्थाने प्रे। पन्था : पन्थानौ पन्थान :।

88.भस्य टे : लोप : =भ संज्ञकस्य पथ्यादे : टे : लोप : स्यात्। पथ : पथा।

89.पुंस : असुङ् =सर्वनामस्थाने विवक्षिते पुंस : असुङ् स्यात्। उकार उच्चारण---अर्थ :। पुमान् =

पुंस :।

90.गोतो णित् =गो शब्दात् परं सर्वनामस्थानं णित्वत् स्यात्। गौ : गावौ गाव :।

91.णल् उत्तमो वा =उत्तम : णल् व णित् स्यात्। चखाद। चखद।

92.सख्यु : संबुद्धौ = सखायौ सखाय :  सखायम्।

93.अनङ् सौ =सख्यु : अङ्गस्य अनङ् स्यात् सौ परे ङिच्च -इति अन्त---आदेश :।

94.ऋत्---उशनपुरुन्दसोऽनहसां वा =ऋत्  अन्तानाम् उशनादिनां च अनङ् स्यात् असंबुद्धौ सौ परे।

95.तृच्----वत् क्रोष्टु : =क्रोष्टु : शब्द : तृच्---अन्तेन तुल्यं वर्तते असंबुद्धौ सर्वनामस्थाने परे।

96.स्त्रियां च =स्त्रीवाची क्रोष्टु शब्द : तृज्वत् रूपं वर्तते।

97.विभाषा तृतीया---आदिषु क्रोष्टुर्वा स्यात्।

98.चतु ; अनडुहो : अम् उदात्त : =अनयो : आम् स्यात् सर्वनामस्थाने परे स च उदात्त्त :।

99.अम् संबुद्धौ =हे अनड्वन्।

100.ॠत इद्धातो : =ॠत् अन्तस्य धातो : अङ्गस्य इत् स्यात्। तेरतु :। तेरु :। तॄ फल् इति एत्वम्।

101.उपधाया : च =धातो : उपधा--- भूतस्य ॠत इत् स्यात्। कीर्तयति। अचीकृतत्। अचिकीर्तत्।

102.उदोष्ठ्यपूर्वस्य =अङ्ग---अवयव ओष्ठुयपूर्व : य : ॠत् तत्---अन्तस्य----अङ्गस्य उत् स्यात्। गुणवृद्धी परत्वात् इमम् बाधेते। पिपर्ति। उत्वम् , रपरत्वम्।हलि च इति दीर्घ :। पिपूर्त :। पिपुरति। पपार। किति लिटि इति गुणे प्राप्ते।

103.बहुलं छन्दसि =ततुरि :। जगुरि :। पराचै :।

 

                          । इति प्रथम : पाद : समाप्त :।                  Pro.Total. =3159 + 103 =3262.   

 

 

 

 

                                     श्री पाणिनि---हृदयम् सप्तम---अध्याय : द्वितीय----पाद :

 

1.सिचि वृद्धि : परस्मैपदेषु =इक्---अन्त---अङ्गस्य वृद्धि : स्यात् परस्मैपदे परे सिचि। अवैपीत्। अजेष्यत्। आजिष्यत्।

2.अत : ल्रान्तस्य =ल्र इति लुप्त षष्ठीकम्। अत : समीपौ यौ ल्रौ तत्---अन्तस्य---अङ्गस्य अत :

वृद्धि : स्यात् परस्मैपदे सिचि। चस्खाल। चक्मार।

3.वद---व्रज---हल्---अन्तस्य अच : =वदे : व्रजे : हल्---अन्तस्य च अङ्गस्य स्थाने वृद्धि : स्यात् परस्मैपदेषु।

4.न इटि =इट् आदौ सिचि प्राक्---उक्तं न स्यात्। मा भवान् अतीत्। अतिष्टाम्। अतिषु :।

5.ह्---म्---य्---अन्त क्षण---श्वस----जागृण----श्व्येदिताम् =ह , , य अन्तस्य क्षण---आदे : ण्यन्तस्य श्वयते : इत : च वृद्धि : न स्यात् इट्----आदौ सिचौ। अकटीत्। पपाट। इय। इयय।

6.ऊर्णोते : विभाषा =वा वृद्धि : स्यात् हल्---आदौ पिति सार्वधातुके। ऊर्णौति। ऊर्णोति।

7.अत : हल्---आदे : कघो : =हलादे : लगो : अकारस्य इट्---अदौ परस्मैपदे परे सिचि वृद्धि : वा स्यात्। अखादीत्। अखदीत्।

8.न इट् वशि कृति =वशादे : कृत इट् न स्यात्। सुशर्मा। प्रातरित्वा।

9.ति---तु---त्र----त---थ----सि---सु---सर---क---सेषु च =एषां दशानां कृत्प्रत्ययानाम् इट् न स्यात्। ति:।  =तन्ति :। तु =सक्तु :। त्र =शस्त्रम्। त =हस्त :(औणादिक : त प्रत्यय :)   थ =कुष्ठम्।(औणादिक : क्थ : प्रत्यय :) सि =कुक्षि :।(कुषे : औणादिक : क्सि प्रत्यय :) सु -इक्षु :।इषे : औणादिक : क्सु प्रत्यय :) सर =अक्षरम्।अशे : सरन्। शले : क =शल्क :। स =वत्स : वदे : स :। मिह सेचने त्र : मेढ्रम्। योत्रम्। योक्त्रम्। स्तोत्रम्। तोत्रम्। सेत्रम्। सेक्त्रम्। पत्रम्। दंश् धातो : त्र : = दंष्ट्रा। नह्यते अनया इति =नद्ध्री।(चर्मरज्जु :।)

10.एक---अच : उपदेसे अनुदात्तात् =उपदेशे य : धातु : एक---अच् अनुदात्त : च तत : परस्य हल्---

आदे : (आर्धधातुकस्य) इट् न स्यात्।

11.श्रयुक : किति =श्रिञ : एकाच : उक्---अन्तात् च परयो :गित्---कितयो : इट् न स्यात्। क्रादित्वात् न इट् =ससर्थ। ससृव।

12.सनि ग्रह---गुहो : च =ग्रहे : गुहे : उक्---अन्तात् च सनि इट् न स्यात्। ग्रहे : जिघृक्षति। गुहे : जुगुक्षति। ग्रहे : नित्यं गुहे : विकल्पेन प्राप्ते निषेध : अयम्।

13.कृ---सृ---भृ---वृ---स्तु---द्रु---स्रु लिटि =एभ्य : लिटि न इट् न स्यात्।

14.श्वीदिति निष्ठायाम् =श्वयते : ईदित : च निष्ठायांम् इट् न स्यात्। उन्न :। उत्त :। त्राण :। त्रात :। घ्राण :। ग्रात :। ह्रीण :। ह्रीत :।

15.यस्य विभाषा =यस्य क्वचित् विभाषाय इट् विहित : तत : निष्ठाया इट् न स्यात्। उदक्तम् =उदकम्। समक्त :।

16.आदित : च =आकार इत : निष्ठाया इट् न स्यात्। प्रफुल्त :।

17.विभाषा भावादिकर्मणो : =भावे आदिकर्मणि च आदित : निष्ठाया इट् वा स्यात्। प्रस्वेदित :चैत्र :। सेट् किम् ? प्रस्विन्न :।

18.क्षुब्ध---स्वान्त---ध्वान्त---लग्न---म्लिष्ट---विरिब्ध---फाण्ट---बाढानि मन्थ---मन्स्---तम :---सक्ताविस्पष्ट---स्वर---अनायास---भृशेषु =क्षुब्धानि अनिड्क्तानि (8) निपाद्यन्ते समुदायेन मन्थादिषु वाच्येषु। क्षुब्धम् =द्रव---द्रव्य---संपृक्ता : सक्त व : मन्थ :। अन्यत्र क्षुभितम्। स्वान्तम् =मन :। ध्वान्तम् तम :। लग्नम् सक्तम् निष्ठानत्वम् अपि निपातनात्। म्लिष्टम् =अविस्पष्टम्। अन्यत्र

म्लेच्छ :। म्लेच्छृ रेभृ अनयो : उपधाया : इत्वम् अपि निपात्यते।फाण्टम् =अनायास---कषाय-

--विशेष :। फणे : क्त : इट् अभाव : , निष्ठातस्य टय्त्वं च निपात्यते। तस्य असिद्धत्वात् अनुनासिकस्य दीर्घ :। अनायसकृतं कषायम् फाण्टम् इति अमर :।वेदभाष्ये माधव : आह "यत् अशृतम् अपिष्टं च कषायम् उदक---संस्पर्स---मात्रात्---विभक्त---रसम् ईषत्---उष्ण तत्फाण्टम् इति उच्यते। नवनीत--- भावात् प्राक् अवस्थापन्नं द्रव्यं फाण्टम् इति वेदभाष्ये माध : आह। शरपथब्राह्मण---व्याख्या-अवसरे माधव :  "तत् वै नवनीतं भवति घृतं वै देवानां फाण्टं मनुष्याणाम् " इति आह इति अर्थ :। बाढम् =भृशम्। बाहृ प्रयत्ने  अस्मात् क्त : इट् अभाव : , ढत्व---धत्व---ष्टुत्व---ढ---लोपा :।

19धृषि---शसी वैयात्ये =एतौ निष्ठायाम् अविनये एव अनिटौ स्त :। धृष्ट :। विशस्त :। अन्यत्र

धर्षित :। विशसित :।

20.दृढ : स्थूल---बलयो : =स्थूले बलवति च निपात्यते।

21.प्रभौ परिवृढ : =अर्थं स्पष्टम्। refer आर्याशतकम् " कुलगिरिपरिवृढकुलैकमणिदीपे। "

22.कृच्छ्र---गहनयो : कष : =कष्टम् =दु:खं तत्कारणं च।

23.घुषि : अविशब्दने =घुष्टा रज्जु :। घुषितं वाक्यम्।

24अर्दे : सं---नि---विभ्य : =समर्ण :। न्यर्ण :। व्यर्ण :।

25.अभे : च अविदूर्ये =अब्यर्णम्। नाविदूरं नासन्नं वा। 

26.णे : अध्ययने वृत्तम् =ण्यन्तात् वृत्ते : इट् अभाव :। अन्यत्र वर्तिता रज्जु :।

27.वा दान्त---शान्त---पूर्ण---दस्त---स्पष्ट---छन्न---ज्ञप्ता : =एते णिचि निष्ठान्ता वा निपात्यन्ते। अन्यत्र दमित , शमित , पूरित , दासित , स्पाशित , छादित , ज्ञापित :।

28.रुषि---अम---त्वर---संघुष--आस्वनम् =एभ्य : निष्ठाया इत् वा। रुषित :।रुष्ट :। अम गत्यादिषु। आन्त :। अमित :। तूर्ण : त्वरित :। संघुष्ट :। संघुषित :। आस्वान्त :। आस्वनित :।

29.हृषे : लोमसु =हृष्टम् , हर्षितम् लोम। विस्मित---प्रतिघातयो : च इति वाच्यम्।

30.अपचित : च =चायते : निपात : अयं वा। अप पूर्वस्य चिञ : निष्ठायां चि भाव : निपात्यते इति भाष्यम्।  अपचित :। अपचायित :।

31.ह्रु ह्वरे : छन्दसि =ह्वरे : निष्ठायां छन्दसि ह्रु आदेस : स्यात्। अह्रुतमसि हविर्धानम्।

32.अपरिह्वृता : च् =पूर्वेण प्राप्तस्य आदेशस्य अभाव : निपात्यते। अपरिह्वृता : सनुयाम वाजम्।

33.सोमे ह्वरित : =इट्---गुणौ निपात्येते। मा न : सोमो ह्वरित :।

34.गसित---स्कभित---स्तभित---उत्तभित---चत्त---विकस्त---आविशस्तृ---शस्त्रु---शास्तृ----तरुतृ---तरूतृ---वरुतृ---वरूतृ---वरूत्री : उज्ज्वलिति---क्षरिति---क्षमिति---वमिति---अमितीति च =अष्टादशा : निपात्यन्ते।

35.आर्धधातुकस्य इट् वलादे : =वलादे : आर्शधातुकस्य इट् आगम : स्यात्। बभूविथ।

36.स्नु---क्रमो : अनात्मनेपदेनिमित्ते =अत्र एव इट्। अक्रमीत्।

37.ग्रहो : अलिटि दीर्घ : =एक---अच : ग्रहे : विहितस्य इट : दीर्घ : स्यात् न तु लिटि। ग्रहीता। लिटि तु जग्रहिथ।

