Sunday, April 6, 2014

Shri Panini Hrudayam-Fourth Adhyaaya


                                     श्री पाणिनि हृदयम्------चतुर्थ अध्याय----प्रथम---पाद :

1.ङि---आप्---प्रातिपदिकात् =ङि अन्तात् आप् अन्तात् प्रातिपदिकात् च इति आपञ्चम---परिसमाप्ते : अधिकार :।

2.सु---औ---जस्, अम्---औट्---शस्, टा---भ्याम्---भिस्, ङे---भ्याम्---भ्यस्,----ङसि---भ्याम्---भ्यस्, ङस्---ओस्---आम्, ङि---ओस्---सुप् =ङि अन्तात् आप् अन्तात् प्रातिपदिकात् च परे एते प्रत्यया : स्यु :। सुङस्य उकार एकारौ ज---श---ट---ङ---पा : इत :।

3.स्त्रियाम् =अधिकार : अयम् समर्थानाम् इति यावत्।

4.अजआदि---अत : टाप् =अज---आदीनाम् अकार---अन्तस्य च वाच्यं यत्र स्त्रीत्वं तत्र द्योत्ये टाप् स्यात्। example:-अजा, एडका।

5.ऋत्---नेभ्य : ङीप् =ऋत् अन्तेभ्य : न---अन्तेभ्य : स्त्रियां ङीप् स्यात्। क्रोष्ट्री।

6.उगित : च =उगिदन्तात् प्रातिपदिकात् स्त्रियां ङीप् स्यात्। भवन्ती। वसन्ती।

7.वन : र च =वन्नन्तात् तत् अन्तात् च प्रातिपदिकात् स्त्रियां ङीप् स्यात्। र : च अन्त---आदेश :। (ङ्वनिप्, क्वनिप्, वनिप्) अतिसुत्वरी, अधिधीवरी, शर्वरी।

8.पाद : अन्यतरस्याम् =पात् शब्दात् कृत---समास---अन्तात् तत्---अन्तात् प्रातिपदिकात् ङीप् वा स्यात्। द्विपदी। द्विपात्।

9.टाप् ऋचि =ऋचि वाच्यायां पादन्तात् टाप् स्यात्। दिपदा ऋक्। एकपदा।

10.न षट्---स्वस्रा---आदिभ्य : =षट् संज्ञकेभ्य : स्वस्रा---आदिभ्य : च ङीप्---टापौ न स्त :। अथ तिसृ---चतसृ इति अनयो : पाठ : न कर्तव्य :। स्वसा तिस्र : चतस्र : च ननान्दा दुह्रिता तथा। याता माता इति सप्त---एते स्वस्रादय : उदाहृता :। यता =भार्या : तु भ्रातृ---वर्गस्य यातर : स्यु : परस्परम् इति अमर :।

11.मन : =मन्---अन्तात् न ङीप्। सीमा सीमानौ।

12.अन : बहुव्रीहे : =अन्---अन्तात् बहुव्रीहे : न ङीप्। बहु---यज्वा। बहु---यज्वान :।

13.डाप् उभाभ्याम् अन्यतरस्याम् =सूत्र---द्वय---उपाभ्यां डाप् वा स्यात्। सीमा। बहु---यज्वा। सीमे। बहु---यज्वे।

14.अनुपसर्जनात् =अधिकार : अयम्।

15.टित्---ढ---अण्---अञ्---द्वयसच्---दध्नञ्---मात्रच्---तयप्---ठक्---ठञ्---कञ्---क्वरप : =अनुपसर्जनं --- यत् टित्---आदि तत्---अन्तं यत् अत्---अन्तं प्रातिपदिकं तत : स्त्रियां ङीप् स्यात्। कुरु---चरी। 

महाभाष्यम् =प्रातिपदिक---ग्रहणे लिङ्ग---विषिष्टस्य अपि ग्रहणम्।

16.यञ : च =यञ् अन्तात् स्त्रियां ङीफ् स्यात्। आकार---लोपे कृते। (टाप्) द्वैष्या। दैव्या। अनपत्य---अधिकारात् न ङीप्।

17.प्राचां ष्प तद्धित : =यञ् अन्तात् ष्फ : वा स्यात्। स्त्रियां स च तद्धित :। गार्ग्यायणी।(ङीष्)

18.सर्वत्र लोहित---आदि---कतन्तेभ्य :  =लोहित---आदि कतन्तेभ्य : यञ् अन्तेभ्य : नित्यं ष्फ् स्यात्।

लौहित्यायनी। कात्यायनी।

19.कौरव्य---माण्डूकाभ्यां च =कौरव्यायनी। माण्डूकायनी।

20.वयसि प्रथमे =प्रथमवयोवाचिन :अत् अन्तात् स्त्रियां ङीप् स्यात्। कुमारी।

21.द्विगो : =अत् अन्तात् द्विगो : ङीप् स्यात्। त्रिलोकी।

22.अपरिमाण्---बिस्ता---चित---कंबल्येभ्य : न तद्धित---लुकि =पञ्च---अश्वा। द्वि---बिस्ता। द्व्याचिता। द्वि---कंबल्या। पक्षे पञ्च---अश्वी।

23.काण्ड---अन्तात् क्षेत्रे =द्वि---काण्डा। क्षेत्र---भक्ति :। पक्षे द्वि---काण्डी रज्जु :।

24.पुरुषात् प्रमाण : अन्यतरस्याम् =द्वि---पुरुषी द्वि---पुरुषा वा परिखा।

25.बहुव्रीहे : ऊधस : ङीप् =कुण्ड---ऊध्नी।

26.संख्या अव्यय---आदे : ङीप् =द्व्यूध्नी। अत्यूध्नी।

27.दाम---हायन---अन्तात् च =द्वि---दाम्नी। द्वि---हायनी।

28.अन : उपधा---लोपिन : अन्यतरस्याम् =अन् अन्तात् बहुव्रीहे : उपधा---लोपिना वा ङीप् स्यात्। बहु---राज्ञी।

29.नित्यं संज्ञा छन्दसो : =सुराज्ञी नाम् नगरी।

30.केवल---मामक---भागधेय---पाप---अपर---समान---आर्यकृत---सुमङ्गल---भेषजात् च =एभ्य :

नवभ्य : नित्यं ङीप् स्यात्। संज्ञा छन्दसो :। अथोऽत इन्द्र : केवलीर्विश :। अन्यत्र केवला

इति आदि।

31.रात्रे : च अजसौ =रात्रि शब्तात् ङीप् स्यात्। अजस् विषये छन्दसि। लोके ङीष्(अन्त---उदात्तम्)

32.अन्तर्वत्---पतिवतो : नुक् =अन्तर्वत्नी। पतिवत्नी।

33.पत्यु : न : यज्ञ---संयोगे =पत्नी।

34.विभाषा सपूर्वस्य =सपत्नी(सपती ? सपति :?)

35.नित्यं सपत्न्यादिषु =सपत्नी।

36.पूत---क्रतो : ऐ च =पूत---क्रतो : स्त्री =पूत---क्रतायी। यया क्रतव : पूता : स्यात् पूत---क्रतु : एव सा। 

37.वृषाकपि---अग्नि---कुसित---कुसीदानाम् उदात्त : =एषाम् उदात्त : ऐ आदेश : स्यात्। चात् ङीप् च। वृषाकपायी। अग्नायी। कुसितायी। कुसीदायी। ऋषि : =ऋषायी word coined by नवीन---पाणिनि : कै.भूतनाथ :।

38.मनौ रौ वा =मनायी।ङीप्।

39.वर्णात् अनुदात्त---त---उपधात्त : न : =वर्ण---वाची य : अनुदात्त---अन्त : त---उपध : तत् अन्तात् अनुपसर्जनात् प्रातिपदिकात् वा ङीप् तकारस्य नकार : च। एती। एनी। रोहिता। रोहिणी।

40.अन्यत : ङीष् =पूर्वोक्ते त---उपध---वर्ण---भिन्ने ङीष्। कल्माषी। सारङ्गी।

41.षित्---गौर---आदिभ्य : च =षिद्भ्य : गौर---आदिभ्य : च ङीष् स्यात्। नर्तकी(ष्वुन्) =a cinema theatre in Bangalore/a dancer. 

42.जानपद---कुण्ड---गोण---स्थल---भाज---नाग---काल---नील---कुश---कामुक---कबरात् वृत्य---मात्र---वपन्---अकृत्रिमा---श्राण---स्थौल्य---वर्ण---अनाच्छादन---अयोगविकार---मैथुनेच्छा---केशवेशेषु =एभ्य : एकादशाभ्य : प्रातिपदिकेभ्य : क्रमात् वृत्ति---आदिषु अर्थेषु ङीष् स्यात्। गोणी =आवपनम्। स्थाली =अकृत्रिमा। भाजी =श्राणा। नागी =स्थूला। काली =वर्ण :। नीली =अनाच्छादनम्। कुशी

=अयोविकार :। कामुकी =मैथुनेच्छा। कबरी = कॆशानां सन्निवेश :। कबरा =चित्रा।

43.शोणात् प्राचाम् =शोणी। शोणा।

44.वा उत : गुण---वचनात् =उत् अन्तात् गुण---वाचिन : वा ङीष् स्यात्। मृद्वी। मृदु :। उत : किम् ? (शुचि :)श्वेता(गुण इति)

45.बहु---आदिभ्य : च = बह्वी। बहु :।

46.नित्यं छन्दसि = बह्वीषु हित्वा। बह्वी(ङीष्)।

47.भुव : च =विभ्वी। प्रभ्वी।

48.पुंयोगात् अख्यायाम् =या पुमाख्या पुंयोगात् स्त्रियां वर्तते तत : ङीष् स्यात्। गोपस्य स्त्री गोपी।

49.इन्द्र---वरुण---भव---शर्व---रुद्र---मृड---हिम---अरण्य---यव---यवन---मातुल---आचार्याणाम् =इन्द्राणी। वरुणानी। भवानी। शर्वाणी। रुद्राणी। मृडानी। हिमानी। यवानी(दुष्ट---यव :)। यवनानी(लिपि)। मातुलानी। आचार्यानी(आचार्याणी ?

50.क्रीतात् करण---पूर्वात् =वस्त्र---क्रीती।

51.क्तात् अल्प---आख्यायाम् =अभ्र---लिप्ती द्यौ :।

52.बहुव्रीहे : च अन्त---उदात्तात् =ऊरु---भिन्नी।

53.अस्वाङ्ग---पूर्वपदात् वा =सुरा---पीती। सुरा---पीता। अन्त---उदात्तात् किम् ? वस्त्र---छन्ना।

54.स्वाङ्गात् च उपसर्जनात् असंयोग---उपधात् =असंयोग---उपसर्जनं य : स्वाङ्गं तत्---अन्तात् प्रातिपदिकात् व ङीष्। केशान् अतिक्रान्ता अतिकेशी। अतिकेशा। संयोगे किम् ? सुगुल्फा। उपसर्जनात् किम् ? शिखा। स्वाङ्गं किम् ? त्रिधा।

55.नासिका---उदर---औष्ठ---जंघा---दन्त---कर्ण---शृङ्गात् च =एभ्य : वा ङीष् स्यात्। तुङ्ग---नासिकि। तुङ्ग---नासिका। इति आदि।

56.न कोड---आदि बह्वच : =क्रोड---आदे : च बह्वच (बहु---अच :) स्वाङ्गात् न ङीष्। कल्याण---क्रोडा। अश्वानाम् उर : क्रोडा। सुजघना।

57.सह---नञ्---विद्यमान---पूर्वात् च =सकेशा। अकेशा। विद्यमान---नासिका।         

58.नख---मुखात् संज्ञायाम् =ङीष् न स्यात्। शूर्पणखा। गौरमुखा। संज्ञायां किम् ? ताम्र---मुखी कन्या।

59.दीर्घ---जिह्वी च छन्दसि =संयोग---उपधत्वात् अप्राप्त : ङीष् विधीयते। आसुरी वै दीर्घजिह्वी देवानां यज्ञवाट्।