38.वॄतो वा =वृङ्वृञ्भ्यां ऋत् अन्तात् च इट : दीर्घ : वा स्यात् नतु लिटि। तृफल धातु : is taken for example.तरिता , तरीता। अलिटि इति किम् ? तेरिथ।

39.न लिङि =वॄत : लिङ : इट : दीर्घ : न स्यात्। वरिपीष्ट। वृषीष्ट।

40.सिचि च पस्र्मैपदेषु =अत्र वॄत : इट : दीर्घ :न। अतारिष्टाम्।

41.इट् सनि वा =वूङ्वृञ्भ्यां सन : इट् वा स्यात्। तितरिषति। तितरीषति।

42.लिङ्---सिचो : आत्मनेपदेषु =वृङ्वृञ्भ्यां ऋत्---अन्तात् च परयो :लिङ्----सिचो : स्यात्तङि। अवारीत्। अवरिष्ट।

43.ऋत : च संयोग---आदे : =स्तरिषीष्ट। स्तृषीष्ट।

44.स्वरति---सूति---सूयति---धूञ्---ऊदितो वा =स्वरत्यादे : ऊदित : च परस्य वलादे : आर्धधातुकस्य इट् वा स्यात्। सिषेद्ध। सिषेधिय।

45.रध---आदिभ्य : च =रध् , नश् , तृप् ,दृप् ,द्रुह् ,मुह् , ष्णुह् , ष्णिह् --- एभ्य :वलार्धधातुकस्य वा इट् स्यात्। ररन्धिथ। ररद्ध।

46.निर : कुष : =निर : परात् कुष : वलादे : आर्धधातुकस्य इट् व स्यात्। निष्कोषिता , निष्कोष्टा।

47.इट् निष्ठायाम् =निर : कुष : निष्टायां इट् स्यात्। यस्य विभाषा इति निषेधे प्राप्ते पुनर्विधि :।

48.तीष---सह---लुभ----रुष---रिष : =रोषिता। रुष्टा।

49.सन्---ईवन्त---ऋध---भ्रस्ज---दन्भु---श्रि---स्वृ---यू---ऊर्णु---भर---ज्ञपि---सनाम् =इवन्त---आदीनां द्वन्द्व :। इव् अन्ते येषां ते इवन्ता :। इवन्तेभ्य : ऋधादिभ्य : च सन् ईट् वा स्यात्। सुस्यूषति। सिसेविषति।

50.क्लिश : क्त्वा---निष्ठयो : =इट् व स्यात्। क्लिश उपतापे। क्लिशित :। क्लिष्ट :।   

51.पूङ : च =पवित :। पूत :। क्त्वा---निष्ठयो : पूङ : इट् वा स्यात्।

52.वसति---क्षुधो : इट् =आभ्यां क्त्वा---निष्ठयो : नित्यम् इट् स्यात्।

53.अङ्चे : पूजायाम् =अञ्चित :। गतौ तु अक्त :।

54.लुभ : विमोहने =लुभित : गार्घ्ये तु लब्ध :।

55.जॄ---वृश्च्यो : क्त्वि =आभ्यां परस्य क्त्वा सेट् वा स्यात्। जरित्वा। जरीत्वा। वृश्चित्वा।

56.उदितो वा =उदित : परस्य क्त्वा सेट् वा स्यात्। शमिता। शन्त्वा। द्यूत्वा। देवित्वा।

57.सोऽसिचि कृत---चृत---छृद---नृत : =एभ्य : परस्य सिच्---भिन्नस्य सादे : आर्धधातुकस्य इट् वा स्यात्। नर्तिष्यति। नर्त्स्यति। अनर्तीत्।

58.गमे : इट् परस्मैपदेषु = गमिष्यति।

59.न वृद्भ्य : चतुर्भ्य : =एभ्य : सकारादे : आर्धधातुकस्य इट् न स्यात् तङ्---आनयो : अभावे।वर्त्स्यति। अवृतत्।

60.तासि च कॢप : =कॢपे : परस्य तासे : सकारादे : आर्धधातुकस्य च इट् न स्यात् तङ्---आनयो : अभावे। कल्प्तासि। कल्प्तास्थ।

61.अचस्तावत् थल्यनिट : नित्यम् =उपदेशे अच्---अन्त : य : धातु : तासौ नित्यम् अनिट् तत : परस्य थल इट् न स्यात्।

62उपदेशे अत्वत : =उपदेसे अकारवत : तासौ नित्यम् अनिट : परस्य थल् इट् न स्यात्।

63.ऋत : भारद्वाजस्य =तासौ नित्यम् अनिट : ऋत्---अन्तात् एव थल : न इट् भारद्वाजस्य मतेन। तेन अन्यस्य स्यात् एव।

64.बभूथ---आततन्थ---जगृभ्म---ववर्थ इति निगमे =विद्मा तमुत्सं यत्र आबभूथ। येनान्तरिक्षम् उर्वाततन्थ। जगृभ्मा ते दक्षिणाम् इन्द्र हस्तम्। त्वं ज्योतिषा वितेमा ववर्थ।

65.विभाषा सृजि दृशो : =आभ्यां थल इट् वा। दद्रष्ठ। ददर्शिथ।

66.इडत्त्यर्तिव्ययतीनाम् =अत्---ऋ---व्येञ् एभ्य : थल : नित्यम् इट् स्यात्।आरित। अरिष्यति।  गृ =जग्रिव।

67.वस्वेकाजाद्घसाम् =कृतद्विर्वचनानाम् एकाचां अत् अन्तानां घसे : च वसो : इट् , नान्येषाम्। एकाच् =आदिवान्। आत् =ददिवान्। जक्षिवान्। एषां किम् ? बभूवान्।

68.विभाषा गम---हन---विद---विशाम् =एभ्य : वस्वो : इट् वा। जग्मिवान्। जगन्वान्। जघ्निवान्। जघन्वान्। विविदिवान्। विविद्वान्। विविशिवान्। विवश्वान्।

69.सनिंससानिवांसम् =सनिम् इति एतत् पूर्व सनते : स्नोते : वा क्वसो : इट् एत्व अभ्यास लोप अभाव श्च निपात्यते। अञ्चित्वाग्ने सनिंससनिवाम्सम्।

70.ऋत्---हनो : स्ये =भरिष्यति।

71.अञ्जे : सिचि =अञ्जे : सिच :नित्यम् इट् स्यात्। आञ्जीत्।

72.सु---सु---धूञ्भ्य : परस्मैपदेषु =एभ्य : सिच : इट् स्यात् परस्मैपदेषु। असावीत्।

73.यम---रम---नमातां सक् च =एषां सक् स्यात् एभ्य सिच् इट् स्यात् परस्मैपदेषु। अधासीत्।

74.स्मि---पूङ्---ऋ---अञ्ज्---वशां सनि =सिस्मयिषते। पिपविषते। अञ्जिजिषति।

75.किर : च पञ्चभ्य : =कॄ , गॄ ,दृङ् , धृङ् , प्रच्छ एभ्य : सन् इट् स्यात्। पिपृच्छिषति।

76.रुदादिभ्य : सार्वधातुके =रुद्---स्वप्---श्वस्---अन्---जक्ष् एभ्य : वलादे : सार्वधातुकस्य इट् स्यात्। रोदिति। रुदित :। हौ परत्वात् इटि धित्वं न। रुदिहि।

77.ईश : से and 78.ईड---जनोर्ध्वे च =ईश्---ईड्---जनां सेध्वेशब्दयो : सार्वधातुकयो : इट् स्यात्। योगविभाग : वैचित्र्यार्थ :। ईडिषे। ईडिध्वे। ईश् =ईष्टे। ईशिषे।

79.लिङ : सलोप : अनन्त्यस्य =सार्वधातुक---लिङो : अनन्त्यस्य सस्य लोप : स्यात्। इति सकार--द्वयस्यापि निवृत्ति :।सुट : श्रवणं तु आशीर्लिङि।स्फुटतरं तु तत्र आत्मनेपदे।

80.अतो येय : =अत : परस्य सार्वधातुक---अवयवस्य या इति नस्य इय् स्यात्। गुण : य लोप :। भवे। सार्वधातुके किम् ? चिकीर्ष्यात्।

81.आत : ङित : =अत : परस्य ङिताम् आकारस्य इय् स्यात्। एधेते। एधन्ते।

82.आने मुक् =रममाण :।

83.ईत् आस : आस : परस्यानस्य ईत् स्यात्। आसीन :।

84.अष्टन आ विभक्तौ =अष्टन आत्वं स्यात् हल्---आदौ विभक्तौ। अष्टाभि :।

85.राय : हलि =रै शब्दस्य आकार : अन्त आदेश : स्यात् हलि विभक्तौ। अचि आय्---आदेश :। रा: रायौ राय :।

86.युष्मद्---अस्मदो : अनादेशे =अनयो : आकार : स्यातनादेशे हल्---आदौ विभक्तौ। युवाभ्याम्। आवाभ्याम्। युष्माभि :। अस्माभि :।

87.द्वितीयायां च =युष्मद्---अस्मदो : आकार : स्यात्। वाम्। माम्। युवाम्। आवाम्।

88.प्रथमाया : च द्विवचने भाषायाम् =इह आकार---अन्त---आदेश : स्यात्। औङ् इति एव सुवचम्। भाषायां किम् ? युवम् वस्त्राणि। युवाम्। आवाम्।

89.योऽचि =अनयो : आकार---अदेश : स्यात् अनादेशे अच्---आदौ परत :। त्वया। मया।

90.शेषे लोप : =आत्वयवत्व----निमित्तेतर----विभक्तौ परत  युष्मदस्मदो : अन्त्यस्य लोप : स्यात्। अत : गुणॆ। अमि पूर्व :। त्वम्। अहम्। परम्त्वम्। पर्माहम्। अतित्वम्। अत्यहम्।:

91.मपर्यन्तस्य =इति अधिकृत्य।

92.युवा---आवौ द्विवचने =द्वयो : उक्तौ युष्मद्---अस्मदो : मपर्यन्तस्य युवा---आवौ स्त : विभक्तौ।

93.यूय---वयौ जसि =स्पष्टम्। यूयम्। वयम्।

94.त्व---अहौ सौ =युष्मदस्मदो : मपर्यन्तस्य त्व---अह इति एतौ आदेश : स्यात् सौ परे।

95.तुभ्य---मह्यौ ङयि = अनयो : मपर्यन्तस्य तुभ्य---मह्यौ स्त : ङयि।

96.तव---ममौ ङसि =अनयो : मपर्यन्तस्य तव---ममौ स्त : ङसि।

97.त्वामौ एकवचने =एकस्य---उक्तौ युष्मदस्मदो : मपर्यन्तस्य त्वामौ स्त :।

98.प्रत्यय---उत्तर---पदयो : च् =मपर्यन्तस्य एकार्थयो : त्वामौ स्त :प्रत्यये उत्तरपदे च। त्वदीय :। मदीय :। (refer 3rd सूत्र of 3rd पाद of 4th अध्याय :।)

99.त्रि---चतुरो : स्त्र्यां तिसृ---चतसृ =स्त्रीलिङ्गयो: एतयो : एतौ आदेशौ स्त : विभक्तौ परत :।

100.अचि च ऋत : =तिसृ---चतसृ एतयो : ऋकारस्य रेफादेश : स्यात् अचि। गुणदीर्घानाम् अपवाद :। तिस्र :।

101.जराया जरस् अन्यतरस्याम् =जरा शब्दस्य जरस् वा स्यात् अच्---आदौ विभक्तौ।  

102.त्यदादीनाम : =एषामाकार : अन्त आदेश : स्यात् विभक्तौ।

103.किम : क : स्यात् विभक्तौ =

104.कु तिहो : =किम : कु स्यात्स्तादौ हादौ च विभक्तौ परत :। कुत :।कस्मात्।यत : तत :।इत :। अमुत :।

105.क्काति -किम : कादेश : स्यात् अति। क्व। कुत्र। (refer 12th सूत्र of 2nd पाद of 5th अध्याय :।

106.तदो : सावनन्त्ययो :  =स्त् आदीनां तकार---दकारयो : अनन्त्ययो : स : स्यात् सौ परे। त् यौ त्ये =स : तौ ते। परमस : परमतौ परमते।

107.अदस औ सुलोप : च =अदस : औकार : अन्तादेस : स्यात् सौ परे सु लोप : च। दद : स : सौ इति दस्य स :। असौ।