60.दिक्---पूर्वपदात् ङीष् =प्राङ्मुखी। आद्युदात्तपदम्।

61.वाह : =ङीष् =दित्यौही च मे। 

62.सख्य---शिश्वी इति भाषायाम् =इति शब्द : प्र्कारे भ्षायाम् इति अस्य अनन्तरं द्रष्टव्य :। तेन छन्दस्य अपि क्वचित्। सखी। आधेनवो धुनयन्ताम् अशिश्वी :।

63.जाते : अस्त्री इति विषयात् अयोपधात् =जाति वाचि अत् न च स्त्रियां नियतम् अयोपधात् तत : स्त्रियां ङीष् स्यात्। तटी। महाभाष्ये लक्षणान्तरम् =प्रादुर्भाव---विनाशाभ्यां सत्वस्य युगपत् गुणै :। असर्वलिङ्गां बह्वार्थां तं जातिं कवय : विदु :। The oppositee of य---उपध =अयोपध।

64.पाक---कर्ण---पर्ण---पुष्प---फल---मूल---वाल---उत्तर---पदात् च =पाक---आदि उत्तर---पदात् जाति---वचिन : अपि ङीष् स्यात्। ऊदन---पाकी। शङ्कु---कर्णी। शाल---पर्णी। शङ्ख---पुष्पी। दासी---फली---दर्भ---मूली। गो---वाली। ओषधी---विशेषे रूढा : एते।

65.इत : मनुष्य---जाते : =ङीष् स्यात्। दाक्षी। औदमेयी। मनुष्य इति किम् ? तित्तिरि :।

66.ऊङ् उत : =उकार---अन्त---अयोपधात् जाति---वाचिन ; ऊङ् स्त्रियां स्यात्। अयोपधात् किम् ? अध्वर्यु :।

67.बाहु---अन्तात् संज्ञायाम् =स्त्रियाम् ऊङ् स्यात्। भद्र---बाहू :। संज्ञायां किम् ? वृत्त---बाहु :।

68.पङ्गो : च =पङ्गू :।

69.ऊरु---उत्तर---पदात् औपम्ये =करभ---ऊरू :।

70.संहित---शफ---लक्षण्---वाम---आदे : च =अनौपम्यार्थं सूत्रम्। संहित---ऊरू :। शफ---ऊरू :। लक्षण---ऊरू :। वाम---ऊरू :।

71.कद्रु---कमण्डल्वो : च छन्दसि =कद्रू : वै कमण्डलू :।

72.संज्ञायाम् =कद्रू :। कमण्डलू :। नाग---माता =कद्रू :। असंज्ञायाम् =कमण्डलु :।

73.शार्ङ्गरव---आदि अञ : ङीन् =शाङ्गरव---आदे : अञ : य : अकार : तत् अन्तात् च जाति---

वाचिन : ङीन् स्यात्। शार्ङ्गरवी। बैदी।

74.यङ : चाप् =यङ् अन्तात् स्त्रियां चाप् स्यात्। यङ : इति ञ्यङ् यङो : सामान्य---ग्रहणम्। आम्बष्ठ्या। कारीष---गन्ध्या।

75.आवट्यात् च =अवट शब्द : गर्ग---आदि :। आवट्या।

76.तद्धिता : =आपञ्चम---समाप्ते : अधिकार : अयम्।

77.युन : ति : =युवति :।

78.अण्---इञो : =अनार्षयो : गुर्----उपोत्तमयो : ष्यङ् गोत्रे =कौमुद---गन्ध्या। वाराह्या।

79.गोत्र---अवयवात् =(ष्यङ्)पौणिक्या। भौणिक्या।

80.क्रोडी---आदिभ्य : च =क्रौड्या। व्याड्या।

81.दैवयज्ञि---शौचि---वृक्षि---सात्यमुग्रि---काण्ठेविद्धिभ्य : अन्यतरस्याम् =दैवयज्ञा। दैवयज्ञी(ङीष्)। इति आदि।

82.समर्थानां प्रथमात् वा =इदं पद---त्रयम् अधिक्रियते =प्राग्दिश : यावत्। सामर्थ्यं परिनिष्ठितत्वम्। कृत---संधि---कार्यत्वम् इति यावत्।

83.प्राग्दीव्यत : अण् =तेन दीव्यति इति अत : इति प्राक् अण् अधिक्रियते।

84.अश्वपति---आदिभ्य : च =आश्वपतम्। गाणपतम्।

85.दिति---अदिति---आदित्य---पत्युत्तर पदात् ण्य : =दैत्य :। अदिते : आदित्यस्य वा आदित्य :। प्राजापत्य :।

86.उत्स---आदिभ्य : अञ् =औत्स :।

87.स्त्री---पुंसाभ्यां नञ्---स्नञ् भवनात् =धान्यानां भवने इति अत : प्राक्---अर्थेषु स्त्री---पुंसाभ्यां क्रमात् नञ्---स्नञौ स्त :। स्त्रैण :। पौम्स्न :।

88.द्विगो : लुक् अनपत्ये =पञ्चकपाल :।(पुरोडाश :)

89.गोत्रे लुक् अचि =गर्गाणां छात्रा :।

90.यूनि लुक् =ग्लुचुकस्य अपत्यं पुमान् ग्लुचुकायनि :।

91.फक्---फिञो : अन्यतरस्याम् =कात्यायनस्य छात्रा : कातीया : कात्यायनीया :। यास्कायनि :। यास्कीया :।यास्कायनीया :।

92.तस्य अपत्यम् =षष्ठी---अन्तात् कृत---सन्धे : प्रथमात् पपत्यर्थे उक्ता : वक्ष्यमाणा : च प्रत्यया : वा स्यु :।

93.एक : गोत्रे =गोत्रे एक :एव अपत्य---प्रत्यय : स्यात्। औपगव :। गार्ग्य :। नाडायन :।

94.गोत्रात् यूनि अस्त्रियाम् =यूनि अपत्ये गोत्र---प्रत्यय---अन्तात् एव प्रत्यय : स्यात्। स्त्रियां तु न युव---संज्ञा। गर्गस्य युवा अप्त्यं गार्ग्यायण :। स्त्रियां तु गोत्रत्वात् एक एव प्रत्यय :।

95.अत : इञ् =अत्---अन्तं यत् प्रातिपदिकं तत् प्रकृतिकात् षष्ठी----अन्तात् अपत्यार्थे इञ् स्यात् दाक्षि :।

96.बाहु---अदिभ्य : च =बाहवि :। औडुलोमि :।

97सुधातु : अकङ् च = चात् इञ्। सौधातकि :।

98.गोत्रे कुञ्जादिभ्यश्च्फञ् =कौञ्जायन्य :। This सूत्र has connection with 113th सूत्र of 3rd पाद of 5th अध्याय।

99.नडादिभ्य : फक् =गोत्रे इति एव। नाडायन :।

100.हरीत---आदिभ्य : अञ : = एभ्य : अञ् अन्तेभ्य : यूनि फक् =हारितायन :।

101.यञ्---इञो : च =गार्ग्यायण :। दाक्षाययण :।

102.शरद्वत्----शुनक----दर्भात्---भृगु---वत्स---अग्रायणेषु = गोत्रे फक्। शारद्वतायन :। शौनकायन :। भार्गायण :। वात्स :। आग्रयायण :।

103.द्रोण---पर्वत---जीवन्तात् अन्यतरस्याम् =द्रौणायन :। द्रौणि :।पार्वत्यायन :। पार्वति :। जवन्तायन :। जैवन्ति :। अनादि : इह द्रौणि :।

104.अनृष्य---अनन्तर्ये बिद---आदिभ्य : अञ् =एभ्य : अज् गोत्रे ये तु अत्र अनृषय : तेभ्य : अनन्तरे सूत्रे स्वार्थे ष्यञ् =बैद :।

105.गर्ग---आदिभ्य : यञ् =गार्ग्य :।

106.मधु---बभ्र्वो : ब्राह्मण---कौशिकयो : =माधव्य : ब्राह्मण :। माधव : अन्य :। बाभ्रव्य : कौशिक : ऋषि :। बाभ्रव : अन्य :।

107.कपि---बोधात् आङ्गिरसे =काप्य :। बौध्य :।

108.वतण्डात् च = अङ्गिरस : इति एव =वातण्ड्य :।

109.लुक् स्त्रियाम् =वतण्डी(ङीन्)। अनाङ्गिरसे वातण्ड्यायनी।

110.अश्व---आदिभ्य : फञ् =गोत्रे। आश्वाययन :।

111.भर्गात् त्रैगर्ते =भार्ग्यायण : त्रैगर्त :। भार्गि : अन्य :।

112.शिव---आदिभ्य : अण् =गोत्रे इति निवृत्तम्। शैव :। गाङ्ग :। पक्षे किक---आदित्वात् फिञ्। गाङ्गायनि :। शुभ्रादित्वात् ढक्। गाङ्गेय :।

113.आवृद्धाभ्य : नदी---मानुषीभ्य : तत् नामिकाभ्य : =यामुन :। नार्मद :। चैन्तित :। अवृद्धेब्य : किम् ? वासवदत्तेय :। नदि--इति---आदि किम् ? वैनतेय :।

114.ऋषि---अन्धक---वृष्णि---कुरुभ्य : च =वासिष्ठ :। श्वाफल्क :। आसुदेव :। नाकुल :।

115.मातु :उत्---संख्या----सं---भद्र---पूर्वाया : =द्वैमातुर :। षाण्मातुर :। सांमातुर :। भाद्रमातुर :।

116.कन्याया : कनीन च =कानीन : । अनूढाया : अपत्यं। examples =वेदव्यास  : | कर्ण :| 

117.विकर्ण---शृङ्ग---छगलात्---वत्स/भरद्वाज/अत्रिषु =वैकर्ण :। वात्स्य :। शौर्ङ्ग :। भारद्वाज :। छागल :। आत्रेय :।

118.पीलाया वा =पैल :। पैलेय :।

119.ढक् च मण्डूकात् =चात् अण्। पक्षे इञ्। माण्डूकेय :। माण्डूक :। माण्डूकि :।

120.स्त्रीभ्य : ढक् =स्त्री---प्रत्यय---अन्तेभ्य : ढक् स्यात्। वैनतेय :।

121.द्व्यच : =दात्तेय :। .