108.इदमो म : =इदम : म : स्यात् सौ परे। त्यदाद्य त्वापवाद :।

109.द : च =इदम : दस्य म : स्यात् विभक्तौ। इमौ इमे। त्यदादे : न संबोधनं न अस्ति इति

उत्सर्ग :।

110..य : सौ = इदम : दस्य य : स्यात् सौ। इयम्। त्यदाद्यत्वं टाप् दश्च म इति इमे इमा :।

111.इद : अय् पुंसि =इदम इद अय् स्यात् सौ पुंसि सो : लोप :। अयम्। त्यदाद्यत्वं पररूपत्वम् च।

112.अनाप्यक : =अककारस्य इदम : इद : लोप : स्यात्। आपि विभक्तौ। आप् इति टाप् आरभ्य सुप : पकारेण प्रत्याहार : । अनेन। अनया। आभ्यां आभि :।

113.हलि लोप : =अककारस्य इदम : इद : लोप : स्यातापि हलादौ। ककार योगे अयकम् ,इमकम् , इमके।

114.मृजे : वृद्धि : =मृजे : इक : वृद्धि : स्यात् धातु---प्रत्यये परे। मार्ष्टि। मृष्ट : मार्जन्ति।

115.अच : ञ्णिति =ञिति णिति च परे अच्---अन्त---अङ्गस्य वृद्धि : स्यात्। सखायौ। सखाय :।

116.अत : उपधाया : =उपधाया : अत : वृद्धि : स्यात् ञिति णिति च प्रत्यये परे। चखाद।

117.तद्धितेषु अचामादे : =ञिति णिति च तद्धिते परे अचामादे : अच : वृद्धि : स्यात्।

118.किति च =किति च तद्धिते परे तथा अश्वपते : अपत्यादि =आश्वपतम्। गाणपतम्। गाणापत्य : मन्त्र : इति तु प्रामादिकम् एव।

 

                                            । इति द्वितीय : पाद : समाप्त :। Pro.Total =3262 + 118 =3380.                      

 

                                                           श्री पाणिनि---हृदयम् सप्तम---अध्याय : तृतीय---पाद :

 

1.देविका---शिशपा---दित्यवाट्---दीर्घसत्र---श्रेयसाम् आत् =एषाम् पञ्चानां वृद्धि---प्राप्तत्व---आदे : अच : स्यात् ञिति णिति किति परे। दाविकम्। देविका मूले भवा : शालय : दाविकाकूला :। शिंसपाया विकार : शांशप : चमस :। पलाशादिभ्य : अञ। दित्यौह इदम् दात्यौहम्। दीर्घसते भवम् दार्घसत्रम्। श्रेयसि भवम् श्रायसम्।

2.केकय---मित्रयु---प्रलयानां यादे : इय : =एषाम् यकार---आदे : इय् आदेश : स्यात् ञिति णिति किति च तद्धिते परे। कैकेयी। मैत्रेयिकया लभ्यते मित्रयूणां भावेन लभ्यते। प्रलयात् आगतम् =प्रालेयम्।

3.न य्वाभ्यां पद---अन्ताभ्यां पूर्वौ तु ताभ्याम् ऐच् =पद---अन्ताभ्यां यकार वकाराभ्यां परस्य न

व्रूद्धि : परन्तु पूर्वौ क्रमात् ऐचौ आगमौ स्त :। वैयासकि :। वारुडकि :।

4.द्वार---आदीनां च =(refer 15th सूत्र of 3rd पादof 4th    अध्याय :।)  द्वार् , स्वर् , व्यल्कश : , स्वस्ति , स्फयकृत् , स्वादु , मृदु , श्वस् , श्वन् , स्व एषां न वृद्धि : ऐच् आगम : च =शौवस्तिकम्।

5.न्यग्रोधस्यच केवलस्य =अस्य न वृद्धि : ऐच् आगम : च। नैयग्रोधम्।

6.न कर्मव्यतिहारे =अत्र ऐच् न स्यात्। व्याव्क्रोशी। व्यावहासी।

7.स्वागत---आदीनां च =ऐच् न स्यात्। स्वागतिक :। स्वाध्वरिक :। स्वाङ्गि :। व्याङ्गि : ।व्याडि :। व्यावहारिक :। स्वपतेयम्।

8.श्वादे ; इञि =ऐच् न। श्वभस्त्रस्य अपत्यम् =स्वाभस्त्रि :। श्वादंष्ट्रि :। इकार---आदौ इचि वाच्यम्। श्वगणेन चरति श्वागणिक :। श्वागणिकी। श्वगणिक :। श्वगणिकी।

9.पद-अन्तय्स्य---अन्यतरस्याम् =श्वादे : अङ्गस्य पद शब्दस्य अन्तस्य ऐच् वा स्यात्। श्वापदे : इदं श्वापदम्। शौवापदम्।

10.उत्तर---पदस्य च =अधिकार : अयम्।

11.अवववात् ऋतो : =अवयववाचिन : पूर्वपदात् य्तुवाचिनाम् अचाम् आदे : अच : वृद्धि :स्यात् ञिति णिति किति च तद्धिते परे। पूर्ववार्षिक :। अपरहैमन :।

12.सुसरवार्धात् जनपदस्य च =सुपाञ्चालक :। सर्वपाञ्चालक :। अर्धपाञ्चालक :। जनपद्---तत्---अवध्यो : इति वुञ्।

13.दिस : अम्द्राणाम् =दिक् वाचकात् जनपदवाचिन : वृद्धि :। पूर्वपाञ्चालक :। दिश  किम् ? पूर्वपञ्चालानाम् अयं पौर्वपाञ्चाल :। अम्द्राणां किम् ? पौर्वमद्र :। योगविभाग : उत्तर---अर्थ :।

14.प्राचां ग्राम---नगराणाम् =दिश : परेषां ग्राम----नगरवाचिनां अङ्गानाम् अवयवस्य च वृद्धि : । पूर्वेषुकामशम्यां भव : पूर्वेषुकामशम :। नगरे =पूर्वपाटलिपुत्रक :।

15.संख्याया : संवत्सरस्य---संख्यस्य च = संख्याया : उत्तर---पदस्य वृद्धि : स्यात् ञित्---आदौ परे। द्विसांवत्सरिक :। द्विषाष्टिक :।

16.वर्षस्य अभविष्यति =उत्तरपदस्य वृद्धि : स्यात्। द्वि---वार्षिक : मनुष्य :। द्वैवर्षिक :।द्वैवार्षिक :।

17.परिमाण---अन्तस्य असंज्ञा---शाणयो : =द्वौ कुडवौ प्रयोजनम् अस्य द्विकौडविक :। द्वाभ्यां सुवर्णाभ्यां क्रीतं द्विसौवर्णिकम्। द्विनैष्किकम्। असंज्ञेति किम् ? पञ्चकलाप : परिमाणम् अस्य पाञ्चकलापिकम्। द्वैशाणम्। द्वैकुलिजिक :।

18.जे प्रोष्ठपदानाम् =प्रोष्ठपदानाम् उत्तरपदस्य अचाम् आदे : वृद्धि : स्यात् जातार्थे ञिति णिति किति च । प्रोष्ठपदासु जात : प्रोष्ठपाद : माणवक :।

19.हृद्भगसिन्ध्वन्ते पूर्वपदस्य च =स्पष्टम्। सौहार्दम्। सौभागिनेय :। साक्तुसैन्धव :।

20.अनुशतिकानां च =एषाम् उभय---पद---वृद्धि : स्यात्। ञिति णिति किति च। आधिदैविकम्। आधिभौतिकम्। ऐहलौकिकम्। पारलौकिकम्।

21.देवताद्वन्द्वे च =अत्र पूर्वोत्तरपदयो : आद्ययो : वृद्धि : स्यात् ञित् आदौ। आग्निमारुतम्।

22.नेन्द्रस्य परस्य =परस्य इन्द्रस्य वृद्धि : न स्यात्। सौमेन्द्र :। परस्य किम् ? ऐन्द्राग्न :।

23.दीर्घात् च वरुणस्य =दीर्गात् परस्य वरुणस्य न वृद्धि :। ऐन्द्रावरुणम्। दीर्गात् किम् ? आग्निवारुणम्। आग्नीवारुणीम् अनड्वाहीम् आलभेत।

24.प्राचां नगर---अन्ते =प्राचां देसे नगरान्ते अङ्गे पूर्वपदस्य उत्तरपदस्य च अचाम् आदे  : अच :

वृद्धि : ञित्---आदौ । सुह्मनगरेभव : सौह्मनागर :। पौर्वनागर :।

25.जङ्गल---धेनु---वलज---आन्तस्य विभाषितम् उत्तरम् =जङ्गल आद्यन्तस्य अङ्गस्य पूर्वपदस्याचामादे : अच : वृद्धि : उत्तरपदस्य व ञित्---आदौ । कौरुजाङ्गलम्। कौरुजङ्गलम्।वैश्वधेनवम्। वैश्वधैनवम्। सौवर्णवलजम्। सौवर्णवालजम्।

26.अर्धात् परिमाणस्य पूर्वस्य तु वा =अर्धात् परिमाण वाचकस्य उत्तरपदस्य आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ञिति णिति किति च । अर्धद्रोणेन क्रीतम् =अर्धद्रौणिकम्। आर्धद्रौणिकम्।

27.नात : परस्य =अर्धात् परस्य परिमाणकारस्य वृद्धि : न पूर्वपदस्य तु वा ञित्---आदौ अर्धप्रस्थिकम्। आर्धप्रस्थिकम्। अत : किम् ? आर्धकौडविकम्।

28.प्रवाहणस्य ढे =प्रवाहण सब्दस्य उत्तरपदस्य अचाम् आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ढे परे  =प्रवाहणस्य अपत्यं प्रावाहणेय :। प्रवाहणेय :।

29.तत्प्रत्ययस्य च =दान्तस्य प्रवाहणस्य उत्तरपदस्य आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा। प्रवाहणेयस्य अपत्यं प्रवाहणेयि :। प्रावाहणेयि :।

30.नञ : शुचि---ईश्वर---क्षेत्रज्ञ---कुशल---निपुणानाम् =नञ : परे एषाम् शुचि---आदि पञ्चानाम् अदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ञित्----आदौ परे। आशौचम्। अशौचम्। आनैश्वर्यम्। अनैश्वर्यम्। आक्षेत्रज्ञम्। अक्षेत्रज्ञम्। आकौशलम्। अकौशलम्। आनैपुण्यम्। अनैपुण्यम्।

31.यथातथ---यथापुरयो : पर्यायेण =आयथातथ्यम्। अयथातथ्यम्। आयथापूर्यम्। अयथापूर्यम्।

32.हन : त अचिण्---णलो : =हन्ते : तकार : अन्त---आदेस : स्यात् चीण्---णल् वर्जे ञिति णिति किति। कंसम् अजीघतत्।

33.आत : युक् चिं---कृतो : =आत्----अन्तानां युक् आगम : स्यात् चिणि ञिति णिति कृति च । दायिता। दाता। दायियिषीष्ट। अदायि।

34.न उदात्त---उपदेशस्य मान्तस्य अनाचमे : =उपधाया वृद्धि : न स्यात् चीणि ञिति णिति कृति च। अशमि। अदमि। उदात्त उपदेशस्य किम् ? आगामि। मान्तस्य किम् ?अवादि। अनाचमे : किम् ? आचामि।

35.जनि---वध्यो : च =स्पष्टम्। अजनि।(नैषधम्) अवधि।

36.अर्ति---ह्री---व्ली---री---क्नूयी---क्ष्माय्यातां पुक् अणौ =एषां णिति पुक् आगम :।

37.शाच्छासाह्वाव्यविपां युक् =एषां णिति युक् स्यात्। शाययति। ह्वावयति।

38.वो विधूनने षुक् =वाते : जुक् स्यात् णौ कम्पार्थे। वाजयति। कम्पे किम् ? केशान् वापयति।

39.लीलो : नुक् लुकौ अन्यतरस्यां स्नेहविपातने =लीयते लाते : अ क्रमात् नुक् लुकौ आगमौ वा

स्त : णौ स्नेहद्रवे। विलीनयति। विलालयति। विलापयति वा घृतम्। स्नेहद्रवे किम् ? लोहं विलापयति। विलाययति।

40.भिय : हेतुभये षुक् =भी ई इति ईकार : प्रश्लिष्यते। ईकार---अन्तस्य भिय : षुक् स्यात् णौ हेतुभये। भीषयते।

41.स्फायो व : =णौ। स्फावयति।

42.शदे : अगतौ त : =शदे : णौ त अन्त----आदेश : स्यात्। शातयति। गतौ तु गा: शादयति

गोविन्द : । गमयति इति अर्थ :।

43.रुह : पोऽन्यतरस्याम् =णौ रोहयति। रोपयति।

44.प्रत्ययस्थात् कात् पूर्वस्यात इदाप्यसुप : =प्रत्ययस्थात् ककारपूरस्य अकारस्य इकार : स्यात् अपि परे स आप् सुप् पर : न् चेत्। सर्विका। कारिका। अत : किम् ? नौका। प्रत्ययस्थात् किम् ? शक्नोति इति शका। असुप : किम् ?बहुपरिव्राजिका नगरी। कात् किम् ? नन्दना। पूर्वस्य किम् ? परस्य मा भूत्। कटुका। तपर : किम् ? राका। आपि किम् ? कारक :।

45.न यासयो : =यत्तदो : अस्येन्न स्यात्। यका। सका। यकाम्। स्काम्।

46.उदीचामात : =यकपूर्वस्य स्त्रीप्रत्ययाकारस्य स्थाने य : अकार : तस्य कात् पूर्वस्य इत् वा स्यात् अपि। शुभं याति इति शुभंया :। अज्ञाता शुभंया : शुभंयिका। के अण इति ह्रस्व :। आर्यका। आर्यिका। चटकका। चटकिका। अत : किम् ? सांकाशयिका। यकेति किम् ? अश्विका।

47.भस्त्रौषाजाज्ञाद्वास्वा नञ् पूर्वाणामपि =स्वेत्यन्त---लुप्त---षष्ठीकं पदम्। एषाम् अत इत् वा स्यात्। भस्त्रा ग्रहणम् उपसर्जनार्थम्। अनेषका। परमैषका। निर्भस्त्रका।

48.अभाषितपुंस्कात् च =एतस्मात् विहितस्य अत : स्थाने अत : इत् वा स्यात्। गङ्गका। गङ्गिका।अज्ञाता अखट्वा अखट्विका। शैषिके कपि विकल्प : एव।

49.आत् आचार्याणाम् =पूर्वसूत्रविषये आत् वा स्यात्। गङ्गाका। गङ्गिका। उक्तपुंस्कात् तु शुभ्रिका।

50.ठस्य इक : =वैदिक :। लौकिक :।

51.इसुसुक्तान्तात् क :=इस् ,उस् , उक् , त् एतत् अन्तात् परस्य ठस्य क : स्यात्। उदकेन श्वयति वर्धते इति उदश्वित्। तत्र संस्कृत : औदश्वित्क : , औदश्वित :। इस्---उसो : प्रतिपद---उक्तयो : ग्रहणात् न इह। आशिषा चरति आशिषिक :। उषा चरति औषिक :। दोष : उपसंख्यानम्। दोर्भ्यां चरति

दौष्क :।

52.चजो : कु घिण्ण्यतो : =कुत्वं स्यात् घिति ण्यति च प्रत्यये परे। मृजे : वृद्धि : मार्ग्य :।

53.न्यङ्क्कादीनां च = कुत्वं स्यात्। न्यङ्कु :। वौ अञ्चे : इति उ प्रत्यय :।

54.हो हन्ते : ञ्णिन्नेषु =ञिति णिति च प्रत्यये तकारे च परे हन्ते : नकारस्य कुत्वं स्यात्। प्रहण्यात्।(refer 22nd सूत्र of 4th पाद of 8th adhyaaya :|) (not in प्रघ्नन्ति।)

55.अभ्यासात् च =अभ्यासात् पर्स्य हन्ते : हस्य कुत्वं स्यात्। जघनिथ। जघन्थ। हन्ता।

56.हे : अचङि =अभ्यासात् परस्य हिनोते : हस्य कुत्वं स्यात् न तु चङि =जिघाय।

57.सन्लिटो : जे : =जयते : सन्---लिट्---निमित्त : य : अभ्यास : तत : परस्य कुत्वं स्यात्। जिगाय। जिग्यतु : जिग्यु :।

58.विभाषा चे : =अभ्यासात् परस्य चिञ : कुत्वं वास्यात् सनि लिटि च। प्रणिचिकाय। चिचाय। अचैषीत्। अचेष्ट।

59.न क्कादे : =क्कादे : धातो : च कुत्वं न। गर्ज्यम्।

60.अजि---व्रज्यो : च =समाज :। परिव्राज :।

61.भुज---न्युब्जौ पाणि---उपतापयो : = भुज्यते अनेन इति भुज : पाणि :। नुब्जन्ति अस्मिन् इति न्युब्ज : उपताप : =रोग :।

62.प्रयाज---अनुयाजौ यज्ञ---अङ्गे =प्ञ्चप्रयाजा :। त्रय : अनुयाजा :। These two are performed in इष्टि। अनुयाज is performed at last. The explanation for these was given by my father on 23-08-1990.

63.वञ्चे : गतौ =वञ्च्यम्। गतौ किम् ? वङ्क्यम् =काष्ठम्।

64.ओक : उच : के =उच : गुण कुत्वे निपात्येते के परे। ओक : शकुन्त---वृषलौ।

65.ण्य आवश्यके =कुत्वं न। अवश्यपाच्यम्।

66.यज---याज---रुच---प्रवचर्च : च =ण्ये कुत्वं न। याज्यम्। याच्यम्। शोच्यम्। प्रवाच्यम् =ग्रन्थ----विशेष :। अर्च्यम्।

67.वच :अशब्दसंज्ञायाम्। वाच्यम्। शब्दसंज्ञायाम् =वाक्यम्।

68.प्रयोज्य---नियिज्यौ शक्यार्थे =प्रयोक्तुं शक्य : प्रयोज्य :। नियोक्तुं शक्य :  नियोज्य : =भृत्य :।

69.भोज्यं भक्ष्ये =भोग्यम् अन्यत्।

70.घो : लोप : लिटिवा =दधद्रत्नानि दाशुषे। सोमोददद्गन्धर्वाय।

71.ओत : श्यनि =लोप : स्यात् श्यनि। श्यति श्यत् : श्यन्ति।

72.क्सस्य अचि =अच्---आदौ तङि क्सस्य लोप : स्यात्। ग्लहत्ते। घुषि कान्तिकरणे। घुंषते।

73लुक् वा दुह---दिह---लिह---गुहाम् आत्मनेपदे दन्त्ये =एषां क्सस्य लुक् वा स्यात् दन्त्ये तङि।ढत्व---धत्व---ष्टुत्व---ढ लोप दीर्घा : =अगूढ। अघुक्षत।

74.शमाम् अष्टानां दीर्घ : =शमादीनाम् इति अर्थ :।प्रणिशाम्यति।तमु काङ्क्षायाम् =ताम्यति।

75.ष्तिवु---क्लमु---चमां किति =एषामच : दीर्घ : स्यात् शिति। अचमीत्।

76.क्रम : परस्मैपदेषु =क्रमे : दीर्घ : स्यात् परस्मैपदे शिति। क्राम्यति।

77.इषु---गमि---यमां छ : =एषां छ : स्यात् शिति परे। इच्छति। गच्छति। यच्छति।

78.पा---घ्रा---ध्मा---स्था---म्ना---दाण्---दृशि---अर्ति---सर्ति---शद---सदां  पिब---जिघ्र---धम---तिष्ठ---मन---यच्च---पश्य---ऋच्छ---धौ---शीय---सीदा : =पा आदीनां क्रमात् पिब---आदय : आदेशा : स्यु : शिति। सीदति।

79.ज्ञा---जनो : जा =अनयो : जा आदेश : स्यात् शिति। जायते।

80.प्वादीनां ह्रस्व : =शिति परे। पुनाति।

81.मीनाते : निगमे =शिति ह्रस्व :। प्रमिणन्ति व्रतानि। लोके प्रमीणन्ति।

82.मिदे : गुण : =मिदे : गुण : स्यात् इत् संज्ञक---शकारादौ। एश आदिशित्वाभावात् न अनेन गुण :। मिमिदे।

83.जुसि च =अच्---आदौ जुसि इक् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्।अजागरु :। अच् आदौ किम् ? जागृयु :।

84.सार्वधातुक---आर्धधातुकयो : =अनयो : परयो : इक् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्। अव---आदेश : ।

भवति। भवत :।

85.जाह्र : अविचिण्णल्ङित्सु =जागर्ते : गुण : स्यात् वि चिण्णल्ङिद्ब्य : अन्यस्मिन् वृद्धि---विषये प्रतिषेध---विषये च। वि चिण् णल्ङितेषाम् द्वन्द्वे नञ् समास :। वि =जागृवि :। चिण् =अजागारि। णल् =जजागार। ङित् =जागृत :। वृद्धिविषये यथा =ण्वुलि जागरक :। प्रत्षेधविषये यथा =

जजागरतु :।

86.पुक् अन्त लघु---उपधस्य च =पुगन्तस्य लघूपधस्य च अङ्गस्य इक : गुण : स्यात् सार्वधातुक---आर्धधातुकयो :। भविता।

87.न अभ्यस्तस्य अचि पिति सार्वधातुके =लघूपध गुण : न स्यात्। नेनिजानि। अनेनेक्। अनेनिक्ताम्। अनेनिजु :।

88.भू---स्रुवो : तिङि =न गुण : स्यात्। अभूताम्।

89.उत : वृद्धि : लुकि हलि =लुक् विषये उकारस्य वृद्धि : स्यात् पिति हलादौ सार्वधातुके। यौति युत : युवन्ति।युवाव। यविता। युयात् इह  " उत : वृद्धि : न् , भाष्ये पित्च ङित् न , ङित् च पित् न इति व्याख्यानात्। विशेष----विहितेन ङित्वेन पित्त्वस्य बाधात्। यूयात्। अयावीत्।

90.ऊर्णोते : विभाषा =वा वृद्धि : स्याथलादौ पिति सार्वधातुके। ऊर्णौति , ऊर्णोति।

91.गुण : अपृक्ते =ऊर्णोते :गुण : स्यात् अपृक्ते हलादौ पिति सार्वधातुके। वृद्धि---अपवाद :। और्णोत्। और्णो :। ऊर्णुयात्।

92.तृणाह इम् =तृह : श्नमि कृते इम् आगम : स्यात् हलादौ पिति। तृणोढि तृणुढ :।

93.ब्रुव् ईट् =ब्रुव : परस्य हलादे :पित : ईट् स्यात्। ब्रवीति।

94.यङ : वा =यङन्तात् परस्य हलादे : पित : सार्वधातुकस्य ईट् वा स्यात्। बोभवीति। बोभोति।

95.तुरुस्तुशम्यम : सार्वधातुके =तु---रु---स्तु---शमि---अम्---एभ्य : परस्य सार्वधातुकस्य हलादे :

तिङ : ईट् वा स्यात्। तु : सौत्र : धातु :। रवीति। हलादे : किम् ?रुवन्ति। तिङ : किम् ? शाम्यति। सार्वधातुके किम् ? आशिषि स्यात्। रुवीयात्। अरावीत्।

96.अस्ति---सिच : अपृक्ते =अभूत्। हल : किम् ?। ऐधिषि। ऐक्षिषि। अपृक्तस्य इति किम् ? ऐधिष्ट। अभूताम्।

97.बहुलं छन्दसि =सर्व मा इदम् आसीत् इति प्राप्ते गुण : ह्र्स्वस्य।

98.रुद : च पञ्चभ्य : =हलादे : पित :सार्वधातुकस्य अपृक्तस्य ईट् स्यात्। 98.अङ् गार्ग्य---गालवयो : =अरोदीत्।

100.अद : सर्वेषाम् =अद : परस्य अपृक्तसार्वधातुकस्य अट् आग म : स्यात् सर्वमतेन। आदत् आत्ताम् आदन्।

101.अत : दीर्घ : अयञि =अत् अन्तस्य अङ्गस्य दीर्घ : स्यात् अयञ् आदौ सार्वधातुके परे। भवामि। भवाव :। भवाम :।

102.सुपि च =यञ् आदौ परे अत : अङ्गस्य दीर्घ : स्यात्। रामाभ्याम्।

103.बहुवचने झलि एत् =झल्---आदौ बहुवचने सुपि परे अत : अङ्गस्य एकार : स्यात्। रमेभ्य : किम् ? रामाय। झलि किम् ? रामाणाम्। सुपि किम् ? पचध्वम्।