122.इत : च अनिञ : =इकार---अन्तात् द्व्यच : अपत्ये ढक् स्यात् न तु इञ्---अन्तात्। दैलेय :।नैधेय :।

123.शुभ्र---आदिभ्य : च =शौभ्रेय :।

124.विकर्ण---कुषीतकात् काश्यपे =वैकर्णेय :। कौषीतकेय :।

125.भ्रुव : वुक् च =चात् ढक्। भ्रौवेय :।

126.कल्याण्य---आदीनाम् इनङ् =एषाम् इनङ् आदेश : स्यात् ढक् च। काल्याणिनेय :। बान्धकिनेय :।

127.कुलटाया वा =इनङ् मात्रं विकल्प्यते & ढक् तु नित्य :। कौलटिनेय :। कौलटेय :।

128.चटकाया : ऐरक् =चाट्कैर :।

129.गोधाया : ढ्रक् =गौधेर :।

130.आरक्(आरग् ?) उदीचाम् =गौधार :। जाडार :। पाण्डार :।

131.क्षुद्राभ्य : वा =अङ्ग---हीना :, शील---हीना : क्षुद्रा :। काणेर :। काणेय :। दासेर : दासेय :। 

132.पितृष्वसु : च =पैतृष्वस्रीय :।

133.ढकि लोप : =पैतृष्वसेय :।

134.मातृष्वसु : च =मात्रुष्वस्रीय :। मात्रुष्वसेय :।

135.चतुष्पाद्भ्य : ढञ् =कामण्डलेय :।

136.गृष्टि---आदिभ्य : च =गार्ष्टेय :।

137.राज---श्वशुरात् यत् =राजन्य :। श्वशुर्य :।

138.क्षत्रियात् घ : = क्षत्रिय :।

139.कुलात् ख : =कुलीन :।

140.अपूर्व---पदात् अन्यतरस्यां यत्---ढकञौ =कुल्य : कौलेयक :। कुलीन :। पद---ग्रहणं किम् ? बहु---कुल्य :। बहु----कौलेयक :।

141.महाकुलात् अञ्---खञौ =माहाकुल :। माहाकुलीन :। महाकुलीन :।

142.दुष्कुलात् ढक् =दौष्कुलेय :।

143.स्वसु : छ : =स्वस्रीय :।

144.भ्रातु :व्य : च =भ्रातृव्य :। भ्रात्रीय :।

145.व्यन् सपत्ने =ब्रातृव्य : शत्रु :।

146.रेवती---आदिभ्य : ठक् =रैवतिक :।

147.गोत्र---स्त्रिया : कुत्सने ण च =गार्ग :। गार्गिक : वा जाल्म :।

148.वृद्धात् ठक् सौवीरेषु बहुलम् =भाग---वित्तिक :। भाग---वित्तायन :।

149.फे : छ च =फिञ् अन्तात् सौवीर---गोत्रात् अपत्ये छ : ठक् च स्यात् कुत्सने गम्ये।

150.फाण्टाहृति----मिमताभ्यां ण---फिञौ =फाण्टाहृत :। फाण्टाह्रुतायन :। मैमत :। मैमतायन :।

151.कुरु---आदिभ्य : ण्य : =कौरव्या : ब्राहमणा :। वावदूक्या :।

152.सेना---अन्त---लक्षण---कारिभ्य : च =हारिषेण्य :। तान्तवाय्य :। कौम्भकार्य :। नापित्य :।

153.उदीचाम् इञ् =हारिषेणि :। तान्तुवायि :। कौम्भकारि :। नापितायनि :।(परत्वात् फिञ्)

154.तिक---आदिभ्य : फिञ् =तैकायनि :।

155.कौशल्य---कार्मार्याभ्यां च =कौशल्यायनि :। कार्मार्यायणि :।

156.अण : द्व्यच : =आङ्ग :।

157.उदीचां वृद्धात् अगोत्रात् =आङ्ग :।

158.वाकिन---आदीनां कुक् च =वाकिनायनि :। वाकिनाक :। वाकिनाकायनि :।

159.पुत्रात् अन्यतरस्याम् =अस्मात् वा फिञ् सिद्ध :। तस्मिन् परे पुत्र---अन्तस्य वा कुक् विधीयते।गार्गी:। पुत्रिकायणि :। गार्गिपुत्रायणि :। गार्गीपुत्रि :।

160.प्राचाम् अवृद्धात् फिन् बहुलम् =अर्थं स्पष्टम्। ग्लुचुकायनि :।

161.मनो : जातौ अञ्---यतौ षुक् च =मानुष :।  मनुष्य :।

162.अपत्यं पौत्रप्र्रभृति गोत्रम् =अपत्यत्वेन विवक्षितं पौत्रादि गोत्रसंज्ञं स्यात्।

163.जीवति तु वंश्ये युवा =वंश्ये पित्रादौ जीवति पौत्रादे : यत् अपत्यं चतुर्थ्यादि तत् युव संज्ञमेव न तु गोत्रसंज्ञमेव न तु गोत्र संज्ञम्।

164.भ्रातरि च ज्यायसि =ज्येष्ठे भ्रातरि जीवति कनीयान् चतुर्थ्यादि : युवसंज्ञं स्यात्।

165.वा अन्यस्मिन् सपिण्डे स्थविरतरे जीवति =भ्रातु : अन्यस्मिन् सपिण्डे स्थविरतरे जीवति पौत्रप्रभृते : अपत्यं जीवत् एव युवा संज्ञं वा स्यात्।

166.वृद्धस्य च पूजायाम् =The above rule is appplied for elders iin the case of worship.the precise meaning of सूत्रs from 162 to 166 is सर्वत्र सर्व---कालेषु वयोधिक---कनिष्ठा : यौवन---अवस्थायां प्रतिष्ठिता :।

167.यून : च कुत्सायाम् =The above mentioned rule is used for ridiculing youngsters.

168.जनपद---शब्दात् क्षत्रियात् अञ् =ऐक्ष्वाक :। पाञ्चाल :।

169.साल्वेय---गान्धारिभ्यां च =साल्वेय :। गान्धार :।

170.द्वयच्---मगध---कलिङ्ग---सूरमसात् अण् =आङ्ग :। वाङ्ग :। सौंह :। मागध :। सौरमस :।

171.वृद्ध---इत्---कोसल---अजात् अञ् ञ्यङ् =आंबष्ठ्य :। सौवीर्य :। इत् =आवन्त्य :। कोसलस्य राजा/अपत्यम् =कौसल्य :। अजादस्य अपत्यम्/अजादीनां राजा =आजाद्य :।

172.कुरु---न---आदिभ्य : ण्य : =कुरो : अपत्यम्/राजा =कौरव्य :। निषधस्य राजा/अपत्यम् =नैषध्य :।

173.साल्वायव---प्रत्यग्रथ---कलकूट---अश्मकात् इञ् =साल्वायवि :। प्रात्यग्रथि :। कालकूटि :। आश्मकि :।

174.ते तत्---राजा : =अञ् आदय : एतत् संज्ञा : स्यु :।

175.कम्बोजात् लुक् =कम्बोज :।

176.स्त्रियाम् अवन्ति---कुन्ति---कुरुभ्य : च =अवन्ती। कुन्ती। कुरू :।

177.अत : च =शूरसेनी।

178.न प्राच्य---भर्गादि---यौधेय---आदिभ्य : =पाञ्चाली। वैदर्भी। भार्गी। कैकेयी। यौधेयी। कारूशी।

ङ्याप्द्विगो:षिद्गौरादिवाहोदैवयज्ञियञिञो: द्व्यच्चोमहाकुलात्मनोजातौ अष्टादश्।

Pro.Total =1248 + 178 =1426.

             

                                       । इति चतुर्त्य---अध्यायस्य प्रथम---पाद : समाप्त :।

 

                                      श्री पाणिनि हृदयम्  चतुर्थ अध्याय : द्वितीय : पाद :।

 

1.तेन रक्तं रागात् =रज्यते अनेन इति राग :। कषायेण रक्तं वस्त्रम् =काषायम्। रागात् किम् ? देवदत्तेन रक्तं वस्त्रम्।

2.लाक्षा---रोचनात् ठक् =लाक्षिक :। रौचनिक :।

3.नक्षत्रेण युक्त : काल : =पुष्येण युक्तम् अह : पौषम्। पौषी रात्रि :।

4.लुप् अविशेषे =अद्य :पुष्य :।

5.सज्ञायां श्रवण्---अश्वत्थाभ्याम् =श्रवणा रात्रि :।

6.द्वन्द्वात् छ : =तिष्य---पुनर्वसीयम् अह :। राधा---अनुराधीया रात्रि :।

7.दृष्टं साम =वासिष्ठं साम।

8.वामदेवात् ड्यड्ड्यौ =वामदेव्यम्।

9.परिवृतो रथ : =वास्त्र : रथ :।

10.पाण्डु---कम्बलात् इनि : = पाण्डु---कम्बली।

11.द्वैप---वैयाघ्रात् अञ् =द्वैप : रथ :। वैयाघ्र : रथ :।

12.कौमार---पूर्ववचने =अपूर्व---पतिं कुमारीं पतिं उपपन्न : कौमार : पति :।

13.तत्र उद्धृतम् अमत्रेभ्य : =(The remainder हविस् in the vessel made out of plaintain leaf) शाराव : ओदब्न :।

14.स्थण्डिलात् शयितरि व्रते =स्थण्डिल : भिक्षु :। व्रती स्थण्डिल---शायी =राम : as explained in

श्रीमत्---वाल्मीकि---रामायणम्।

15.संस्कृतं भक्षा : =भ्राष्ट्रे संस्कृता : भ्राष्ट्रा : यवा :। (अण्) =अष्टाकपाल :। पुरोडाश :। 

16.शूल---उखात् यत् =शूल्यं =मांसम्। उखा =पात्र---विशेष :। उख्यम्।

17.दध्न : ठक् =दाधिकम्।

18.उदश्वित : अन्यतरस्याम् =ठक् स्यात्। पक्ष्रे अण्। औद्श्वितिक :।औदस्वित :।

19.क्षीरात् ढञ् =अत्र संस्कृतम् इति एव बध्यते न तु भक्षा :। क्षौरेयी।

20.सा अस्मिन् पौर्णमासी इति =इति शब्दात् संज्ञायाम् इति लभ्यते। पौषी पौर्णमासि अस्मिन् पौषो मास :।

21.आग्रहायणी---अश्वत्थात् ठक् =आग्रहायणी पौर्णमासी अस्मिन् आग्रहायणिक : मास :।

आश्वत्थिक :।

22.विभाषा फाल्गुनी---श्रवण---कार्तिकी---चैत्रीभ्य : =पाल्गुनिक : फाल्गुन :। श्रावणिक : श्रावण :। कार्तिकिक : कार्तिक :। चैत्रिक : चैत्र :।

23.सा अस्य देवता =ऐन्द्रं हवि :। पाशुपतम्।

24.कस्य इत् =क शब्दस्य इत् आदेश : स्यात् प्रत्यय---सन्निपातेन। कायं हवि :।

25.शुक्रात् घन् =शुक्रियम्।

26.अपोनप्तृ---अपाम्नप्तृभ्यां घ : =अपोन्नप्त्रियम्। अपान्नप्त्रियम्। अपोनपात् अपान्नपात् च देवता :।

27.छ च =अपोनप्त्रीयम्। अप्न्नप्त्रीयम्। वररुचि : includes शतरुद्रीयम्।

28.महेन्द्रात् घ---अणौ च =महेन्द्रीयम्। माहेन्द्रम्। महेन्द्रियम्।

29.सोमात् ट्यण् =सौम्यम्। टित्वात् ङीप्। सौमी ऋक्।

30.वायु---ऋतु---पितृ---उषस : यत् =वायव्यम्। ऋतव्यम्। पित्र्यम्। उषस्यम्।

31.द्यावापृथिवी---शुनासीर---मरुत्वत्---अग्नीषोम---वस्तोष्पति---गृहमेधात् च =चात् यत्। द्यावपृथिवीयम्। द्यावापृथिव्यम्। etc.

32.अग्ने : ढक् =आग्नेयम्।

33.कालेभ्य : भववत् =मासिकं प्रावृषेण्यम्।

34.महाराज---प्रोष्ठपदात् ठञ् =माहाराजिकम्। प्रौष्ठपदिकम्।

35.पित्व्य---मातुल---मातामह---पितामहा : =एते निपात्यन्ते। पितु : भ्राता पितृव्य :।

36.तस्य समूह : =काकानां समूह : =काकम्। बाकम्।

37.भिखा---आदिभ्य : अण् =भैक्षम्। गार्भिणम्।

38.गोत्र---उक्ष---उष्ट्र---अभ्र---राज---राजन्य---राजपुत्र---वत्स---मानुष्य---अजात् वुञ् =औक्षकम्। औष्ट्रकम्। आभ्रकम्।

39.केदारात् यञ् च =कैदार्यम्। कैदारकम्।

40.ठञ् कवचिन : च =चात् केदारात् अपि। कावचिकम्। कैदारिकम्।

41.ब्राह्मण---माणव---वडवात् अत् =ब्रह्मण्यम्। माणव्यम्। वाडव्यम्।

42.ग्राम---जन---बन्धुभ्य : तल् =ग्रामता। जनता। बन्धुता।

43.अनुदात्त---आद : अञ् =कापोतम्। मायूरम्।

44.खण्डिक----आदिभ्य : च =खाण्डिकम्।

45.चरणेभ्य : धर्मवत् =काठकम्। छान्दोग्यम्।

46.अचित्त---हस्ति---धेनो : ठक् =साक्तुकम्। हास्तिकम्। धैनुकम्।

47.केश---अश्वाभ्यां यत्---छौ अन्यतरस्याम् =पक्षे ठक्---अणौ। कैश्यम्। कैशिकम्। अश्वीयम्। आश्वम्।

48.पाश---आदिभ्य : य : =पाश्या। तृण्या। धूम्या। वन्या। वात्या।

49.खल---गो---रथात् =खल्या। गव्या। रथ्या।

50.इनि---त्र---कटी--अच : च =खलिनी। गोत्र्। रथ---कट्या।

51.विषय : देशे =षष्ठी---अन्तात् अण्---आदय : स्यु : अत्यन्त---परिशीलिते---अर्थे स चेत् देश :। शिबीनां देश : शैब :।

52.राजन्य---आदिभ्य : वुञ् =राजन्यक :।

53.भौरिक्यादि---ऐषुकारि---आदिभ्य : विधल्---भक्तलौ =भौरिकिविधम्। ऐषुकारिकम्। देशम्।

54.स : अस्य---आदि : इति छन्दस : प्रगाथेषु =अण् =पङ्क्ति : आदि अस्य इति पाङ्क्त : प्रगाथ :।

55.संग्रामे प्रयोज---योद्धृभ्य : =सुभद्रा प्रयोजनम् अस्य संग्रामस्य इति सौभद्र :। भरता : योद्धार : अस्य भारता :।

56.तत्---अस्य प्रहरणम् इति क्रीडायां ण : =दण्ड : प्रहरणम् अस्यां दाण्डा। मौष्टा।

57.घञ : सा अस्यां क्रिया इति ञ : =घञ्---अन्तात् क्रिया---वाचिन : प्रथमा---अन्तात् अस्याम् इति सप्तमी---अर्थे स्त्री---लिङ्गे ञ प्रत्यय : स्यात्। श्येनपाता मृगया/मृग्या। तैलपाता स्वधा।

58.तत्---अधीते तत्---वेद =व्याकरणम् अधीते वेद वा वैयाकरण :।

59.क्रतु---उक्थ---आदि सूत्र---अन्तात् ठक् =आग्निष्टोमिकम्। वाजपेयिक :। औक्थिक :। सांग्रह---सूत्रिक :।

60.क्रम---आदिभ्य : वुन् =क्रमक :। क्रम, पद, शिक्षा, मीमांसा इति आदि।

61.अनुब्राह्मणात् इनि : अनुब्राह्मणी।

62.वसन्त---आदिभ्य : ठक् =वासन्तिक :। आथर्वणिक :।

63.प्रोक्तात् लुक् =प्रोक्त---अर्थक---प्रत्ययात् परस्य अध्येतृ----वेदित---प्रत्ययस्य लुक् स्यात्। पणनं

पण :। स : अस्य अस्ति इति पणी। तस्य गोत्र अपत्यं पुमान् पाणिन :।

64.सूत्रात् च क---उपधात् =अष्टकं पाणिनि---सूत्रं य : अधीते वेद/विदन्ति वा अष्टका :।

65.छन्द : ब्राह्मणानि च तत्---विषयाण् =कठा :।

66.तत्---अस्मिन् अस्ति इति देशे तत्---नाम्नि =उदुम्बरा :।

67.तेन निर्वृत्तम् =कुशाम्बेन निर्वृत्ता कौशाम्बी नगरी।

68.तस्य निवासा : =शिबीनां निवास : शैब :।

69.अदूर---भव : च = विदीशाया : अदूरं---भवं वैदिशम्। चकारेण प्राग्---उक्ता : त्रय : अर्था : सन्निधाप्यन्ते।

70.ओ : अञ् =कक्षतु becomes काक्षतवम्। नद्यां तु परत्वात् इक्षुमति।

71.मतो : भु--अच्---अङ्गात् =सौध्रकातवम्। आहिमतम्।

72.बहु---अच : कूपेषु =दीर्घ---वरत्रेण निर्वृत्त : कूप : दैर्घवरत्र :।(अञ्)

73.उदक् च विपाश : =विपाश : उत्तरे कूले ये कूपा : तेषु अञ्। दत्तेन निर्वृत्त : कूप : =दात्त :।

74.संकल---आदिभ्य : च =कूपेषु इति निर्वृत्तम्। सांकलम्। पौष्कलम्।

75.स्त्रीषु सौवीर---साल्व---प्राक्षु =सौवीरे दात्तमित्री। साल्वे वैधूमाग्नी। प्राची माकन्दी।(अञ्)

76.सुवास्तु---आदिभ्य : अण् =सौवास्तवम्। वार्णक्यम्।

77.रोणी =रौण :। आजकरोण :।

78.क---उपधात् च =अण् =कार्णच्छिद्रक : कूप :।

79.वुञ्---छण्---क---ठच्---इल---स---इनि :---र---ढञ्---ण्य---याअ---फक्---फिञ्---इञ्---ञ्य :---कक्---ठक : अरीहण---कृशाश्व---ऋश्य---कुमुद---काश---तृण---प्रेक्ष---अश्म---सखि---संकाश---बल---पक्ष---कर्ण---सुतंगम---प्रगदिन्---कुमुद---अदिभ्य : =एभ्य : सप्तदसभ्य : क्रमात् सप्तदश : क्रमात् स्यु : चतुरर्थायाम्। 1.वुञ् =आरीहणम्। 2.छण् =कार्शाश्वीयम्। 3.क =ऋश्यकम्। 4.ठच् =कुमुदिकम्।

5.इल : =काशिल :। 6.स =तृणसम्। 7.इनि : =प्रेक्षी। 8.र =अश्मर :। 9.ठञ् =साखेयम्। 10.ण्य =सांकाश्यम्। 11.य=बल्यम्। 12.फक् =पाक्षायण :। 13.फिञ् =कार्णायनि :। 14.इञ् =सौतंगमि :। 15.ञ्य : =प्रागद्य :। 16.कक् =वाराहक :। 17.ठक् =कौमुदिक :।

80.जनपदे लुप् =पञ्चाला :। कुरव :।

81.वरण---आदिभ्य : च =वरणानाम् अदूरभवं नगरम् =वरणम्।

82.शर्कराया वा =शर्करा। शार्करिकम्। शर्करीयम्।

83.ठक्---छौ च =शार्करिकम्। शर्करीयम्।

84.नद्यां मतुप् =इक्षुमती।

85.मधु---आदिभ्य : च =मधुमान्।

86.कुमुद---नड---वेतसेभ्य : ङ्मतुप् =कुमुद्वान्। नड्वान्। वेतस्वान्।

87.नड---शात् ड्वलच् =नड्वल :। शाद्वल :।

88.शिखाया वलच् =शिखावलम्।

89.उत्कर---आदिभ्य : च =उत्करीयम्।

90.नडादीनां कुक् च =नडकीयम्।

91.शेषे =अपत्य---आदि चतुरर्थी---अन्तात् अन्य : अर्थ : शेषा :। तत : अण्---आदय : स्यु :। चक्षुषा गृह्यते चाक्षुषं रूपम्। etc.

92.राष्ट्र---अवारपारात् घ---खौ =राष्ट्रिय :। अवारपारीण :।

93.ग्रामात् य---खञौ =ग्राम्य :। ग्रामीण :।

94.कत्रय---आदिभ्य : ढ---कञौ =कुत्सिता त्रय : कत्रय :। तत्र जात---आदि :। कात्रेयक :। नागरेयक :।

95.कुल---कुक्षि---ग्रीवाभ्य : श्वा---असि---अलंकारेषु =कौलेयक : =श्वा। कौक्षेयक : =असि :। ग्रैवेयक :  =अलंकार :।

96.नद---आदिभ्य : ढक् =नादेयम्। माहेयम्। वारणसेयम्।

97.दक्षिण---पश्चात्--- पुरस : त्यक् =दाक्षिणात्य :। पास्चात्य :। पौरस्त्य :।

98.कापिश्या : ष्फक् =कापिशायनं मधु। कापिशायनी द्राक्षा।

99.रङ्क : अमनुष्ये अण् च =राङ्कव : गौ :। राङ्कायण :। अमनुष्ये किम् ? राङ्कवक : मनुष्य :।

100.द्यु---प्राक्---अपाक्---उदक्---प्रतीच : यत् =दिव्यम्। प्राच्यम्। अपाच्यम्। उदीच्यम्म्। पतीच्यम्।

101.कन्थात् ठक्(कन्थाष्ठक्) =कान्थिक :।

102.वर्णौ वुक् =वर्णु : नद :। तस्य समिफ्---देश : =वर्णु :। तत्---विष्य---अर्थ---वाची कन्था शब्दात्  वुक् स्यात्। कान्थक :।

103.अव्ययात् त्यप् =अमात्य :। इहत्य :। क्वत्य :। ततस्त्य :। तत्रत्य :। परिगाणनं किम् ?

उपरिष्ट :।

104.एषम : ---ह्व :----श्वस : अन्यतरस्याम् =ऐषमस्त्यम्। ऐषमस्तनम्। ह्वस्त्यम्। ह्वस्तनम्। श्वस्तनम्। श्वस्त्यम्।

105.तीर---रूप्य---उत्तरपदात् अञ्---ञौ =काकतीरम्। पाल्वलतीरम्। शैवरूप्यम्। तीर---रूप्य--अन्तात् इति न उक्तम्। बाहुरूप्यम्। 

106.दिक्---पूर्वपदात् असंज्ञायां च =पौर्वशाल :। असंज्ञायां किम् ? पूर्वैषुकामशम :। उत्तरपदवृद्धि :।

107.मद्रेभ्य : अञ् =दिक्---पूर्वपदात् इति एव। पौर्वमद्र :। अपरमद्र :।

108.उदीच्य---ग्रामात् च बहु---अच : अन्त---उदात्तात् =अञ् स्यात्। शैवपुरम्।

109.प्रस्थ---उत्तरपद---पलद्---आदि---क---उपधात् अण् =माहिकिप्रस्थ :। पालद :। नैलीनक :।

110.कन्व---आदिभ्य : गोत्रे =काण्वा : छात्रा :। (एभ्य : गोत्र---प्रत्यय---अन्तेभ्य : अण् स्यात्। कण्व : गर्ग---आदि :।)

111.इञ : च =गोत्रे य : इञ् तत्-अन्तात् अण् स्यात्। दाक्षा :। गोत्रे किम् ? सौतङ्गमीयम्।

112.न द्व्यच : प्राच्य---भरतेषु =इञ : च इति अण : अपवाद :। प्राष्ठीया :। काशीया :।

113.वृद्धात् छ : =शालीय :। मालीय:।

114.भवत : ठक्---छसौ = वृद्धात् भवत : एतौ स्त :। भावत्क :।(जश्त्वम्।) भवदीय :।

115.काशि(काशी) आदिभ्य : ठञ्---इठौ =इकार : उच्चारण---अर्थ :। काशिकी। काशिका। वैदिकी। वैदिका।

116.वाहीक---ग्रामेभ्य : च =कास्तीरिकी। कास्तीरिका।

117.विभाषा उशीनरेषु =सौदर्शिनिकी। सौदर्शनिका। सौदर्शनीया।

118.ओ : देसे ठञ् =उ---वर्ण---अन्तात् देश---वाचिन : ठञ् स्यात्। निषादकर्षू : =नैषादकर्षुक :।(नैषादकर्षिक :।?)