104.ओसि च =ओसि परे अत : अङ्गस्य ऐकार : स्यात्। रामयो :।

105.आङि च आप : =आङिओसि च परे आप् अन्तस्य एकार : स्यात्। रमया। 

106.संबुद्धौ च =हे रमे हे रमे।

107.अम्बार्थ---नद्यो : ह्रस्व : =अम्बार्थानां नद्यन्तानां च ह्रस्व : स्यात् स्म्बुद्धौ। बहुश्रेयसि। शसि बहुश्रेयसीन्।

108.ह्रस्वस्य च गुण : =हरे।

109.जसि च =हरय :।

110.ऋत : ङि सर्वनामस्थानयो : =ङौ सर्वनामस्थाने च परे ऋत् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्।}

111.घे : ङिति =घि संज्ञकस्य ङिति सुपि च गुण : स्यात्। हरये।

112.आट् नद्या : =नद्यन्तात् परेषां ङिताम् आट् आगम : स्यात्।

113.याट् आप : =आप : परस्य ङित् वचनस्य आट् आगम : स्यात्। वृद्धि : एचि। रमायै।

114.सर्वनाम्न  स्यात् ह्रस्व : च =आप् अन्तात् सर्वनाम्न---परस्य ङित : स्यात् आप: च ह्रस्व : याट : अपवाद :। सर्वस्यै सर्वस्या :।

115.विभाषा द्वितीया---तृतीयाभ्याम् =आभ्यां ङित : यै or आ =द्वितीयस्यै। द्वितीयाभ्याम्।

116.ङे : आम् नद्याम्नीभ्य : =अति लक्ष्मी :। बहुश्रेयस्याम्।

117.इत् उद्भ्याम् =मत्याम्। मतौ।

118.औद : च घे :=

119.आङ नाऽस्त्रियाम् =घे परस्य आङ :ना स्यात् अस्त्रियाम्। हरिणा। अस्त्रियां किम् ? मत्या।

 

                               । इति तृतीय---पाद : समाप्त ।Pro.Total =3380 + 119 =3499     :                         

श्री पाणिनिहृदयम् सप्तम---अध्याय : चतुर्थ---पाद :

 

1.णौ चङ्युपधाया ह्रस्व : =चङ् परे णौ यत्---अङ्गं तय उपधाया ह्रस्व : स्यात्।

2.नाग्लोपि शास्वृदिताम् =णिच्यग्लोपिन : शास्ते : ऋदितां च उपधाया ह्रस्व न स्यात् चङ् परे णौ। अलुलोकत्। वर्तयति। वर्धयति।उदित्वात् वर्तति। वर्धति।

3.भ्राज---भास---भाष---दीप---जीव---मील---पीडाम् अन्यतरस्याम् =एषाम् उपधाया ह्रस्व : वा स्यात् चङ् परे णौ। अपीपिडत् , अपिपिडत्।

4.लोप : पिबते : ईत् च अभ्यासस्य =स्पष्टम्। पिबते : उपधाया लोप : स्यात् अभ्यासस्य

ईत्--- अन्त---आदेश : च चङ् परे णौ। अपीप्यत्।

5.तिष्ठते : इत : =उपधाया इत् आदेश : स्यात् चङ् परे णौ। अतिष्ठिपत्।

6.जिघ्रते : वा =अजिघ्रिपत्। अजिघ्रपत्।

7.उरृत् =अचीकृतत्। अचिकीर्तत्। अवीवृतत्।

8.नित्यं छन्दसि =छन्दसि विषये चङि उपधाया ऋ वर्णस्य ऋत् निय्तम्। अवीवृधत्।

9.दयते : दिगि लिटि =दिगि आदेशेन द्वित्वबाधनम् इष्यते इति वृत्ति :। दिग्ये।

10.उत : च संयोग---आदे : गुण : =ऋत् अन्तात् संयोग---आदे : परयो : लिङ्---सिचो : इट् व स्यात् तङि। स्तरिषीष्ट। स्तृषीष्ट। 

11.ऋत : च संयोग---आदे : =ऋत् अन्तात् संयोग---आदे : परयो : लिङ्---सिचो : इट् वास्यात् तङि। स्तरिषीष्ट। स्तृषीष्ट।अस्तरिष्ट। अस्तृत।

12.ऋच्छत्यृताम् =कित् अर्थं अपि इदं सूत्रं पर्त्वात् अकिति अपि भवति। तौदादिकस्य ऋच्छते : ऋ धातो : ऋतां च गुण : स्यात् लिटि। णलि प्राग्वत् उपधा---वृद्धि :। आर। आरतु : आरु :।

13.के अण : =के पर : अण : ह्रस्व : स्यात् इति प्राप्ते।

14.न कपि =कपि परे ह्र्रस्व : न स्यात्। कल्याणपञ्चमीक : पक्ष :।

15.आप :अन्यतरस्याम् =बहुमालाक :। बहुमालक :।

16.ऋदृशो : अङि गुण : =ऋवर्ण---अन्तानां दृशे : च गुण : स्यात् अङि। अदर्शत्।

17.अस्यते : थुक् =अङि परे।आस्थत्।तङ् तु  " उपसर्गात् अस्यति---ऊह्यो "  इति वाच्यम्। पर्यास्थत।18.श्वयतेर : =श्वयते : इकारस्य अकार : स्यात् अङि। पररूपम्।अश्वत् अश्वताम् अश्वन्।

19.पत : पुम् =अङि परे। अपप्तत्।

20.वच : उम् =अङि परे। अवोचत् , अवोचत।.

21.शीङ : सार्वधातुके गुण : =शेते। शयाते।

22.अयङ् यि क्ङिति =शीङ : अयङ् आदेश : स्यात् यादौ क्ङिति परे। शाशय्यते। अभ्यासस्य ह्रस्व :।

24.एते : लिङि = तत : गुण :। डोढौक्यते। तोत्रौक्यते।

23.उपस्र्गात् ह्रस्व : ऊहते : =यादौ क्ङिति।ब्रह्म समुह्यात्। अग्निं समुह्य।

24.एते : लिङि =इण : अण : ह्रस्व : स्यात् किति लिङि। निरियात्। उभयत आश्रयणे अन्तादिवत्। अभीयात्।

25.अकृत् सार्वधातुकयो : दीर्घ : =अच् अन्तस्य अङ्गस्य दीर्घ : स्यातादौ प्रत्यये परे , न तु कृत्---सार्वधातुकयो :। क्षीयात्। अक्षैषीत्।

26.च्वौ च =च्वौ परे पूर्वस्य दीर्घ : स्यात्। शुचीभवति।

27रीङ् ऋत : =अकृति अकारे असार्वधातुके यकारे च्वौ च परे ऋत् अन्त अङ्गस्य रीङ् आदेश : स्यात्। पित्र्यम्।

28.रिङ् शाय्ग्लिङ्क्षु =शे यकि यात् आर्धधातुकेलिङि च ऋत : रिङ् आदेश : स्यात्। रिङि प्रकृते रिङ्---विधि---सामर्थ्यात् दीर्घ : न। भ्रियात्।

29.गुणोर्तिसंयोगात् यो : =अर्ति संयोगात् ऋत् अन्तस्य गुण : स्यात् यकि यादौ आर्धधातुके लिङि च।

ह्वर्यात्। अह्वार्षीत्। अह्वार्ष्टाम्।

30.यङि च =अर्ते :संयोगाद : च ऋत : गुण : स्यात् यङि यङ्लुकि च। यकार पर रेफस्यन द्वित्व---निषेध : , अरार्यते इति भाष्य---उदाहरणात्। अरारिता। अशारिता। ऊर्णोर्नूयते। बेभिद्यते। बेभिदिता।

31.ई घ्रा---ध्मो : =जेघ्रीयते। देध्मीयते।

32.अस्य च्वौ =अवर्णस्य ईत् स्यात् च्वौ।वे : लोप :। चि अन्तत्वात् अव्ययम्। अकृष्ण : कृष्ण : संपद्यते , तं करोति =कृष्णीकरोति। ब्रह्मीभवति। गङीस्यात्।

33.क्यचि च =अस्य ईत् स्यात्।अत्मन : पुत्रम् इच्छति पुत्रीयति।

34.अश्नायोदन्यतरस्यां बुभुक्षा---पिपासा---गर्धेषु =क्यच् अन्ता : निपात्यन्ते।अश्नायति। उदन्यति। धनायति।बुभुक्षादौ किम् ? अश्नीयति। उदकीयति। धनीयति।

35.न छन्दस्यपुत्रस्य =पुत्र---भिन्नस्य अत् अन्तस्य क्यचि इत्व---दीर्घ : न। मित्रयु :। क्याच्छन्दसि इति उ :।अपुत्रस्य किम् ? पुत्रीयन्त : सुदानव :। अपुत्रादीनाम् इति वाच्यम्। जनीयन्तोन्वग्रव :। जनम् इच्छन्त :  इति अर्थ :।

36.दुरस्यु :---द्रविणस्यु :---वृषण्यति---रिषण्यति =एते क्यचि निपात्यन्ते। भाषायां तु उ प्र्त्यय अभावात् दुष्टीयति। द्रवणियत्। वृषीयति। रिष्टीयति।

37.अश्वस्य---अघस्य अत् =अश्व--- अघ एतयो : क्यचि अत् स्यात् छन्दसि। अश्वायन्तो मघवन्। मात्वा वृका अघायव :।

38.देवसुम्नयो : यजुषि काठके =अनयो : क्यचि च अत् स्यात् यजुषि कठ---शाखायाम्। देवायन्तो यजमाना :। सुम्नायन्तो हवामहे। इह यजु:शब्द : न मन्त्र---मात्र---पर : किन्तु वेदोपलक्षक :। तेन ऋगात्मके अपि मन्त्रे यजुर्वेदस्थे भवति। किं च ऋग्वेदे अपि भवति। स चेत् मन्त्र : यजुषि कठषाखायाम् दृष्ट :। यजुषि इति किम् ? देवान् जिगाति सुम्नयु :। बह्वृचानाम् अप् अस्ति कठ---शखा   तत :  भवति प्रत्युदाहरणम् इति हरदत्त :।

39.कव्यध्वरप्तनस्यर्चि लोप : =एषाम् अन्त्यस्य लोप : स्यात् क्यचि ऋचु ऋग्विषये।सपूर्वयानिविद्द् कव्यतायो :। अध्वर्युं वा मधुपाणिम्। दमयन्तं पृतन्युम्।

40.द्यति---स्यतिमा---स्थाम् इत् ति किति =एषाम् इकार : अन्त्य----आदेश : स्यात् तादौ किति। ईत्वत्भावयो : अपवाद ।दित :। सित :। मा मेङ् माङ् =मित :। स्थित :।

41.शाच्छो : अन्यतरस्याम् =शित : शात :। छित : छात :।

42.दधाते : हि : =तादौ किति। अभिहितम्। निहितम्।

43.जहाते : च क्त्वि =हित्वा। हाङस्तु हात्वा। अदो जग्धि :। जग्ध्वा। (मेघदूतम् पूर्वमेघम् जग्ध्वा अरण्येष्।)

44.विभाषा छन्दसि =हित्वा शरीरम्। हीत्वा वा।

45.सुधित---वसुधित---नेमधित---धिष्व---धिषीय च =गर्भं माता सुधितं वक्षणासु। वसुधितमग्नौ। नेमधितपौंस्या। उत श्वेतं वसुधितं निरेके। धिष्व वज्रं दक्षिण इन्द्र हस्ते।(धत्स्व) सुरेता रेतो धिषीय।(धासीय।)

46.दो दद् घो : =घु संज्ञकस्य दा इति अस्य दत् स्यात् तादौ किति। चर्त्वम्। दत्त :। घो : किम् ? दात :। (दान्त :। धान्त :।)

47.अच् उपस्र्गात् त : =अच् अन्तात् उपसर्गात् त : =अच् अन्तात् उपसर्गात् परस्य दा इति अस्य

घो : अच : त : स्यात् तादौ किति। चर्त्वम्। प्रत्त:।

48.अप : भि =अप : तकार : स्यात् भादौ प्रत्यये परे। अद्भि :। अद्भ्य :।

49.सस्य आर्धधातुके =सस्य स : स्यात् आदौ आर्धधातुके। घत्स्यति। घसतु। अघसत्। घसेत्। लिङ्गाद्याभावात् आशिषि अस्य अप्रयोग :।

50.तासस्त्यो : लोप : =तासे । अस्ते : च लोप : स्यात् स्यादौ प्रत्यये परे।

51.रि च =रादौ प्रत्यये प्राग्वत्। बवितार :। भवितास्थ :। भवितास्थ। भवितासि। भवितास्त :। भवितास्म :।