119.वृद्धात् प्राचाम् =आडकजम्बुक :।

120.धन्वय---उपधात् वुञ् =ऐरावतक :। (धन्व) सांकाश्यक :।

121.प्रस्थ---पुर---वहन्तात् च =मालाप्रस्थक :। नान्दीपुरक :। पैलुवहक :।

122.र---उपध---इतो : प्राचाम् =पाटलिपुत्रक :। काक्न्दक :। रोपध + इत(इकारम्)।

123.जनपदवदअवध्यो : च =जनपदवाचिन ; तत्---अवधि वाचिन : च वृद्धात् वुञ् स्यात्।

आदर्शक :। त्रैगर्तक :।

124.अवृद्धात् अपि बहुवचनविषयात् =अवृद्धात् जनपदात् =आङ्गक :। अवृद्धात् जनपद अवधे : =आजमीदक :। वृद्धात् जनपदात् =दार्वक :। तत्---अवधि : =कालरञ्जक :। विषयग्रहणम् किम् ? =वर्तनी =बहु =वार्तन्य :। वार्तन :।

125.कच्छ---अग्नि---वक्त्र---वर्त---उत्तरपदात् =दारुकच्छक :। काण्डाग्नक :। सैन्धुवक्त्रक :।

126.धूम---आदिभ्य : च =धौमक :। तैर्थक :।

127.नगरात् कुत्सन---प्रावीण्ययो : =नागरक : चोर : शिल्पी वा। कुत्सन् इति किम् ? नागरा :

ब्राह्मणा :।

128.अरण्यात् मनुष्ये =आरण्यक : मनुष्य :।

129.विभाषा कुरु---युगन्धराभ्याम् =कौरवक :। कौरव :। यौगन्धरक :। यौगन्धर :।

130.मद्र---वृज्यो : कन् =मद्रक :। व्जिक ।

131.क---उपधात् अण् =माहिषिक :।

132.कच्छ---आदिभ्य : च = काच्छ :। सैन्धव :।

133.मनुष्य---तत्स्थयो : वुञ् =कच्छे जात---आदि काच्छक : मनुष्य :।

134.अपदातौ साल्वात् =साल्वक : ब्राह्मण :। पदातौ =साल्व : पदाति : व्रजति।

135.गो---यवाग्वो : च =साल्वक : गौ :। सल्विका यवागू :।

136.गर्त---उत्तरप्दात् छ : =वृकगर्तीयम्।

137.गह---आदिभ्य : च =गहीय :।

138.प्राचां कट---आदे : =कटनगरीयम्। कटघोषीयम्। कटपल्वलीयम्।

139.राज्ञ : क च =राजकीयम्।

140.वृद्धात् अक---इक---अन्त---ख---उपधात् =देश वाचिन :। ब्राह्मणक : नाम जनपद :यत्र

ब्राह्मणा :आयुध---जीविन :। तत्र जात : =ब्राह्मण्कीय :। शाल्मलिकीय :। अयोमुखीय :।

141.कन्था---पलद---नगर---ग्राम---ह्रत्---उत्तरपदात् =दक्षिकन्थीयम्। दाक्षिपलदीयम्। दक्षिनगरीयम्। दाक्षिग्रामीयम्। दाक्षिह्रदीयम्।

142.पर्वतात् च =पर्वतीयम्। पर्वतीय :।

143.विभाषा अमनुष्ये =पर्वतीयानि पार्वतानि वा फलानि। अमनुष्ये किम् ? पर्वतीय : मनुष्य :।

144.कृकण---पर्णात् भारद्वाजे =भार्द्वाज---वाचिभ्याम् आभ्यां छ :। कृकणीयम्। पर्णीयम्।

 

                                               | इति द्वितीय---पाद : समाप्त :।         Pro.Total =1426 + 144 =1570

 

 

 

 

 

 

                         

                                  श्री पाणिनि हृदयम् चतुर्थ अध्याय : तृतीय पाद :।

 

1.युष्मद्---अस्मद : अन्यतरस्याम् खञ् च =चात् छ :। पक्षे अण्। युष्माकम्। युष्मदीय :। अस्माकम्। अस्मदीय :।

2.तस्मिन् अणि च युष्माक---अस्माकौ =यौष्मकीण :। आस्मकिन :। यौष्माक :। आस्माक ;

3.तवक---ममकौ एकवचने =तावकीन :। तावक :। मामकीन :। मामक :।

4.अर्घात् यत् =अर्घ्यम्।

5.पर---अवर---अधम---उत्तम---पूर्वात् च =परार्घ्यम्। अवरार्घ्यम्। अधमार्घ्यम्। उत्तमार्घ्यम्।

6.दिक्---पूर्व---पदात् ठञ् च =चात् यत्। पौर्वार्घिकम्। पूर्वाघ्यम्।

7.ग्राम---जनपद---एकदेशात् अञ्---ठञौ =इमे अस्माकं ग्रामस्य जनपदस्य वा पूर्वार्घा : or

पौर्वार्घिका :। 

8.मध्यात् म : =मध्यम :|

9.अ सांप्रतिके =उत्कर्ष---अपकर्ष---हीन : वैयाकरण :। मध्यं दारु। न अतिह्रस्वं न अतिदीर्घम् इति अर्थ :।

10.द्वीपात् अनुसमुद्रम् यञ् =द्वैप्यम्। द्वैप्या। eg. A small island named “Rabbit Island” near Tuticorin, Tamil Nadu, South India.)

11.कालात् ठञ् =मासिकम्। सांवत्सरिकम्। सायंप्रातिकम्। पौन:पुनिक :।

12.श्राद्धे शरद : =शारदिकं श्राद्धम्।

13.विभाषा रोग---आतपयो : =शारदिक : शारदो वा रोग : आतप : वा। एतयो : किम् ? शारदं दधि।

14.निशा---प्रदोषाभ्यां च =नैशिकम्। नैशम्। प्रादोषिकम्। प्रादोषम्।

15.श्वस : स्तुट् च =शौवस्तिकम्। ऐच्---आगम :च। This सूत्र has reference with the 4th सूत्र of 3rd पाद of 7th अध्याय :।

16.संधिवेला---आदि---ऋतु---नक्षत्रेभ्य : अण् =आंधिवेलम्। ग्रैष्मम्। तैषम्। संधिवेला =संध्या, अमावास्या, पौर्णमासी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, प्रतिपत्।

17.प्रावृष : एण्य : =प्रावृषेण्य :।

18.वर्षाभ्य : ठक् =वर्षासु साधु वार्षिकम् मासम्/मास :।

19.छन्दसि भेद : =स्वरे भेद :। वार्षिकम्।

20.वसन्तात् च  =वासन्तिकम्।

21.हेमन्तात् च =हैमन्तिकम्।

22.सर्वत्र---अण् त लोप : च =हैमनम्। हैमन्तम्।

23.सायं---चिरं---प्रह्वे---प्रगे---व्ययेभ्य : ष्ट्युट्---ट्युलौ तुट् च =सायंतनम्। चिरंतनम्। प्रह्वेतनम्। प्रगेतनम्।

24.विभाषा पूर्वाह्ण---अपराह्णाभ्याम् =पूर्वाह्णेतनम्। पौर्वाह्णिकम्। अपराह्णेतनम्। आपराह्णिकम्।

25.तत्र जात : =स्रौघ्न :। औत्स :। राष्ट्रिय :। अवारपारीण :।

26.प्रावृष : ष्ठप् =प्रावृषिक :। 

27.संज्ञायां शरद : वुञ् =शारदका : दर्भ---विशेषा :। मुद्गा---विशेषा : च।

28.पूर्वाह्ण---अपराह्ण---आर्द्रा---मूल---प्रदोष---अवस्करात् वुन् =पूर्वाह्णक :। अपराह्णक :। आर्द्रक :।

मूलक :। प्रदोषक :। अवस्करक :।  (Refer from 10th सूत्र to 14thस् सूत्र of 3rd पाद of 7th  अध्याय :। 

29.पथ : पन्थ च =पन्थक :।

30.अमवास्याया वा =अमावास्यक :।

31.अ च =अमावास्य :।

32.सिन्धु---(अपकराभ्यां)अपस्कराभ्यां च =सिन्धुक :। (अपकरक :।)अपस्करक :।

33.अण्---अञौ च =सैन्धव :(अण्)। आपकरक :(आपस्करक :)

34.श्रविष्ठा---फल्गुनी---अनुराधा---स्वाति-(स्वाती)---तिष्य---पुनर्वसु---हस्त---विशाखा---आषाढा---बहुलात् लुक् =श्रविष्ठासु जात : श्राविष्ठ :। इति आदि। (Refer 49th सूत्र of 2nd पाद  of  1st अध्याय :)

35.स्थान---अन्त---गोशाला---खरशाला त् च =एभ्य : जाति---अर्थे लुक् स्यात्। गोस्थान :। गोशाल :। खरस्थान :। खरशाल :।                                                     

36.वत्सशाला---अभ्जित्---अश्वयुक्---शतभिषज : वा =वत्सशाल :। वात्सशाल :। इति आदि।

37.नक्षत्रेभ्य : बहुलम् =रोहिण : । रौहिण :।

38.कृत---लब्ध---क्रीत---कुशला : =स्रुघ्ने कृत :, लब्ध :, क्रीत ;, कुशल : वा स्रौघ्न :।

39.प्रायभव : =स्रुघ्नेप्रायेण बाहुल्येन भवति स्रौघ्न :।

40.उपजानू---उपकर्ण---उपनीवे : ठक् =औपजानुक :। औपकर्णिक :। औपनीविक :।

41.संभूते =स्रुघ्ने संभवति स्रौघ्न :।

42.कोशात् ढञ् =कौशेयं वस्त्रम्।

43.कालात् सधु---पुष्प्यति---पच्यमानेषु =हेमन्ते साधु हैमन्त :प्राकार :। वसन्ते पुष्प्यन्ते वासन्त्य : कुन्द---लता :। शरदि पच्यन्ते शारदा : शाला :।

44.उप्ते च = हैमन्ता : यवा :।व

45.आश्वयुज्या वुञ् =आश्वयुजका  : माषा :।

46.ग्रीष्म---वसन्तात् अन्यतरस्याम् =ग्रैष्मकम्। ग्रैष्मम्। वासन्तकम्। वासन्तकम्। वासन्तम्।

47.देयम् ऋणे =मासे देयम् ऋणम् =मासिकम्।

48.कलापी---अश्वत्थ---यव---बुसात् वुन् = यस्मिन् काले मयूरा : कलापिन : भवन्ति  तत्---काले देयम् ऋणम् =कलापकम्। यस्मिन् काले अश्वत्थ---फलानि प्रादुर्भवन्ति तत्---कले देयम् ऋणम् =अश्व्त्थकम्। एवमेव् यवक---बुसकम् or यव---बुसकम्।

49.ग्रीष्म---अवरसमात् वुञ् =ग्रीष्मे देयम् ऋणम् =ग्रैष्मकम्। आगामि  वर्षाणाम् आद्ये देयम् ऋणम् =आवरसमकम्।

50.संवत्सर---आग्रहायणीभ्यां ठञ् च =चात् वुञ्। साम्वत्सरिकम्। सांवत्सरकम्। आग्रहायणिकम्। आग्रहायणकम्।

51.व्याहरति मृग : =निशायां व्याहरति मृग : =नैश : मृग :।

52.तत्---अस्य सोढम् =कालात् इति एव। निशा--सहचरितंम् अध्ययनं निषा तत्---सोढम् अस्य

नैश :, नैशिक :।  

53.तत्र् भव : =स्रौघ्न :। राष्ट्रिय :।

54.दिक्---आदिभ्य : यत् =दिग्यम्। वर्ग्यम्।

55.शरीरा---अवयवात् च = दन्त्यम्। कर्ण्यम्।

56.दृति---कुक्षि---कलशि---वस्ति---अस्ति---अहे : ढञ् =दार्तेयम्। कौक्षेयम् । कालशेयम्।  वास्तेयम्। आस्तेयम्। आहेयम्।

57.ग्रीवाभ्य : अन् च = ग्रैवेयम्। ग्रैवम्।

58.गम्भीराञ्ञ्य : =गाम्भीर्यम्।

59.अव्ययीबाभावात् च =पारिमुख्यम्।

60.अन्त: पूर्वपदात् ठञ् =आन्तर्वेश्मिकम्। आन्तर्गणिकम्।

61.ग्रामात् परि---अनु---पूर्वात् =पारिग्रामिक :। आनुग्रामिक :।

62.जिह्वामूल---अङ्गुले  छ : =जिह्वामूलीयम्। अङ्गुलीयम्।

63.वर्ग---अन्तात् च = क---वर्गीयम्।

64.अशब्दे यत्---खौ अन्यतर्स्याम् =मद्वर्ग्य :। मद्वर्गीण :। मद्वर्गीय :।

65.कर्ण---ललाटात् कन् अलंकारे =कर्णिका। ललाटिका।

66.तस्य व्याख्यान इति च व्याख्यातव्य---नाम्न : =सुप : व्याख्यान इति सुप : ग्रन्थ :। तैङ :।

कार्त :। सुप्सु भवम् =सौपम्।.                                    

67.बहु---अच : अन्त---उदात्तात्त् ठञ् =षत्व---णत्वयो : विधायकं शास्त्रम् =षत्व---णत्वम्। तस्य व्याख्यान : तत्र भव : वा =षात्व---णात्विक :।

68.क्रतु---यज्ञेभ्य : च =आग्निष्टोमिक :। वाजपेयिक :। पाक---यज्ञिक :। ज्ञान---यज्ञिक :।

69.अध्यायेषु एव ऋषे : =वासिष्ठिक : अध्याय :।

70.पौरोडाश---पुरोडाशात् ष्ठन् =पौरोडाशिक :।

71.छन्दस : यत्----अणौ =छन्दस्य :। छान्दस :।

72.द्व्यच्---ऋक्---ब्राह्मण---ऋक्---प्रथम---अध्वर---पुरश्चरणानाम् आख्यायात् ठक् = द्व्यच् =ऐष्टिक :।(ऐष्टिक : ?) ऋक् =चातुर्होतृक :। ब्राह्मणिक :। आर्चिक :। इति आदि।

73.अण् ऋक्---अयन---आदिभ्य : =आर्गयन :। औपनिषद :। वैयाकरण :।

74.तत्र आगत : =स्रुघ्नात् आगत : =स्रौघ्न :।

75.ठक् आय---स्थानेभ्य : =शौल्क---शालिक :।

76.शुण्डिक---आदिभ्य : अण् =शौण्डिक :। कार्कण :। तैर्थ :।

77.विद्या---योनि---संबन्धेभ्य : अण् =औपाध्यायक :। पैतामहक :।

78.ऋत : ठञ् =होतृकम्। भ्रातृकम्।

79.पितु : यत् च = पैतृकम्। पित्र्यम्।

80.गोत्रात् अग्कवत् =बैदम्। गार्गम्। दाक्षम्। औपगवकम्।

81.हेतु---मनुष्येभ्य : अन्यतरस्यां रूप्य : =सम---रूप्यम्। विषम---रूप्यम्। समीयम्(गह---आदि :।) विषमीयम्। देवदत्त---रूप्यम्। दैवदत्तम्। देवदत्त्त्तीयम्।

82.मयट् च =सममयम्। विषममयम्। देवदत्तमयम्।

83.प्रभवति इति एव =हिमवत : प्रभवति =हैमवती गङ्गा।

84.विदूराञ्ञ्य : =वैदूर्य : मणि :।

85.तत्---गच्छति पथि---दूतयो :=स्रुघ्नं गच्छति =स्रौघ्न : पन्था दुत : वा।

86.अभिनिष्क्रामति द्वारम् =तत्---इति एव। स्रुघ्नं अभिनिष्क्रामति =स्रौघ्न :।

87.अधिकृत्य कृते ग्रन्थे =शरीरकम् अधिकृत्य कृत : ग्रन्थ : =शारीरकीय :।

88.शिशुक्रन्द---यमसभ---द्वन्द्व---इन्द्रजनन---आदिभ्य : छ : =शिशुक्रन्दीय :। यमसभीय :। किरातार्जुनीयम्। इन्द्रजननीय :।

89.स : अस्य निवास : =स्रुघ्न : निवास : अस्य =स्रौग्न :।

90.अभिजन : च =स्रुघ्न :  अभिजन : अस्य स्रौग्न :। यत्र स्वयं वसति स निवास :। यत्र पूर्वै : उशितं  स अभिजन :।

91.आयुध---जीविभ्य : छ : पर्वते =पर्वत---वाचिन : प्रथमा---अन्तात् अभिजन---शब्दस्य इतिअर्थे छ : स्यात्। हद्गोल : पर्वत---अभिजन : येषाम् आयुध---जीविन : ते हृद्गोलीया :।  

92.शाण्डिका आदिभ्य : ञ्य : =(अभिजन :) शाण्डिक्य :।

93.सिन्धु---तक्षशील---आदिभ्य : अण्---अञौ =सैन्धव :। ताक्षशील :।

94.तूदी---सलातुर--वर्मती---कूचवारात् ढक्---छण्---ढञ्---यक : =(अभिजन :) तौदेय :। सालातुरीय :। वार्मतेय :। कौचवार्य :।

95.भक्ति : =भज्यते सेव्यते इति भक्ति :। स्रुघ्न : भक्ति : अस्य स्रौघ्न :।

96.अचित्त---आदेश---कालात् ठक् =आपूपिक :। पायासिक :।

97.महाराजात् ठञ् =माहाराजिक :।

98.वासुदेव---अर्जुनाभ्यां वुन् =वासुदेव क :। अर्जुनक :।

99.गोत्र---क्षत्रिय---आख्येभ्य : बहुलं वुञ् =नाकुलक :। पाणिनीय :।

100.जनपदिनां जनपदवत् सर्वं जनपदेन समान---शब्दानां बहुवचने =जनपद---स्वामि---वचनां बहुवचने जनपद---वाचिनां समान---श्रुतीनां जनपदवत् सर्वं स्यात् प्रत्यय : प्रकृति : च।

101.तेन प्रोक्तम् =पाणिनि (---महर्षिणा) प्रोक्तम् =पाणिनीयम्।

102.तित्तिरि---वरतन्तु---खण्दिक---उखात् छण् =तैत्तरीय :।

103.काश्यप---कौशिकाभ्याम् ऋषिभ्यां णिनि : =काश्यपिन :।

104.कलापि---वैशम्पायन---अन्तेवासिभ्य : च =कलापि---अन्तेवासिभ्य : हरिद्रुणा प्रोक्तम् अधीयते हारिद्रविण :। वैशम्पायन अन्तेवासिभ्य : आलम्बिन :। कलापिन : शिष्या : =हरिद्रु :, छगली, तुम्बुरु :, उलप :। वैशम्पायन---शिष्या : =आलम्बि ;, कलिङ्ग :, कमल :, ऋषाभ :, आरणि :, ताण्ड्य :, श्यामायन :, कठ :, कलापी।

105.पुराण---प्रोक्तेषु ब्राह्मन---कल्पेषु =मल्लु =माल्लविन :। शाठ्यायन :। पुराण---प्रोक्तेषु किम् ? याज्ञवल्कानि ब्राह्मणानि। आश्मरथानि =कल्प :। कप : पिङ्ग :, पैङ्गी।

106.शौनक---आदिभ्य : छन्दसि =शौनकिन :।

107.कठ---चरकात् लुक् =कठा : । चरका :।

108.कलापिन : अण् =कालापा :।

109.छगलिन : ढिनुक् =छागलेयिन :। छगली =कलापि---शिष्य :।

110.पाराशर्य---शिलालिन्या भिक्षु----नटसूत्रयो : =पाराशर्येण प्रोक्तं भिक्षु---सूत्रम् अधीयते पाराशरिण : भिक्षव :। शैलालिन : नटा :।

111.कर्मन्द---कृशाश्वात् इनि : =भिक्षु---नट---सूत्रात् इति एव। कर्मन्दिन : भिक्षव :। कृशाश्विन :

नटा :।

112.तेन एक---दिक् =सुदाम्ना अद्रिणा एक---दिक् =सौदामनी।

113.तसि : च =पीलुमूलकेन एक---दिक् =पीलुमूलत :।

114.उरस : यत् च =उरसा एक---दिक् =उरस्यम्, उरस :।

115.उपज्ञाते =पाणिनि---महर्षिणा उपज्ञातम् =पाणिन्यम्।

116.कृते ग्रन्थे =वाररुच : ग्रन्थ :।

117.संज्ञायाम् =तेन इति एव। अग्रन्थ---अर्थम् इदम्। माक्षिकम् मधु :।

118.कुललादिभ्य : वुञ् =कौलालकम्। वार्डकम्।(तेन कृते संज्ञायाम्।

119.क्षुद्रा---भ्रमर---वटर---पादपात् अञ् =तेन कृते संज्ञायाम् =क्षौद्रम्। भ्रामरम्। वाटरम्।पादपम्।

120.तस्य इदम् =उपग : इदम् =औपगवम्।

121.रथात् यत् =रत्यम् चक्रम्।

122.पत्र---पूर्व---पदात् अञ् =पत्रम् =वाहनम्। (अश्वस्य इदम् =आश्व---रथम्।)

123.पत्र---अध्वर्यु---परिषद : च =(वररुचि :।) पत्रात् वाह्ये अश्वस्य इदम् वहनीयं आश्वम्। आध्वर्यवम्। पारिषदम्।

124.हल---सीरात् ठक् =हालिकम्। सैरिकम्।

125.द्वन्द्वात् वैर---मैथुनिकयो : =काक---उलूकिका। कुत्स---कुशिकिका। But not in देव + सुर =दैव---सुरम्। according to वररुचि :। 

126.गोत्र---चरणात् वुञ् =औपगवम्।

127.संघ---अङ्क---लक्षणेषु अञ्---यञ्---इञाम् अण् =घोष---ग्रहनम् अपि कर्तव्यम्। अञ् =बैद :।

संघ : अङ्क : घोष : वा। बैद---लक्षणम्। यञ् =(गार्ग्य :) गार्ग :। इञ् =दाक्ष :। परंपरा---संबन्ध : =अङ्क :। साक्षात् तु लक्षणम्।

128.शकलात् वा =शकल : शाकलक :।

129.छन्दोग---औक्थिक---याज्ञिक---बह्वृच---नटात् ञ्य : =छान्दोग्यम्। औक्थिक्यम्। याज्ञिक्यम्। बाह्वृच्यम्। नाट्यम्।

130.न दण्डमाणव---अन्तेवासिषु =दण्ड---प्रधाना माणवा : तेषु शिष्येषु न वुञ्। दाक्षा :

दण्ड---मानवा :।

131.रैवतिकाभ्य : छ : =तस्य इदम् इति अर्थे। रैवतकीय :। बैज्वापीय :।

132.तस्य विकार : =आश्म :। अश्मन : विकारे टि लोप : वक्तव्य :।(वररुचि :।)

133.अवयवे च प्राणि---ओषधि---वृक्षेभ्य : =चात् विकारे। मयूरस्य अवयव : विकार : वा मायूर :। मौर्वं काण्डम् भस्म वा।

134.बिल्व---आदिभ्य : अण् =बैल्वम्।

135.क---उपधात् च =तार्कवम्। तैत्तडीकम्।

136.त्रपु---जतुनो : षुक् =त्रापुषम्। जातुषम्।

137.ओ : अञ् =दैवदारवम्। भाद्रदारवम्।

138.अनुदात्त---आदे : च =दाधित्थम्।

139.पलाश---आदिभ्य : वा =पालाशम्। कारीरम्।

140.शम्याष्ट्लच् =शामिलम् =भस्म। शामिली स्रुक्।

141.मयट् वा एतयो : भाषायाम् अभक्ष्य---आच्छादनयो : =अश्ममयम्। आश्मन :। अबक्ष्य इति

किम् ? मौद्ग : कूप :। आच्छादन =कार्पासम्।

142.नित्य---वृक्ष---शर---आदिभ्य : =आम्रमयम्। शरमयम्।

143.गो :च पुरीषे =गोमयम्।

144.पिष्टात् च = पिष्टमयम् =भस्म।

145.संज्ञायां कन् =पिष्टक :। पूप : अपूप : पिष्टक :।

146.व्रीहे : पुरोडाश : = व्रीहिमय : पुरोडाश :।

147.असंज्ञायां तिल---यवाभ्याम् =तिलमयम्। यवमयम्। संज्ञायां तु तैल :। यावक :।

148.द्व्यच : छन्दसि =शरमयं बर्हि :। यस्य पर्णमयि जुहू :।

149.न उत्---वर्ध्र---बिल्वात् =उत्वान् =उकार :। मौञ्जं शिक्यम्। वर्ध्रं चर्म तस्य विकार : वर्ध्री