52.ह एति =तासस्त्यो : सस्य ह : स्यात् एति परे। एधिताहे। एधितास्वहे। एधितास्महे। एधिष्ये। एधिष्यावहे एधिष्यामहे।

53.यीवर्णयो : दीधीवेव्यो : =एतयो : अन्त्यस्य लोप : स्यात् यकारे इ वर्णे च परे। इति लोपं बाधित्वा नित्यत्वात् टे : एत्वं , दीध्ये।

54.सनि मीमाघुरभलभशकपतपदाम् अच : इस् =एषामच : इस् स्यात् सादौ सनि। अभ्यासलोप :। पित्सति।मित्सति , मित्सते।

55.आप्---ज्ञप्यृधाम् ईत् =एषां च ईत् स्यात् सादौ सनि। ईप्सति।

56.दंभ इत् च =धिप्सति। धीप्सति। दंभे : अच : इत् स्यात् ईत् च सादौ सनि।दिदंभिषति।

57.मुच : अकर्मकस्य गुण : वा =सादौ सनि =अभ्यासलोप :। मोक्षते , मुमुक्षते वा वत्स : स्वयम् एव। अकर्मकस्य किम् ? मुमुञ्चति वत्सं कृष्ण :।

58.अत्र लोप : अभ्यासस्य =(सनिमिमा इति आरभ्य---54th सूत्र of this पाद।) यत् उक्तं तत्र अभ्यासस्य लप : स्यात्।अर्धितिम् इच्चति। रपरत्वम्। चर्त्वम्। ईर्त्सति।

59.ह्रस्व : =अभ्यासस्य अच : ह्रस्व : स्यात्।अन्ये हल : लुप्यन्ते।

60.हल्----आदि : शेष : =अभ्यासस्य आदि : हल् लुप्यन्ते।

61.शर्पूर्वा : खय : =हल्---आदि :  शेष : इति अस्य अपवाद :। अभ्यासस्य शर्पूर्वाया : खय : शिष्यन्ते। पस्पर्धे। स्पर्धिता। स्पर्धिष्यते। स्पर्धताम्। अस्पर्धत। स्पर्धेत। स्पर्ध्धीष्ट। अस्पर्धिष्ट।अस्पर्धिष्यत।

62.कुहो : चु : =अभ्यास कवर्ग हकारयो : चवर्ग---आदेश : स्यात्। एधांचक्रे। एधांचक्राते। एधांचक्रिरे।

63.न कवते : यङि =कवते : अभ्यासस्य चुत्वं नस्यात् यङि। " कु शब्दे " कोकूयते।

64.कृषे : छन्दसि =यङि अभ्यासस्य चुत्वं न। करीकृष्यते।

65.दाधर्ति---दर्धर्ति---दर्धर्षि---बोभूतु---तेतिक्ते---अलर्ष्या---आपनीफणत्---संसनिष्यत्---करिक्रत्कनिक्रदत्भरिभ्रत्दविध्वतोदविद्युतत्तरित्रत :: सरीसृपतंवरीवृजन्मर्मृज्यआगनीगन्ति इति च =एते अष्टादशनिपात्यने। अद्या :त्रय : धृङो धारयते :वा। दाधर्ति , दर्धर्ति , दर्धर्षि। भवते : यङ्लुक् अन्तस्य गुण---अभाव :।तेन भाषायां गुण : लभ्यते। बोभूतु। तिजे : यङ्लुक्---अन्तात् तङ्। तेतिक्ते। इयते : लटि हल्---आदि : शेष---अपवाद : रेफस्य लत्वम् इत्व अभाव : च निपात्यते। अलर्षियुध्म खजकृत् पुरन्दर्। फणते : आङ् पूर्वस्य यङ्लुक् अन्तस्य शतरि अभ्यासस्य नीगागम :निपात्य्ते। अन्वा पनीफणत्। स्यन्दे : संपूर्वस्य यङ्लुकि शतरि अभ्यासस्य निक्। धातु---सकारस्य षत्वम्। संसनिष्यदत्। करोते :यङ्लुक् अन्तस्य अभ्यासस्य चुत्वाभाव :। करिक्रत्। क्रन्दे : लुङिच्ले : अङि द्विर्वचनम् अभ्यासस्य चुत्वाभावो निक् आगम : च। कनिक्रदत् वाजिनं वाजिनीषु। The मन्त्र कनिक्रदत् वाजिनं वाजिनीषु comes  in चातुर्मास्यम् aas told by my father. कनिक्रदत् जनुषम्। अक्रन्दीत् इति अर्थ :। बिभर्ते : अभ्यासस्य जश्त्वाभाव :। वि यो भरिभ्रदत् ओषधीषु। ध्वर्अते : यङ्लुक् अन्तस्य शतरि अभ्यासस्य विक् आगम : धातो : ऋकार लोप : च। दविध्वतो रश्मय : सूर्यस्य। द्युते : अभ्यासस्य संप्रसारण---अभवोऽत्वं विक् आगम : च। दविद्युतत् दीद्यत् शोशुचान :। तरत :शतरि श्लौ अभ्यासस्य रिक् आगम :। सहोर्जा तरित्रत :। सृपे : शतरि श्लौ द्वितीयैकवचने रीकागम : अभ्यासस्य।सइसृपतम्। व्जे : शतरि हल्---अभ्यासस्य रीक् वरीवृजन्। मृजे : लिटि णल् अभ्यासस्य रुक् धातो : चयुक्।मर्मृज्या। गमे : आङ् पूर्वस्य लटि श्लौ अभ्यासस्य च्तुव---अभाव : नीक् आगम : च। वक्ष्यन्ती वेदागनीगन्ति कर्णम्।

66.उ : अत् =अभ्यास ऋ वर्णस्य अत् स्यात्प्रत्यये परे। रपरत्वम्। हल्--आदि ; शेष :। उपधाया ऋवर्णस्य स्थाने तूत् स्यात् वा चङ् परे णौ। इरराराम् अपवाद :। अपीपृथत् , अपपर्थत्।

67.द्युति स्वाप्यो : संप्रसारणम् =अनयो : अभ्यासस्य संप्रसारणं स्यात्। दिद्युते। दिद्युताते। द्योदिता।

68.व्यथ : लिटि =व्यथ : अभ्यासस्य संप्रसारणं स्यात् किटि। हल्---आदि शेष---अपवाद :यस्य हलादि शेषेण निव्रूत्ति :। विव्यथे।

69.दीर्घ : इण : किति =इण : अभ्यासस्य दीर्घ : स्यात् किति लिटि। ईयतु : ईयु :।इययिथ , इयेथ। ऐत् ऐताम् आयन्। इयात्। ईयात्।

70.अत : आदे : =अभ्यासस्य आदे : अत : दीर्घ : स्यात्। पररूप---अपवाद :। एधामास।

71.त्स्मात् नुट् द्विहल : =द्विहल : धातो : दीर्घीभूतात् अकारात् परस्य नुट् स्यात्। आन्र्द। आर्हीत्।

72.अश्नोते : च =दीर्गात् अभ्यासात् अ वर्णात् परस्य नुट् स्यात्। आनशे।

73.भवतेर : =भव्ते : अभ्यासस्य ओकारस्य अ स्यात् लिटि। भू भव् अ इति स्थिते। बभूव।

74.सूसवेति निगमे =सूते : लिटि परमैपदं वुक् आगम : अभ्यासस्य च अत्वम् निपात्यते। गृष्टि : ससूव स्थविरम्। सुषुवे इति भाषायाम्।

75.निजां त्रयाणां गुण : श्लौ =

76.भृजाम् इत् =भृञ्---माङ्---ओहाङ् एषां त्रयाणांम् अभ्यासस्य इत् ब्स्यात् श्लौ। बिभर्ति। बिभृत : बिभ्रति।

77.अर्ति---पिपर्त्यो : च =अभ्यासस्य इकार  अन्त---अदेस : स्यात् सौ। पिपूर्त : पिपुरति पपार।

78.बहुलं छन्दसि =अभ्यासस्य इकार : स्यात् छन्दसि। पूर्णं विवष्टि। वशे : एतत् रूपम्।

79.सन्यत : =अभ्यासस्य इकार : स्यात् सनि।

80.ओ : पुयण्ज्यपरे =सनि परे यत् अङ्गं तत् अवयव् अभ्यास ओकारस्य इत्वं स्यात्पवर्ग यण् जकारेषु अ वर्णप्रेषु परत :। अबीभवत्। अपीपवत्। अमीमवत्।

81.स्रवति---शृणोति---द्रवति---प्रवति---प्लवति---च्यवतीनां वा =एषाम् अभ्यासस्य ओकारस्य इत्वं वा स्यात्। असिस्रवत्।

82.गुण : यङ्लुको : =अभ्यासस्य गुण :स्यात् यङि यङ्लुकि च। बोभूयते।

83.दीर्घ : अकित : अकित : अभ्यासस्य दीर्घ : स्यात् यङि यङ्लुकि च। अरारिता। अशाशिता। (refer 30th सूत्र of 4th पाद of 7th अध्याय :।

84.नीग् वञ्चु---स्रंसु---ध्वंसु---भ्रंसु---कस---पत---पद---स्कन्दाम् =एषाम् अभ्यासस्य नीक् आगम : स्यात् यङ्---यङ्लोको :। अकित इति उक्ते  : न दीर्घ  न लोप :। वनीवच्यते। सनीस्रंस्यते। इत्यादि।

85.नुगतो अनुनासिक अन्तस्य =अनुनासिक अन्त अङ्गस्य य : अभ्यास : अत् अन्तस्य नुक् स्यात्। नुका अनुस्वार : लक्ष्यते इति उक्तम्। यँयम्यते। यंयम्यते।

86.जप---जभ--दह---दश---भञ्ज---पशां च =एषाम् अभ्यासस्य नुक् स्यात्। यङ् यङ्---लुको :। गर्हितं जपति जञ्जपति।

87.चर---फलो : च =अनयो : अभ्यासस्य नुक् स्यात् यङ् यङ्लुको :। नुक् इति अनेन अनुस्वार : लक्ष्यते। चञ्चूर्यते। 

88.उत् परस्य अत : =This सूत्र has to be read with the above सूत्र। चञ्चूर्यते।

89.ति च =चर---फलो : उत् स्यात् तादौ किति। प्रफुल्त :। प्रफुल्ल :।

90.रीक् ऋत्---उपधस्य च =ऋत् उपधस्य धातो : अभ्यासस्य रिक् आगम : स्यात् यङ् यङ्लुकि। वरीवृत्यते।

91.रुग्रिकौ च लुकि =ऋत् उपधस्य धातो : अभ्यासस्य रुक् रिक् रीक् एते आगमा : स्यु :यङ्लुकि।

92.ऋत : च =ऋत् अन्तात् धातो : अपि तथा। वरीवर्त :। वर्वृत :। वर्वृतति। वर्वर्तामास।

93.सन्वल्लघुनि चङ्परे अनग्लोपे =चङ्परे इति बहुव्रीहि :।अन्यपदार्थो णि :। स च "अङ्गस्य"  इति च द्वयम् अपि आवर्तते। अङ्गनिमित्तंयत् चङ्परं णि : इति यावत् तत् परं यत् लघु तत्पर : य : अङ्गस्य अभ्यास : तस्य सनिव कार्यंस्यात् णौ अग्लोपे असति।अथवा अङ्गस्य इति नावर्तते। चङ्परे णौ यत् अङ्गं तस्य य : अभ्यास : लघुपर : तस्य इत्यादि प्राग्वत्।

94.दीर्घो लघो : =अभ्यासस्य लघो : दीर्घ : स्यात् सन्वद्भावविषये। अचीक्रमत।

95.अत् स्मृ---दृ---त्वर---प्रथ---म्रद---द---स्तॄ---स्पशाम् =

96.विभाषा वेष्टि---चॆष्टयो : =अभ्यासस्य अत्वं वा स्यात् चङ् परे णौ। अववेष्टत्। अविवेष्टत्।

97.ई च गण : =.गण : अभ्यासस्य ईत् स्यात् चङ् परे णौ। चात् अत्। अजगणत्। अजीगणत्।

 

   । इति चतुर्थ---पाद : समाप्त : । इति सप्तम---अध्याय : समाप्त :।  Pro.Total. = 3499 + 97 =3596.