रज्जु :। बैल्व : यूप :।

150.ताल---आदिभ्य : अण् =ताल : धनु :। ऐन्द्रायुधम्।(Rainbow)

151.जातरूपेभ्य : परिमाणे =हाटक :। तापनीय :। सौवर्ण : निष्क :।

152.प्राणि---रजत---आदिभ्य : अञ् =शौकम्। बाकम्। राजतम्।

153..ञित : च तत्---प्रत्ययात् =शमीलस्य =शामीलम्।

154.क्रीतवत् परिमाणात् =निष्केण क्रीतं नैष्किकम्। (प्राग्वहते :ठक्। or प्राग्वते : ठञ्। इति ये विहिता : सूत्रा : तेषाम् अतिदेश : सूत्रम् इदम्। )शतिक :।(Refer 1st सूत्र of 4th पाद of 4th अध्याय :।)

155.उष्टरात् वुञ् = औष्ट्रक :।

156.उमा---ऊर्णयो : वा =औमम्।औमकम्। और्णम्। और्णकम्। उमा =सस्य---विशेष :। अतसी इति अमर :। ऊर्णा =मेष---अदि लोमम्।

157.एणया ढञ् =ऐणेयम्।

158.गो---पयसो : यत् =गव्यम्। पयस्यम्।

159.द्रो : च =द्रु वृक्षस्य विकार : अवयव : वा। द्रव्यम्।

160.माने वय : =द्रो : इति एव। द्रुवयम्। यौतवम्। द्रुवयम्, यौतवम्, पारयम् इति मान---अर्थकं त्रयम्।

161.फले लुक् =आमलकम्।

162.प्लक्ष---आदिभ्य : अण् =प्लाक्षम्।

163.जम्ब्वा वा =जाम्बवम्। पक्षे ओ : अञ्। तस्य लुक् =जम्बु।

164.लुप् च =जम्ब्वा : फलम् =जम्बू :।

165.हरीतक्य---आदिभ्य : च =हरीतक्य :।(लुक्/लुप्।)

166.कंसीय---परशव्ययो : यञ्---अञौ लुक च =कांस्यम्। पारशव :।

 

                  ।इति चतुर्थ---अध्यायस्य तृतीय---पाद : समाप्त :। Pro.Total =1570 + 166  =1736.

 

 

 

                                     श्री पाणिनि---हृदयम् चतुर्थ---अध्याय : चतुर्थ---पाद :।

 

1.प्राक्---वहते : ठक् =तत्---वहते : इति अत :प्राक् ठक्।(Refer 154th सूत्र of 3rd पाद of 4thअध्याय :।

2.तेन दीव्यति खनति जयति जितम् =अक्षै : दीव्यति आक्षिक :। अभ्रायां खनति आभ्रिक :। एवम् एव।

3.संस्कृतम् =दध्ना संस्कृतम् =दाधिकम्।

4.कुलत्थ---क---उपधात् अण् =कुलत्थै :(कुलुथै :। =केतु---प्रीतिकर---धान्यम्, अश्व---प्रीतिकरं च।) (तैत्तिडीकम् |) तैन्तिणीकम्।

5.तरति =उडुपेन तरति औडुपिक :।

6.गो---पुच्छात् ठञ् =गौपुच्छिक ;

7.नौ---द्व्यच : ठन् =तृतीया---अन्तात् ठन्। नाविक :। घटिक :। बाहुभ्यां तरति बाहुका स्त्री।

8.चरति =हस्तिना चरति =हास्तिक : शाकटिक :। दध्ना भक्षयति =दाधिक :।

9.आकर्षात् ष्ठल् =आकर्षिक :।

10.पर्पादिभ्य : ष्ठन् =पर्पिक :। येन पीठेन पङ्गव : चरन्ति =पर्पक :। अश्विक :। रथिक :।

11.श्व---गणात् ठञ् च =चात् ष्ठन्। श्वागणिक :।

12.वेतन---आदिभ्य : जिवति =वैतनिक :। धानुष्क :।

13.वस्न---क्रय---विक्रयात् ठन् =वस्नेन/मूल्येन जीवति वस्निक :। क्रयिक :। विक्रयिक :। क्रय---विक्रयिक :।

14.आयुधात् छ च =चात् ठन् =आयुधिक :। आयुधीय :।

15.हरति----उत्सङ्ग---आदिभ्य : =उत्सङ्गेन हरति औत्सङ्गिक :।

16.भस्त्रा---आदिभ्य : ष्ठन् =भस्त्रिक :। भस्त्रिकी। भस्त्रा =शीषे---भार :(अलुक् समास :)

17.विभाषा विवधात् =विवधेन हरति वैवधिक :। पक्षे ठक्। विव्ध/वीवध =बद्ध---शिक्ये स्कन्ध---वाह्ये काष्ठवस्त्रम्।

18.अण् कुटिलिकाया : =कुटिलिका व्याधानां गति--विशेष :। कर्मारोपकरणभूत लोहं च। कौटिलिक : व्याध :, कर्मार : च।

19.निर्वृत्ते अक्ष्---द्यूत---आदिभ्य :  =अक्ष---द्युतेन निर्वृत्तं वैरम् =आक्षद्यूतिकम्।

20.क्त्रे : मम् नित्यम् =कृत्या निर्वृत्तम् =कृत्रिमम्। पाकेन् निर्वृत्तम् =पक्त्रिमम्। त्यागिमम्।

21.अपमित्य---याचिभ्यां कक्---कनौ =अपमित्य निर्वृत्तम् आपमियकम्। याचितकम्।

22.संसृष्टे =दध्ना संसृष्टम् =दाधिकम्।

23.चूर्णात् इनि : =चूर्णै : संसृष्टा : चूर्णिन : अपूपा :।

24.लवणात् लुक् =लवणेन संसृ्ष्ट : लवण : सूप :। लवन : शाक :।

25.मुद्गात् अण् =मौद्ग : ओदन :।

26.व्यञ्जनै : उपसिक्ते =(ठक्) उपसिक्त =सेचनेन मृदुकरनम्। दध्ना उपसिक्ताम् =दाधिकम्।

27.ओज : सह : अम्भसा वर्तते =ओजसा वर्तते औजसिक : शूर :। साहसिक : शूर :। आम्भसिक : मत्स्य :।

28.तत्---प्रति---अनु--पूर्वम् ईप---लोम---कूलम् =द्वितीया अन्तात् अस्मात् वर्ततए इति अस्मिन् अर्थेक् स्यात्। क्रिया---वेशेषणत्वात् द्वितीया =प्रतीपं वर्तते =प्रातिपिक :। आन्वीपिक :। आनुलोमिक :। प्रातिकूलिक :। आनुकूलिक :।

29.परिमुखं च =पारिमुखिक :।चात्। पारिपार्श्विक :।

30.प्रयच्छति गर्ह्यम् =द्विगुण---अर्थम्। द्विगुणं तत् प्रयच्छति। द्वैगुणिक :। त्रैगुणिक :।वृद्धे ; वृधुषि=---भाव : वक्तव्य :(वररुचि :।) वार्धुषिक : =Money lender who charges usurious rate of interest so says मनुस्मृति :।

31.कुसीद---दशैकादसात् ष्ठन्---ष्ठचौ =कुसिदिक :। कुसीदिकी। दशैकादशिक : दशैकादशिकी।

32.उञ्छति =बदरानि उञ्छति =बादरिक :।

33.रक्षति =समाजं रक्षति सामाजिक :।

34.शब्द---दर्दुरं करोति =शाब्दिक :। दार्दुरिक :।

35.पक्षि---मत्स्य--मृगान् हन्ति =पाक्षिक :। शाकुनिक :। मायूरिक ;। मात्स्यिक :।

36.परिपन्थं च तिष्ठति =पन्थानं वर्जयित्वा व्याप्य वा तिष्ठति चोर :। परिपन्थं हन्ति पारिपन्थिक :।

37.माथ---उत्तरपदम्---पदवी---अनुपदं धावति =माथ :=पन्था। दण्डमाथ :। पादविक :। आनुपदिक :।

38.आक्रन्दात् ठञ् च =चात् ठक्। आक्रन्दं दु:खिनां रोदन---स्थानं धावति आक्रन्दिक :।

39.पद---उत्तरपदं गृह्णाति =पूर्वपदं गृह्णाति पौर्वपदिक :। औत्तरपदिक :।

40.प्रतिकण्ठ---अर्थ---ललामं च =एभ्य : गृह्णाति अर्थे थक् स्यात्। प्रातिकण्ठिक :। आर्थिक :। लालामिक :।

41.धर्मं चरति =धार्मिक :।

42.प्रतिपदम् एति ठन् च =प्रतिपथिक :। प्रातिपथिक :।

43.समवायान् समवैति =सामवायिक :। सामूहिक :। समवैति =मेलयति इति अर्थ :।

44.परिषद : ण्य : =परिशदं समवैति = पारिषद्य :।

45.सेनाया वा =सैन्या :। सैनिका :।

46.संज्ञायां ललाट---कुक्कुट्यौ पश्यति =ललाटं पश्यति लालाटिक : सेवक :।कुक्कुटी शब्देन तत्---पात---अर्ह : स्वल्प---दिश : लक्ष्यते। कौक्कुटिक : भिक्षु :।

47.तस्य धर्म्यम् =आपणस्य धर्मम् आपणिकम्।

48.अण् महिष्या---आदिभ्य : =महिष्या : धर्मम् =माहिषम्। याजमानम्।

49.ऋत : अञ् =यातु : धर्मम् =यात्रम्।(नृ =नारी।विशास्तृ =वैशास्त्रम्। विभाजयितृ =वैभाजित्रम्। =वररुचि :।) 

50.अवक्रय : =आपनस्य अवक्रय : आपणिक :।राज---ग्राह्यं द्रव्यम् =अवक्रयम्।

51.तत् अस्य पण्यम् =अपूपा : पण्यम् अस्य आपूपिकं।

52.लवणात् ठञ् =लावणिक :।

53.किसर---आदिभ्य : ष्ठन् =किसरं पण्यम् अस्य किसरिकम्। किसरा : सुगन्धि---द्रव्य--विशेषा :।

54.शलालुन : अन्यतरस्याम् =शलालुक :। शलालुकी। शालालुक :। शालालुकी। शलालु : =सुगन्धि---द्रव्य---विशेष :।

55.शिल्पम् =मृदङ्ग---वादनं शिल्पम् अस्य =मार्दङ्गिक :।

56.मड्डुक---झर्झरात् अन्यतरस्याम् =माड्डुकिक :। माड्डुक :। झार्झरिक :। झार्झर :।

57.प्रहरणम् =असि : प्रहरणम् अस्य आसिक :। धानुष्क :।

58.परश्वधात् ठञ् =पारश्वधिक :।

59.शक्ति---यष्ट्यो : ईकक् =शाक्तीक :। याष्टीक :।

60.अस्ति---नास्ति---दिष्टम्---मति : =अस्ति मति : परलोकम् इतिएवं मति : यस्य आस्तिक :। एवं नास्तिक :। दैष्टिक :।

61.शीलम् =अपूप---भक्षणं शीलम् अस्य =आपूपिक :।

62.छत्र---आदिभ्य : ण : =गुरो : दोषाणाम् आवरणम् शीलम् अस्य छात्र :।

63.कर्म---अध्ययने वृत्तम् =प्रथमा---अन्तात् षष्ठी---अर्थे ठक् स्यात् अध्ययने वृत्ताया क्रिया सा चेत्  प्रथमा---अन्तस्य अर्थ :। ऐकान्यिक  यस्य अध्ययने प्रवृत्तस्य परीक्षा---काले विपरीत---उच्चारण---स्खलितम् एकं जातं स :।

64.बहु---अच्---पूर्वपदात् ठञ् =प्राक्--विषये। द्वादशानि कर्माणि अध्ययनम् वृत्तानि अस्य