                                        श्री पाणिनि---हृदयम् सप्तम---अध्याय : तृतीय---पाद :

 

1.देविका---शिशपा---दित्यवाट्---दीर्घसत्र---श्रेयसाम् आत् =एषाम् पञ्चानां वृद्धि---प्राप्तत्व---आदे : अच : स्यात् ञिति णिति किति परे। दाविकम्। देविका मूले भवा : शालय : दाविकाकूला :। शिंसपाया विकार : शांशप : चमस :। पलाशादिभ्य : अञ। दित्यौह इदम् दात्यौहम्। दीर्घसते भवम् दार्घसत्रम्। श्रेयसि भवम् श्रायसम्।

2.केकय---मित्रयु---प्रलयानां यादे : इय : =एषाम् यकार---आदे : इय् आदेश : स्यात् ञिति णिति किति च तद्धिते परे। कैकेयी। मैत्रेयिकया लभ्यते मित्रयूणां भावेन लभ्यते। प्रलयात् आगतम् =प्रालेयम्।

3.न य्वाभ्यां पद---अन्ताभ्यां पूर्वौ तु ताभ्याम् ऐच् =पद---अन्ताभ्यां यकार वकाराभ्यां परस्य न

व्रूद्धि : परन्तु पूर्वौ क्रमात् ऐचौ आगमौ स्त :। वैयासकि :। वारुडकि :।

4.द्वार---आदीनां च =(refer 15th सूत्र of 3rd पादof 4th    अध्याय :।)  द्वार् , स्वर् , व्यल्कश : , स्वस्ति , स्फयकृत् , स्वादु , मृदु , श्वस् , श्वन् , स्व एषां न वृद्धि : ऐच् आगम : च =शौवस्तिकम्।

5.न्यग्रोधस्यच केवलस्य =अस्य न वृद्धि : ऐच् आगम : च। नैयग्रोधम्।

6.न कर्मव्यतिहारे =अत्र ऐच् न स्यात्। व्याव्क्रोशी। व्यावहासी।

7.स्वागत---आदीनां च =ऐच् न स्यात्। स्वागतिक :। स्वाध्वरिक :। स्वाङ्गि :। व्याङ्गि : ।व्याडि :। व्यावहारिक :। स्वपतेयम्।

8.श्वादे ; इञि =ऐच् न। श्वभस्त्रस्य अपत्यम् =स्वाभस्त्रि :। श्वादंष्ट्रि :। इकार---आदौ इचि वाच्यम्। श्वगणेन चरति श्वागणिक :। श्वागणिकी। श्वगणिक :। श्वगणिकी।

9.पद-अन्तय्स्य---अन्यतरस्याम् =श्वादे : अङ्गस्य पद शब्दस्य अन्तस्य ऐच् वा स्यात्। श्वापदे : इदं श्वापदम्। शौवापदम्।

10.उत्तर---पदस्य च =अधिकार : अयम्।

11.अवववात् ऋतो : =अवयववाचिन : पूर्वपदात् य्तुवाचिनाम् अचाम् आदे : अच : वृद्धि :स्यात् ञिति णिति किति च तद्धिते परे। पूर्ववार्षिक :। अपरहैमन :।

12.सुसरवार्धात् जनपदस्य च =सुपाञ्चालक :। सर्वपाञ्चालक :। अर्धपाञ्चालक :। जनपद्---तत्---अवध्यो : इति वुञ्।

13.दिस : अम्द्राणाम् =दिक् वाचकात् जनपदवाचिन : वृद्धि :। पूर्वपाञ्चालक :। दिश  किम् ? पूर्वपञ्चालानाम् अयं पौर्वपाञ्चाल :। अम्द्राणां किम् ? पौर्वमद्र :। योगविभाग : उत्तर---अर्थ :।

14.प्राचां ग्राम---नगराणाम् =दिश : परेषां ग्राम----नगरवाचिनां अङ्गानाम् अवयवस्य च वृद्धि : । पूर्वेषुकामशम्यां भव : पूर्वेषुकामशम :। नगरे =पूर्वपाटलिपुत्रक :।

15.संख्याया : संवत्सरस्य---संख्यस्य च = संख्याया : उत्तर---पदस्य वृद्धि : स्यात् ञित्---आदौ परे। द्विसांवत्सरिक :। द्विषाष्टिक :।

16.वर्षस्य अभविष्यति =उत्तरपदस्य वृद्धि : स्यात्। द्वि---वार्षिक : मनुष्य :। द्वैवर्षिक :।द्वैवार्षिक :।

17.परिमाण---अन्तस्य असंज्ञा---शाणयो : =द्वौ कुडवौ प्रयोजनम् अस्य द्विकौडविक :। द्वाभ्यां सुवर्णाभ्यां क्रीतं द्विसौवर्णिकम्। द्विनैष्किकम्। असंज्ञेति किम् ? पञ्चकलाप : परिमाणम् अस्य पाञ्चकलापिकम्। द्वैशाणम्। द्वैकुलिजिक :।

18.जे प्रोष्ठपदानाम् =प्रोष्ठपदानाम् उत्तरपदस्य अचाम् आदे : वृद्धि : स्यात् जातार्थे ञिति णिति किति च । प्रोष्ठपदासु जात : प्रोष्ठपाद : माणवक :।

19.हृद्भगसिन्ध्वन्ते पूर्वपदस्य च =स्पष्टम्। सौहार्दम्। सौभागिनेय :। साक्तुसैन्धव :।

20.अनुशतिकानां च =एषाम् उभय---पद---वृद्धि : स्यात्। ञिति णिति किति च। आधिदैविकम्। आधिभौतिकम्। ऐहलौकिकम्। पारलौकिकम्।

21.देवताद्वन्द्वे च =अत्र पूर्वोत्तरपदयो : आद्ययो : वृद्धि : स्यात् ञित् आदौ। आग्निमारुतम्।

22.नेन्द्रस्य परस्य =परस्य इन्द्रस्य वृद्धि : न स्यात्। सौमेन्द्र :। परस्य किम् ? ऐन्द्राग्न :।

23.दीर्घात् च वरुणस्य =दीर्गात् परस्य वरुणस्य न वृद्धि :। ऐन्द्रावरुणम्। दीर्गात् किम् ? आग्निवारुणम्। आग्नीवारुणीम् अनड्वाहीम् आलभेत।

24.प्राचां नगर---अन्ते =प्राचां देसे नगरान्ते अङ्गे पूर्वपदस्य उत्तरपदस्य च अचाम् आदे  : अच :

वृद्धि : ञित्---आदौ । सुह्मनगरेभव : सौह्मनागर :। पौर्वनागर :।

25.जङ्गल---धेनु---वलज---आन्तस्य विभाषितम् उत्तरम् =जङ्गल आद्यन्तस्य अङ्गस्य पूर्वपदस्याचामादे : अच : वृद्धि : उत्तरपदस्य व ञित्---आदौ । कौरुजाङ्गलम्। कौरुजङ्गलम्।वैश्वधेनवम्। वैश्वधैनवम्। सौवर्णवलजम्। सौवर्णवालजम्।

26.अर्धात् परिमाणस्य पूर्वस्य तु वा =अर्धात् परिमाण वाचकस्य उत्तरपदस्य आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ञिति णिति किति च । अर्धद्रोणेन क्रीतम् =अर्धद्रौणिकम्। आर्धद्रौणिकम्।

27.नात : परस्य =अर्धात् परस्य परिमाणकारस्य वृद्धि : न पूर्वपदस्य तु वा ञित्---आदौ अर्धप्रस्थिकम्। आर्धप्रस्थिकम्। अत : किम् ? आर्धकौडविकम्।

28.प्रवाहणस्य ढे =प्रवाहण सब्दस्य उत्तरपदस्य अचाम् आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ढे परे  =प्रवाहणस्य अपत्यं प्रावाहणेय :। प्रवाहणेय :।

29.तत्प्रत्ययस्य च =दान्तस्य प्रवाहणस्य उत्तरपदस्य आदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा। प्रवाहणेयस्य अपत्यं प्रवाहणेयि :। प्रावाहणेयि :।

30.नञ : शुचि---ईश्वर---क्षेत्रज्ञ---कुशल---निपुणानाम् =नञ : परे एषाम् शुचि---आदि पञ्चानाम् अदे : अच : वृद्धि : पूर्वपदस्य तु वा ञित्----आदौ परे। आशौचम्। अशौचम्। आनैश्वर्यम्। अनैश्वर्यम्। आक्षेत्रज्ञम्। अक्षेत्रज्ञम्। आकौशलम्। अकौशलम्। आनैपुण्यम्। अनैपुण्यम्।

31.यथातथ---यथापुरयो : पर्यायेण =आयथातथ्यम्। अयथातथ्यम्। आयथापूर्यम्। अयथापूर्यम्।

32.हन : त अचिण्---णलो : =हन्ते : तकार : अन्त---आदेस : स्यात् चीण्---णल् वर्जे ञिति णिति किति। कंसम् अजीघतत्।

33.आत : युक् चिं---कृतो : =आत्----अन्तानां युक् आगम : स्यात् चिणि ञिति णिति कृति च । दायिता। दाता। दायियिषीष्ट। अदायि।

34.न उदात्त---उपदेशस्य मान्तस्य अनाचमे : =उपधाया वृद्धि : न स्यात् चीणि ञिति णिति कृति च। अशमि। अदमि। उदात्त उपदेशस्य किम् ? आगामि। मान्तस्य किम् ?अवादि। अनाचमे : किम् ? आचामि।

35.जनि---वध्यो : च =स्पष्टम्। अजनि।(नैषधम्) अवधि।

36.अर्ति---ह्री---व्ली---री---क्नूयी---क्ष्माय्यातां पुक् अणौ =एषां णिति पुक् आगम :।

37.शाच्छासाह्वाव्यविपां युक् =एषां णिति युक् स्यात्। शाययति। ह्वावयति।

38.वो विधूनने षुक् =वाते : जुक् स्यात् णौ कम्पार्थे। वाजयति। कम्पे किम् ? केशान् वापयति।

39.लीलो : नुक् लुकौ अन्यतरस्यां स्नेहविपातने =लीयते लाते : अ क्रमात् नुक् लुकौ आगमौ वा

स्त : णौ स्नेहद्रवे। विलीनयति। विलालयति। विलापयति वा घृतम्। स्नेहद्रवे किम् ? लोहं विलापयति। विलाययति।

40.भिय : हेतुभये षुक् =भी ई इति ईकार : प्रश्लिष्यते। ईकार---अन्तस्य भिय : षुक् स्यात् णौ हेतुभये। भीषयते।

41.स्फायो व : =णौ। स्फावयति।

42.शदे : अगतौ त : =शदे : णौ त अन्त----आदेश : स्यात्। शातयति। गतौ तु गा: शादयति

गोविन्द : । गमयति इति अर्थ :।

43.रुह : पोऽन्यतरस्याम् =णौ रोहयति। रोपयति।

44.प्रत्ययस्थात् कात् पूर्वस्यात इदाप्यसुप : =प्रत्ययस्थात् ककारपूरस्य अकारस्य इकार : स्यात् अपि परे स आप् सुप् पर : न् चेत्। सर्विका। कारिका। अत : किम् ? नौका। प्रत्ययस्थात् किम् ? शक्नोति इति शका। असुप : किम् ?बहुपरिव्राजिका नगरी। कात् किम् ? नन्दना। पूर्वस्य किम् ? परस्य मा भूत्। कटुका। तपर : किम् ? राका। आपि किम् ? कारक :।

45.न यासयो : =यत्तदो : अस्येन्न स्यात्। यका। सका। यकाम्। स्काम्।

46.उदीचामात : =यकपूर्वस्य स्त्रीप्रत्ययाकारस्य स्थाने य : अकार : तस्य कात् पूर्वस्य इत् वा स्यात् अपि। शुभं याति इति शुभंया :। अज्ञाता शुभंया : शुभंयिका। के अण इति ह्रस्व :। आर्यका। आर्यिका। चटकका। चटकिका। अत : किम् ? सांकाशयिका। यकेति किम् ? अश्विका।

47.भस्त्रौषाजाज्ञाद्वास्वा नञ् पूर्वाणामपि =स्वेत्यन्त---लुप्त---षष्ठीकं पदम्। एषाम् अत इत् वा स्यात्। भस्त्रा ग्रहणम् उपसर्जनार्थम्। अनेषका। परमैषका। निर्भस्त्रका।

48.अभाषितपुंस्कात् च =एतस्मात् विहितस्य अत : स्थाने अत : इत् वा स्यात्। गङ्गका। गङ्गिका।अज्ञाता अखट्वा अखट्विका। शैषिके कपि विकल्प : एव।

49.आत् आचार्याणाम् =पूर्वसूत्रविषये आत् वा स्यात्। गङ्गाका। गङ्गिका। उक्तपुंस्कात् तु शुभ्रिका।

50.ठस्य इक : =वैदिक :। लौकिक :।

51.इसुसुक्तान्तात् क :=इस् ,उस् , उक् , त् एतत् अन्तात् परस्य ठस्य क : स्यात्। उदकेन श्वयति वर्धते इति उदश्वित्। तत्र संस्कृत : औदश्वित्क : , औदश्वित :। इस्---उसो : प्रतिपद---उक्तयो : ग्रहणात् न इह। आशिषा चरति आशिषिक :। उषा चरति औषिक :। दोष : उपसंख्यानम्। दोर्भ्यां चरति

दौष्क :।

52.चजो : कु घिण्ण्यतो : =कुत्वं स्यात् घिति ण्यति च प्रत्यये परे। मृजे : वृद्धि : मार्ग्य :।

53.न्यङ्क्कादीनां च = कुत्वं स्यात्। न्यङ्कु :। वौ अञ्चे : इति उ प्रत्यय :।

54.हो हन्ते : ञ्णिन्नेषु =ञिति णिति च प्रत्यये तकारे च परे हन्ते : नकारस्य कुत्वं स्यात्। प्रहण्यात्।(refer 22nd सूत्र of 4th पाद of 8th adhyaaya :|) (not in प्रघ्नन्ति।)

55.अभ्यासात् च =अभ्यासात् पर्स्य हन्ते : हस्य कुत्वं स्यात्। जघनिथ। जघन्थ। हन्ता।

56.हे : अचङि =अभ्यासात् परस्य हिनोते : हस्य कुत्वं स्यात् न तु चङि =जिघाय।

57.सन्लिटो : जे : =जयते : सन्---लिट्---निमित्त : य : अभ्यास : तत : परस्य कुत्वं स्यात्। जिगाय। जिग्यतु : जिग्यु :।

58.विभाषा चे : =अभ्यासात् परस्य चिञ : कुत्वं वास्यात् सनि लिटि च। प्रणिचिकाय। चिचाय। अचैषीत्। अचेष्ट।

59.न क्कादे : =क्कादे : धातो : च कुत्वं न। गर्ज्यम्।

60.अजि---व्रज्यो : च =समाज :। परिव्राज :।

61.भुज---न्युब्जौ पाणि---उपतापयो : = भुज्यते अनेन इति भुज : पाणि :। नुब्जन्ति अस्मिन् इति न्युब्ज : उपताप : =रोग :।

62.प्रयाज---अनुयाजौ यज्ञ---अङ्गे =प्ञ्चप्रयाजा :। त्रय : अनुयाजा :। These two are performed in इष्टि। अनुयाज is performed at last. The explanation for these was given by my father on 23-08-1990.

63.वञ्चे : गतौ =वञ्च्यम्। गतौ किम् ? वङ्क्यम् =काष्ठम्।

64.ओक : उच : के =उच : गुण कुत्वे निपात्येते के परे। ओक : शकुन्त---वृषलौ।

65.ण्य आवश्यके =कुत्वं न। अवश्यपाच्यम्।

66.यज---याज---रुच---प्रवचर्च : च =ण्ये कुत्वं न। याज्यम्। याच्यम्। शोच्यम्। प्रवाच्यम् =ग्रन्थ----विशेष :। अर्च्यम्।

67.वच :अशब्दसंज्ञायाम्। वाच्यम्। शब्दसंज्ञायाम् =वाक्यम्।

68.प्रयोज्य---नियिज्यौ शक्यार्थे =प्रयोक्तुं शक्य : प्रयोज्य :। नियोक्तुं शक्य :  नियोज्य : =भृत्य :।

69.भोज्यं भक्ष्ये =भोग्यम् अन्यत्।

70.घो : लोप : लिटिवा =दधद्रत्नानि दाशुषे। सोमोददद्गन्धर्वाय।

71.ओत : श्यनि =लोप : स्यात् श्यनि। श्यति श्यत् : श्यन्ति।

72.क्सस्य अचि =अच्---आदौ तङि क्सस्य लोप : स्यात्। ग्लहत्ते। घुषि कान्तिकरणे। घुंषते।

73लुक् वा दुह---दिह---लिह---गुहाम् आत्मनेपदे दन्त्ये =एषां क्सस्य लुक् वा स्यात् दन्त्ये तङि।ढत्व---धत्व---ष्टुत्व---ढ लोप दीर्घा : =अगूढ। अघुक्षत।

74.शमाम् अष्टानां दीर्घ : =शमादीनाम् इति अर्थ :।प्रणिशाम्यति।तमु काङ्क्षायाम् =ताम्यति।

75.ष्तिवु---क्लमु---चमां किति =एषामच : दीर्घ : स्यात् शिति। अचमीत्।

76.क्रम : परस्मैपदेषु =क्रमे : दीर्घ : स्यात् परस्मैपदे शिति। क्राम्यति।

77.इषु---गमि---यमां छ : =एषां छ : स्यात् शिति परे। इच्छति। गच्छति। यच्छति।

78.पा---घ्रा---ध्मा---स्था---म्ना---दाण्---दृशि---अर्ति---सर्ति---शद---सदां  पिब---जिघ्र---धम---तिष्ठ---मन---यच्च---पश्य---ऋच्छ---धौ---शीय---सीदा : =पा आदीनां क्रमात् पिब---आदय : आदेशा : स्यु : शिति। सीदति।

79.ज्ञा---जनो : जा =अनयो : जा आदेश : स्यात् शिति। जायते।

80.प्वादीनां ह्रस्व : =शिति परे। पुनाति।

81.मीनाते : निगमे =शिति ह्रस्व :। प्रमिणन्ति व्रतानि। लोके प्रमीणन्ति।

82.मिदे : गुण : =मिदे : गुण : स्यात् इत् संज्ञक---शकारादौ। एश आदिशित्वाभावात् न अनेन गुण :। मिमिदे।

83.जुसि च =अच्---आदौ जुसि इक् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्।अजागरु :। अच् आदौ किम् ? जागृयु :।

84.सार्वधातुक---आर्धधातुकयो : =अनयो : परयो : इक् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्। अव---आदेश : ।

भवति। भवत :।

85.जाह्र : अविचिण्णल्ङित्सु =जागर्ते : गुण : स्यात् वि चिण्णल्ङिद्ब्य : अन्यस्मिन् वृद्धि---विषये प्रतिषेध---विषये च। वि चिण् णल्ङितेषाम् द्वन्द्वे नञ् समास :। वि =जागृवि :। चिण् =अजागारि। णल् =जजागार। ङित् =जागृत :। वृद्धिविषये यथा =ण्वुलि जागरक :। प्रत्षेधविषये यथा =

जजागरतु :।

86.पुक् अन्त लघु---उपधस्य च =पुगन्तस्य लघूपधस्य च अङ्गस्य इक : गुण : स्यात् सार्वधातुक---आर्धधातुकयो :। भविता।

87.न अभ्यस्तस्य अचि पिति सार्वधातुके =लघूपध गुण : न स्यात्। नेनिजानि। अनेनेक्। अनेनिक्ताम्। अनेनिजु :।

88.भू---स्रुवो : तिङि =न गुण : स्यात्। अभूताम्।

89.उत : वृद्धि : लुकि हलि =लुक् विषये उकारस्य वृद्धि : स्यात् पिति हलादौ सार्वधातुके। यौति युत : युवन्ति।युवाव। यविता। युयात् इह  " उत : वृद्धि : न् , भाष्ये पित्च ङित् न , ङित् च पित् न इति व्याख्यानात्। विशेष----विहितेन ङित्वेन पित्त्वस्य बाधात्। यूयात्। अयावीत्।

90.ऊर्णोते : विभाषा =वा वृद्धि : स्याथलादौ पिति सार्वधातुके। ऊर्णौति , ऊर्णोति।

91.गुण : अपृक्ते =ऊर्णोते :गुण : स्यात् अपृक्ते हलादौ पिति सार्वधातुके। वृद्धि---अपवाद :। और्णोत्। और्णो :। ऊर्णुयात्।

92.तृणाह इम् =तृह : श्नमि कृते इम् आगम : स्यात् हलादौ पिति। तृणोढि तृणुढ :।

93.ब्रुव् ईट् =ब्रुव : परस्य हलादे :पित : ईट् स्यात्। ब्रवीति।

94.यङ : वा =यङन्तात् परस्य हलादे : पित : सार्वधातुकस्य ईट् वा स्यात्। बोभवीति। बोभोति।

95.तुरुस्तुशम्यम : सार्वधातुके =तु---रु---स्तु---शमि---अम्---एभ्य : परस्य सार्वधातुकस्य हलादे :

तिङ : ईट् वा स्यात्। तु : सौत्र : धातु :। रवीति। हलादे : किम् ?रुवन्ति। तिङ : किम् ? शाम्यति। सार्वधातुके किम् ? आशिषि स्यात्। रुवीयात्। अरावीत्।

96.अस्ति---सिच : अपृक्ते =अभूत्। हल : किम् ?। ऐधिषि। ऐक्षिषि। अपृक्तस्य इति किम् ? ऐधिष्ट। अभूताम्।

97.बहुलं छन्दसि =सर्व मा इदम् आसीत् इति प्राप्ते गुण : ह्र्स्वस्य।

98.रुद : च पञ्चभ्य : =हलादे : पित :सार्वधातुकस्य अपृक्तस्य ईट् स्यात्। 98.अङ् गार्ग्य---गालवयो : =अरोदीत्।

100.अद : सर्वेषाम् =अद : परस्य अपृक्तसार्वधातुकस्य अट् आग म : स्यात् सर्वमतेन। आदत् आत्ताम् आदन्।

101.अत : दीर्घ : अयञि =अत् अन्तस्य अङ्गस्य दीर्घ : स्यात् अयञ् आदौ सार्वधातुके परे। भवामि। भवाव :। भवाम :।

102.सुपि च =यञ् आदौ परे अत : अङ्गस्य दीर्घ : स्यात्। रामाभ्याम्।

103.बहुवचने झलि एत् =झल्---आदौ बहुवचने सुपि परे अत : अङ्गस्य एकार : स्यात्। रमेभ्य : किम् ? रामाय। झलि किम् ? रामाणाम्। सुपि किम् ? पचध्वम्।

104.ओसि च =ओसि परे अत : अङ्गस्य ऐकार : स्यात्। रामयो :।

105.आङि च आप : =आङिओसि च परे आप् अन्तस्य एकार : स्यात्। रमया। 

106.संबुद्धौ च =हे रमे हे रमे।

107.अम्बार्थ---नद्यो : ह्रस्व : =अम्बार्थानां नद्यन्तानां च ह्रस्व : स्यात् स्म्बुद्धौ। बहुश्रेयसि। शसि बहुश्रेयसीन्।

108.ह्रस्वस्य च गुण : =हरे।

109.जसि च =हरय :।

110.ऋत : ङि सर्वनामस्थानयो : =ङौ सर्वनामस्थाने च परे ऋत् अन्त अङ्गस्य गुण : स्यात्।}

111.घे : ङिति =घि संज्ञकस्य ङिति सुपि च गुण : स्यात्। हरये।

112.आट् नद्या : =नद्यन्तात् परेषां ङिताम् आट् आगम : स्यात्।

113.याट् आप : =आप : परस्य ङित् वचनस्य आट् आगम : स्यात्। वृद्धि : एचि। रमायै।

114.सर्वनाम्न  स्यात् ह्रस्व : च =आप् अन्तात् सर्वनाम्न---परस्य ङित : स्यात् आप: च ह्रस्व : याट : अपवाद :। सर्वस्यै सर्वस्या :।

115.विभाषा द्वितीया---तृतीयाभ्याम् =आभ्यां ङित : यै or आ =द्वितीयस्यै। द्वितीयाभ्याम्।

116.ङे : आम् नद्याम्नीभ्य : =अति लक्ष्मी :। बहुश्रेयस्याम्।

117.इत् उद्भ्याम् =मत्याम्। मतौ।

118.औद : च घे :=

119.आङ नाऽस्त्रियाम् =घे परस्य आङ :ना स्यात् अस्त्रियाम्। हरिणा। अस्त्रियां किम् ? मत्या।

                          । इति तृतीय---पाद : समाप्त ।Pro.Total =3380 + 119 =3499     :

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