द्वादसान्यिक :। द्वादश---पाठा : अस्य जाता : इति अर्थ :।

65.हितं भक्षा : =अपूप---भक्षनम् हितम् अस्मै आपूपिक :।

66.तत्---अस्मै दीयते नियुक्तम् =अग्र---भोजनं(नियुक्तम्) नियतम् अस्य दीयते आग्रभोजनिक :।

67.श्राणा---मांस---ओदनात् टिठन् =श्राणा नियुक्तं दीयते अस्मै श्राणिक : श्राणिकी। श्राणा =यवागू :। यवागू : उष्णिका श्राणा विलेपी तरला च सा। मांसौदनिक :। मांसिक :। औदनिक :। मांसौदन---ग्रहणं संघात---विगृहीत---अर्थम्।

68.भक्तात् अण् अन्यतरस्याम् =पक्षे ठक् =भक्तम् अस्मै नियुक्तं दीयते भाक्त :। भाक्तिक :।

69.तत्र नियुक्त : =आकरे नियुक्त : =आकरिक :। आकर : =रत्न---आदि उद्भव---स्थानम्। 

70.अगारान्तात् ठन् =देव---अगारे नियुक्त : =देव---आगारिक :।

71.अध्यायिनि अदेश---कालात् =निषिद्ध---देस---काल---वाचकात् ठक् स्यात् अध्येतरि। श्मशाने अधीते श्माशानिक :। चातुर्दशिक :।

72.कठिन---अन्त---प्रस्तार---संस्थानेषु व्यवहरति =वांशकठिनिक :। प्रास्तारिक :। सांस्थानिक :।

73.निकटे वसति =नैकटिक : भिक्षु :।

74.आवसथात् ष्ठल् =आवसथिक :।

75.प्राक् हितात् यत् =तस्मै हितम् इति अत : अधिक्रियते।

76.तत्---वहति रथ---युग---प्रासङ्गम् =रथ्य :। युग्य :। वत्सानां दमन---काले काष्ठम् आसज्यते तत् प्रासङ्ग :। तम् वहति प्रासङ्गिक :।रथआदि---वहन---काले अश्व---आदि---स्कन्धेषु तिर्यक् यत् काष्ठम् ईषत्---प्रोतम् आसज्यते तत् युगम् युग्य : तत् वहति इति अर्थ :। रथ---आदि वहन---काले सुषिक्षत अश्वौ नियुज्य तत्---स्कन्ध---वाह्य---युगे यत्---युक---अन्तरम् आसज्य तस्मिन् अशिक्षित---असादय : वहन---शिक्षा---अर्थं नियुज्यन्ते स: प्रासङ्ग : इति अर्थ :। प्रासङ्ग : ना युगात् युगे इति अमर :।

77.धुर : यत्---ढकौ =धुरु :। धौरेय :।

78.ख : सर्व---धुरात् -सर्व---धुरीण :।(वहति।)

79.एक---धुरात् लुक् च =एकधुरां वहति =एकधुर :।

80.शकटात् अण् =शकटं वहति शाकट : गौ :।

81.हल---सीरात् ठक् =हालिक :\ सैरिक :।

82.संज्ञायां जन्या : =जनी वधू : तां वहति/प्रापयति जन्या।

83.विध्यति अधनुषा =द्वितीया---अन्तात् विध्यति अर्थे यस्यां न चेत् तत्र धनु : करणम्। पदौ विध्यन्ति पद्या : शर्करा :।

84.धन---गणं लब्धा =धनं लब्धा =धन्य :। गणम् लब्धा =गण्य :।

85.अन्नात् ण : आन्न :।

86.वंशं गत : =वंश्य :। पर---इच्छा---अनुसारी।

87.पदम् अस्मिन् दृश्यम् =पद्य : कर्दम :। न अति शुष्क :।

88.मूलम् अस्य आवर्हि =आवर्हणम् आवर्ह :  उत्पाटनं तत्---अस्य---अस्ति---इति आवर्हि। मूलम् आवर्हि येषां ते मूल्या : मुद्गा :।         

89.संज्ञायां धेनुष्या =धेनुष्या बन्धके स्थिता।

90.गृह---पतिना संयुक्ते ञ्य : =गृह---पति : यजमान :। तेन संयुक्त : गार्हपत्य : अग्नि :।

91.नौ---वय :---धर्म---विष---मूल---सीता---तुलाभ्य : तार्य---तुल्य---प्राप्य---वध्य---आनाम्य---सम---समित---अंमितेषु =नावा तार्यम् नाव्यम्। वयसा तुल्य : वयस्य :। धर्मेण प्राप्तम् =धर्म्यम्। विषेण वध्य : विष्य :। मूलेन आनाम्यम् =मूल्यम्। सीतया सम क्षेत्रम् =सीत्यम्। त्लया समितम्/संमितम् -तुल्यम्।

92.धर्म---पथि(न्)---अर्थ---न्यायात् अनपेते =धर्मात् अनपेतम् =धर्म्यम्। पथ्यम्। अर्त्यम्। न्याय्यम्।

93.छन्दस : निर्मिते =छन्दसा निर्मितम् छान्दस्यम्।

94.उरस : अण् च =चात् यत्। औरस :। उरस्य:।

95.हृदयस्य प्रिय : =हृद्य : देश :।

96.बन्धने च ऋषौ =(वेदे) हृदयस्य बन्धनं हृद्य : वशीकरण---मन्त्र :।

97.मत---जन---हलात् करण---जल्प---कर्षेषु =मतं ज्ञानं तस्य करणम् भाव : साधनं वा मत्यम्। जनस्य जल्प : जन्यम्। हलस्य कर्ष : हल्य :।

98.तत्र साधु ; =अग्रे साधु : अग्र्य :।

99.प्रतिजन---आदिभ्य : खञ् =प्रतिजनं साधु : प्रातिजनीन :। सार्वजनीन :।

100.भक्तात् ण : =भक्ते साधव : भाक्ता : शालय :।

101.परिषद : ण्य : =पारिषद्य :।

102.कथा---अदिभ्य : ठक् =कथायां साधु : =काथिक :।

103.गुड---आदिभ्य : ठञ् = गुडे साधु : गौडिक : इक्षु :।

104.पथि---अतिथि---वसति---स्वपते : ढञ् =पथि साधु पाथेयम्। आतिथेयम्। वास्तेयी रात्रि :। स्वापतेयं धनम्।

105.सभाया य : =सभ्य :।

106.ढ : छन्दसि =सभेय :  युवा।

107.समान---तीर्थे वासी =साधु ; इति निवृत्तम्। समान---तीर्थे गुरौ वसति इति सतीर्थ्य :।

108.समान---उदरे शयित : ओ च उदात्त : =समाने उदरे शयित् : स्थित : समान---उदर्य : भ्राता।

109.सोदरात् य : =सोदर्य :।

110.भवे छन्दसि =सप्तमी---अन्तात् भव---अर्थे यत् =नमो मेघ्याय च विद्युत्याय च।

111.पाथो---नदीभ्यां ड्यण् =तमु त्वा पाथ्यो वृषा। च नो दधीत नाद्यो गिरो मे ।पाथसि भव :

पाथ्य :। पाथ : जलम्।

112.वेशन्त---हिमवद्भ्याम् अण् =भवे वेशन्तीभ्य : स्वाहा। हैमवतीभ्य : स्वाहा।

113.स्रोतसा विभाषा ड्य---ड्यौ =ड्य---ड्यो : तु स्वरे भेद :। स्रॊत्य : स्रोतस्य :। नम : स्रोतस्याय च द्वीप्याय च।

114.सगर्भ---सयूथ---सनुतात् यन् =अनुभ्राता सगर्भ्य :। अनुसखा सयूथ्य :। यो न सनुत्य उत वा जिघत्नु :।

115 तुघ्रात् घन् =भवे अर्थे। आव : शमं वृषभं तुग्रियस्विति बह्वृचा :। तुग्रियास्विति शाखान्तरे। धन---आकाश---यज्ञ---वरिष्ठेषु  तुग्र शब्द : इति वृत्ति :।

116.अग्रात् यत् =अग्र्य :। 

117.घ---छौ च =अग्रिय : नमो अग्रियाय च। अग्रीय :।

118.समुद्र---अभ्रात् घ : =समुद्रिया : अप्सरस :। नावदत्तो अभ्रियस्येव घोषा :।

119.बर्हिषि दत्तम् =बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।

120.दूतस्य भाव---कर्मणि =भाग : अंश :। दूत्यम्।

121.रक्ष : यातूनां हननी =यते अग्ने रक्षस्या तनू :।

122.रेवती---जगती---हविष्याभ्य : प्रशस्ये =प्रशस्ये यत् स्यात्। रेवत्ती---आदीनां प्रशस्यं रेवत्यम्। जगत्यम्। हविष्यम्।

123.असुरस्य स्वम् =असुर्यं देवेभिर्धायि विश्वम्।

124.मायायाम् अण् =आसुरी माया।

125.तद्वानासाम् उपधान : मन्त्र इति इष्टकासु लुक् च मतो : =वर्चस्व---अनुपधान : मन्त्र : आसाम् इष्टकानां वर्चस्या :। ऋतव्या :।

126.वयस्यासु मूर्ध्न : मतुप् =तद्वानासाम् इति सूत्रं सर्वम् अनुवर्तते। मत इति पदम् आवर्त्य पञ्चमी---अन्तं बोध्यम्। मतुप् अन्त : य : मूर्धा शब्द : तत : मतुप् स्यात् प्रथमस्य मत : लुक् च वय : शब्दवत् मन्त्र : उपधेया : इष्टिकासु यस्मिन् मन्त्रे मूर्धन्य शब्दौ स्त : तेन उपधेयासु। मूर्धन्वती उपधाति इति प्रयोग :।

127.मत्वर्थे मास---तन्वो : =नभ : अभ्रम्। तद्---अस्मिन् इति नभस्य : मास :। ओजस्या तनू:।  

128.मधो : ञ च =माधव :। मध्व्य :।

129.ओजस : अहनि यत्---खौ =ओजस्यम्, ओजसीनम् वा अह :।

130.वेश---यश---आदे : भगात् यल् =यथा---संख्यं न इष्यते। वेश : बलं तत्---एव भग :। वेश :

भग्य :। यश : भग्य :।

131.ख च =वेश : भगीन :। यस : भगीन :।

132.पूर्वै : कृतम् इनि---यौ च =गंभीरेभि : पथिभि : पूर्विणेभि :। ये ते पन्था : सवित : पूर्व्यास :।

133.अद्भि(अद्---भि :) संस्कृतम् =यस्य इदम् अप्यं हवि :। नोर्मय :। सहस्रेण तुल्यम् इति नर्थ :।

134.सहस्रेण संमितौ घ : =सहस्रियासो अपाम्। सहस्रम् अस्य अस्ति इति सहस्रिय :।

135.मतौ च =सहस्र---शब्दात् मत्वर्थे घ : स्यात् =अर्च :।

136.सोमम् अर्हति =सोम्य : ब्राह्मन :।

137.मये च =सोम-- शब्दात् य : स्यात्। सोम्यम् मधु :। सोममयम् इति अर्थ :।

138.मधो : =मधु---शब्दात् =मधव्य :। मधुमय : इति अर्थ :।

139.वसो : समूहे च =चात् मयत्। वसव्य :। वसुमय :। 

140.नक्षत्रात् घ :  =स्वार्थे =नक्षत्रिय :।

141.सर्व---देवतात् तातिल् =अ : सुवतु सर्वतातिम्। प्रदक्षिण देवतातिमुराण :।

142.शिव---शम्---अरिष्टस्य करे =(करिति इति कर :। शिवस्य भाव : शिवताति :। शन्ताति :। अरिष्टताति :।

143.भावे च =शिव---आदि छन्दसि। शिवताति :। एवमेव शन्ताति :। अरिष्टताति :।

                    | इति चतुर्थ---अध्यायस्य चतुर्थ : पाद : समाप्त :। Pro.Total =1736 + 143 =1879

                                                     | इति चतुर्थ : अध्याय : समाप्त :। .  


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